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टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट
टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट उद्योग के लिए मंत्री समूह का गठन होगा
विभिन्न समस्याओं के समाधान एवं विकास पर करेगा विचार-विमर्श
नई दिल्ली/ टेक्सटाइल उद्योग की विभिन्न समस्याओं पर नजर रखने तथा निरंतर विचार विमर्श के लिए बजट के बाद अंतर मंत्रालयी समूह के गठन की संभावना है। टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट उद्योग लम्बे समय से श्रमिकों की समस्या सहित कई कठिनाइयों से जूझ रहा है।
विगत दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 50वें इंडिया इंटरनेशनल गारमेण्ट फेयर के उद्घाटन के अवसर पर अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के सुझाव तथा कपड़ा सचिव द्वारा इस सुझाव के अनुमोदन के बाद कैबिनेट सचिव श्री अजित कुमार सेठ ने टेक्सटाइल उद्योग की समस्याओं पर निरंतर विचार-विमर्श के लिए अंतर मंत्रालयी समूह के गठन का आश्वासन दिया है।
यह समूह उद्योग को होने वाली कठिनाइयों पर नजर रखने के साथ ही इनके समाधान के लिए सुझाव देगा। बजट के बाद इस समूह के गठन की संभावना है। यह समूह प्रत्येक तीन महीने में उद्योग की समस्याओं और विकास की समीक्षा करेगा।
अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चैयरमेन श्री ए. शक्तिवेल ने कहा कि निर्यातक सिंथेटिक एवं ब्लेण्डेड फैब्रिक्स के आयात शुल्क में 5 प्रतिशत की कमी करने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में सिंथेटिक फैब्रिक्स पर 21 प्रतिशत आयात शुल्क है। देश में सिंथेटिक फैब्रिक्स की उपलब्धता कम है जिससे यहां पर काॅटन गारमेण्ट का उत्पादन ज्यादा होता है।
निर्यातकों की ओर से श्रमिकों को एक सप्ताह में 60 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति दिए जाने की भी मांग की जा रही है। इसके लिए कंपनियां ओवरटाइम भुगतान के लिए तैयार हैं। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-दिसम्बर की अवधि के दौरान अपैरल निर्यात में 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है लेकिन गारमेंट मेले में अनेक विदेशी कंपनियों एवं खरीददारों के भाग लेने से निर्यात में सुधार के संकेत हैं।
इस तरह टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट उद्योग की अनेक समस्याएं हैं जिसके लिए काउंसिल ने केबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समूह के गठन का सुझाव दिया जिसका कपड़ा सचिव ने अनुमोदन किया। इसके बाद कैबिनेट सचिव ने उद्योग को आश्वासन दिया कि बजट के बाद मंत्री समूह का गठन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट उद्योग की देश में रोजगार प्रदान करने तथा निर्यात में महत्वपूर्ण भागीदारी है लेकिन अमेरिका एवं यूरोप सहित विश्व के अनेक खरीददार देश मंदी की चपेट में हैं जिससे टेक्सटाइल एवं निर्यात लक्ष्यों को पूरा करने में उद्योग में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। देश के उद्योग को चीन एवं बंग्लादेश से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। सरकार उद्योग को निर्यात बढ़ाने के लिए कह रही है जबकि उद्योग के सम्मुख कई मुद्दे हैं जिन पर सरकार को फैसला करना है। उद्योग का कहना है कि निर्यात बढ़ाने तथा उद्योग के विकास के लिए निर्णय तुरंत नहीं हो पाते हैं तथा जो निर्णय लिए भी जाते हैं तो उनका क्रियान्वयन समय पर नहीं हो पाता है। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए मंत्री समूह के गठन का सुझाव दिया गया है जिसमें टेक्सटाइल, वाणिज्य तथा राजस्व एवं कस्टम विभाग से सदस्य होंगे। यह समूह श्रम सम्बंधी समस्याओं, ड्यूटी, कस्टम एवं आयात आदि के मामलों पर विचार-विमर्श करेगा।'
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