उत्पादन में सुधार जारी रहने से टेक्सटाइल उद्योग को राहत
लेकिन सीजनल ग्राहकी में विलम्ब से बाजार चिंतित
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नई दिल्ली/ उत्पादन में सुधार जारी रहने से जहां एक ओर टेक्सटाइल उद्योग राहत महसूस कर रहा है लेकिन सीजनल ग्राहकी में विलम्ब से थोक एवं खुदरा बाजारों में चिंता है। वहीं दूसरी ओर टेक्सटाइल का गारमेट सेगमेंट निर्यात मांग में भारी गिरावट तथा उत्पादन कम होने से जूझ रहा है।
केन्द्रीय साख्यिकी संगठन द्वारा जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2012 में टेक्सटाइल उत्पादन में 8.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि गत वर्ष की समान अवधि में यह वृ(ि 0.4 प्रतिशत थी। इस प्रकार टेक्सटाइल के उत्पादन में अच्छी वृ(ि हुई है। लेकिन अपैरल क्षेत्र की विकास दर में अभी भी नकारात्मक बनी हुई है। यद्यपि यह जुलाई 2011 के -13.0 प्रतिशत की तुलना में -10.6 प्रतिशत रही अर्थात विकास दर में गिरावट कुछ कम हुई है।
टेक्सटाइल के सभी सेगमेंट को मिलाकर उत्पादन में गत वर्ष जुलाई 2011 की -4.0 प्रतिशत की नकारात्मक विकास दर की तुलना में जुलाई 2012 में 2.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इस पर कपड़ा उद्योग महासंघ के सक्रेटरी जनरल श्री डी के नायर ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि टेक्सटाइल उद्योग में मंदी छंट रही है और सुधार हो रहा है। श्री नायर के अनुसार कपास के भाव 35000 से 40000 रुपए प्रति कैंडी के स्तर पर रहेंगे जो उद्योग एवं किसानों दोनों के लिए अच्छा है। उनका कहना है कि यार्न के भाव में गिरावट की संभावना नहीं है क्योंकि घरेलू मांग बनी हुई है और निर्यात भी हो रहा है। इसलिए यार्न का बाजार स्थिर रहेगा।
दूसरी ओर घरेलू बाजार में सीजनल मांग शुरू नहीं होने से बाजार में चिंता है। बाजार सूत्रों का कहना है कि व्यापारियों ने सीजन चलने की उम्मीद में माल भर लिए थे जिससे कपड़ा निर्माताओं का उत्पादन बढ़ा है लेकिन अभी तक सीजनल ग्राहकी नहीं चली है जिससे बाजार में चिंता है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ग्राहकी में तत्काल सुधार नहीं होता है तो यार्न, ग्रे और फैब्रिक्स के दाम टूटने लगेंगे क्योंकि कपास की नई फसल की आवक भी शीघ्र शुरू हो जाएगी।
गारमेण्ट निर्यात के लिए भी कठिन दौरः
दूसरी ओर गारमेण्ट निर्यात इस समय कठित दौर से गुजर रहा है। निर्यात आॅर्डर नहीं मिलने से गारमेण्ट निर्यात में भारी गिरावट चल रही है जिस वजह से इस सेगमेंट में सुधार कमजोर है। अगस्त 2012 में रेडीमेड गारमेण्ट का निर्यात 0.9 अरब अमेरिकी डाॅलर का निर्यात हुआ। निर्यातकों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में अमेरिका और यूरोप से निर्यात आॅर्डर 10@20 प्रतिशत तक कम मिल रहे हैं।
अपैरल एक्सपोर्ट काउंसिल ने दो महीने में सूती यार्न में भाव में 15 प्रतिशत वृ(ि पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में विदेशों की तुलना में यार्न के भाव ऊंचे हैं जबकि इस दौरान कपास के भाव मात्र 3 से 5 प्रतिशत की बढ़े हैं। इसलिए यार्न के निर्यात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए अथवा यार्न के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जानी चाहिए। जबकि इस बारे में स्पिनिंग उद्योग का कहना है कि सरकार को इस समय कपास एवं यार्न की आयात निर्यात नीति में नहीं छेड़ना चाहिए।
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