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वैट विभाग का नया फरमान दिल्ली आने वाले हर माल की आॅनलाइन जानकारी देने का

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नई दिल्ली/ दिल्ली के वैट विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर व्यापारियों के लिए एक नया फरमान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि पहली अक्टूबर से दिल्ली में जो भी माल आएगा, उसकी जानकारी फाॅर्म टी-2 के जरिए पहले से विभाग को आॅनलाइन देनी होगी। व्यापारियों ने विभाग को इस आदेश को अनुचित करार दिया है और इसे तत्काल वापिस लेने की मांग की है। एसोसिएशन आॅफ होलसेल रेडीमेड गारमेण्ट्स डीलर्स, अशोक बाजार के अध्यक्ष व फेडरेशन आॅफ टेªडर्स एसोसिएशन दिल्ली के वाईस चैयरमेन श्री कंवल कुमार बल्ली नें दिल्ली के वैट कमिश्नर श्री राजेन्द्र कुमार द्वारा 5 सितम्बर 2012 जो जारी किया गया नोटिफिकेशन वापिस लेने की माँग की है और बाकी लम्बित माँगों का भी अतिशीघ्र हल निकालने का अनुरोध किया। नए आदेश के अनुसार पहली अक्टूबर 2012 से दिल्ली का व्यापारी बाहर के किसी भी राज्य से माल खरीदता है या स्टाॅक ट्रांसफर करता है। माल@स्टाॅक दिल्ली पहुँचने से पहले व्यापारी को आॅन-लाइन सूचना विभाग को देनी है। यह सूचना टी.-2 फाॅर्म के अनुसार होगी। टी.-2 फाॅर्म के अन्तर्गत बिल का विवरण, माल भेजने वाले का नाम, पता, टिन नम्बर, माल का पूरा विवरण, ट्रांसपोर्टर का नाम, पता, ट्रक नम्बर, बिल्टी नम्बर, तिथि इत्यादि की सूचना दिल्ली पहुँचने से पहले आॅन-लाइन देनी होगी। एसोसिएशन का कहना है कि दिल्ली के अधिकांश व्यापारियों के लिये यह संभव नहीं है। क्योंकि उनके पास आॅन-लाइन सूचना देने के साधन नहीं है। व्यापारी अपने सी.ए.,वकील,एकाउन्टेंट पर निर्भर है। दिल्ली में 200/250 किलोमीटर से माल रात 11-12 बजे चलकर प्रातः 6 बजे तक ट्रक द्वारा दिल्ली पहुँच जाता है। व्यापारी रात को माल व ट्रांसपोर्टर की जानकारी लेकर अपने सी.ए.,वकील,एकाउन्टेंट के पास जाकर विभाग को आॅन-लाइन सूचना दिलवाये, यह संभव नहीं है। श्री बल्ली ने कहा है कि यह नोटिफिकेशन न्यायसंगत नहीं है। इस नोटिफिकेशन को लागू होने के बाद बिल से माल मंगवाया ही नहीं जा सकता। यह दिल्ली के अधिकांश व्यापारियों के व्यापार को चैपट कर देंगे। इस नोटिफिकेशन पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है। वैट विभाग ने सभी दुकानदारों को तिमाही रिटर्न आॅनलाइन दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है। हर महीने की अलग-अलग खरीद@बिक्री की विस्तार से जानकारी देनी है। जानकारी का मिलान वैट विभाग द्वारा दिया जायेगा। यदि खरीद@बिक्री के मिलान में 10 रूपये से ज्यादा अन्तर होगा तो डीलर को 10 हजार रूपये जुर्माना विभाग द्वारा लगाया जायेगा। मिलान में फर्क के कई कारण हो सकते हैं। यदि माल बेचने वाला दुकानदार रिटर्न देरी से दाखिल करता है या अनजाने में कोई गलती हो जाती है। कई बार माल बेचने वाले का बिल माह के आखिरी दिन का होता है। खरीदने वाले के खाते में अगले महीने जमा करने के कारण मिलान नहीं हो पाता। खरीदने वाले व्यापारी ने वैट जमा करवा दिया है, उसका कोई दोष नहीं है। उसको बिना मौका दिये जुर्माना लगाना उचित नहीं है। व्यापारियों ने सुझाव दिया है कि यदि मिलान में फर्क है तो दुकानदार को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिये। छोटे व्यापारी जिसका तिमाही वैट 30 हजार रूपये से कम बनता है, उसको वैट कैश@चैक द्वारा जमा करवाने की अनुमति दी जाये। बैंक को कलेक्शन चार्ज दुकानदार देगा। छोटे दुकानदार को आॅन-लाइन वैट जमा करवाने में दिक्कत आ रही है। अभी कुछ बैंकों में आॅन-लाइन वैट जमा करने की सुविधा नहीं है। छोटा दुकानदार अपने स्तर पर वैट जमा करवाने में समर्थ नहीं है। छोटे दुकानदार को सी.ए.@वकील के माध्यम से नाजायज चार्ज देकर वैट जमा करवाना पड़ रहा है। सी.ए.,वकील चैक@कैश लेकर अपने खाते से जमा करवा रहे हैं। साईबर कैफे से जमा करवाना उनको अपना पासवर्ड देने से गलत इस्तेमाल होने की संभावना रहती है। ट्रांसपोर्ट के पास कागजात ना होने के कारण माल पकड़े जाने पर पहले जितना वैट बनता था उतनी ही पैनाल्टी लगती थी। अब विभाग ने कुल कीमत पर 40 प्रतिशत पैनाल्टी कर दी है। माल की कीमत 80 प्रतिशत एमआरपी को आधार मानकर पैनाल्टी लगायी जायेगी। जो कि न्यायसंगत नहीं है। एक्साइज विभाग द्वारा रेडीमेड गारमेन्ट्स@लेडीज सूट पर 40 प्रतिशत एमआरपी पर एक्साइज लगायी जाती है। आजकल सभी व्यापार में डीलर्स कमिशन, रिटेलर मर्जिन स्टोर्स के खर्चे ज्यादा हो गये हैं। इस पर पुनः विचार किया जाना चाहिये। माल विभाग द्वारा रोके जाने पर पैनाल्टी डीलर पर लगनी चाहिये ना कि ट्रांसपोर्टर पर। दुकानदार को खाते दिखाने का मौका मिलना चाहिये। यदि माल खाते के अनुसार है तो पैनाल्टी नहीं लगनी चाहिये।

                 

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