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कमजोर कारोबार से कपड़ा व्यापारियों की हालत खस्ता

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सूरत/ कमजोर कारोबार ने सूरत के आर्ट सिल्क कपड़ा व्यापारियों की हालत पतली कर दी है। सही मायनों में अधिक मास गजब ढा रहा है। कपड़ा बाजार समीक्षक श्री अरूण पाटोदिया के अनुसार औसत 25 प्रतिशत भी ग्राहकी नहीं है, कहीं पर बरसात का अभाव तो कहीं पर बाढ़ आदि का प्रकोप कहर बरपा रहा है। दिशावरों से व्यापारियों की उपस्थिति नगण्य है। रक्षाबन्धन, ओणम, रमजान आदि सीजनों के फेल जाने के पश्चात नजरें अब आगामी दूर्गापूजा, दशहरा, व दीपावली जैसी मुख्य सीजनों पर है। व्यापारियों को यह सूझ नहीं रहा है कि क्या नई वैरायटी बनायें और क्या नहीं बनाये। अभी तो हालात यह है कि अधिकांश दुकानों पर तो बोहणी बट्टा तक नहीं हो पाता है। डाइंग मिलंे जाॅब का इन्तजार कर रही है कुछ मिलों ने जाॅब दरे बढ़ाई अवश्य है लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। एम्ब्राॅयडरी यूनिटों की तो हालत बहुत ही खस्ता है। ढूंढने से भी जाॅब नहीं मिल पाता इन्हीं हालातों के चलते अनेक इकाइयां रूग्ण अवस्था में चल रही है। कपड़ा व्यवसायी श्री दिलीप गोठी का कहना है कि दिशावरी केन्द्रों में खुदरा ग्राहकी कहीं भी देखने को नहीं मिल रही है, कारण स्पष्ट है महंगाई ने हर किसी का जीना दुर्भर कर दिया है। मासिक बचत न हो पाने से कपड़ों पर खर्च में कटौती करने की मजबूरी गरीब व मध्यम वर्ग के समक्ष है। कुछ भी हो अब कपड़ा व्यापार में दुःख भरे दिन ज्यादा और खुशहाल वातावरण कम नजर आता है। फ्रन्टलाइन स्पिनर बढ़ा सकते हैं यार्न के भाव यार्न की तेजी व ग्रे कपड़े में कमजोर कामकाज के चलते टेक्सच्राइज उद्योग पर संकट के बादल मण्डरा रहे हैं। स्थिति यह है कि करीब 70 प्रतिशत टेक्सच्राइजिंग इकाइयां मंदी के चलते बन्द सी है। इस कारण बेरोजगारी का संकट पैदा हो गया है। अन्तर्राष्ट्रीय कारणों से यार्न बाजार में नित्य नई तेजी होती जा रही है। सितम्बर माह में पी.ओ.वाय. सहित यार्न की विभिन्न किस्मों में एक से तीन रुपये किलो की भाव वृ(ि फ्रन्टलाइन स्पिनरों ने की थी। सूत्रों के अनुसार 15 सितम्बर के आसपास स्पिनर पी.ओ.वाय. व यार्न में एक से डेढ़ रुपये किलो की और भी बढ़ोतरी कर सकते हंै। दरअसल रुपये के समक्ष डाॅलर की मजबूती आज भी कायम है। डाॅलर 55.50 के इर्द-गिर्द परिक्रमा कर रहा है। दूसरी ओर अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में क्रुड मजबूती बनाए हैं। वैसे भी इस साल कभी प्लाण्ट मेन्टिनेंस के नाम पर तो कभी पी.टी.ए. व एम.ई.जी. तथा चिप्स आदि की शाॅर्टेज के नाम पर बाजार हरदम गर्माया रहा। स्थानीय बाजारों में यार्न का उठाव सवर्था कमजोर है। दरअसल सभी त्यौहारी सीजन फ्लाॅप जाने से यार्न में ग्राहकी का नामोनिशान नहीं है। बाजार में यार्न का स्टाॅक नजर आ रहा है व वित्तीय संकट बना हुआ है। हालांकि आगामी दिनों में ग्राहकी चल पड़ने की कोई उम्मीद तो नजर नहीं आती। यह तय है कि यार्न में बढ़ोतरी सिर्फ अन्तर्राष्ट्रीय कारणों से ही सम्भव है। घरेलू बाजार में अब यह दम-खम नहीं रहा है।

                 

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