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अक्टूबर से रिटेल ग्राहकी खुलने के प्रबल आसार

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हैदराबाद/ कपड़ा और रेडीमेड बाजार हाॅली डे मूड में है। ग्राहकी नगण्य है, पेमेण्ट की आवक काफी कमजोर है। थोक व्यापारी आगे सीजन को ध्यान में रख कर खरीदी पर लगे हुए हैं और यह माल 15 सितम्बर तक आना शुरू हो जायेगा। खुदरा व्यापारी भी कुछ माल खरीद को निकले है बाकी अब 30 सितम्बर तक खरीदी का काम पूरा होगा। पर्यूषण के बाद व्यापारी भी बुकिंग के लिए निकलंेेगे। सूटिंग-शर्टिंग में अभी व्यापारियों और डीलर ने दो दिन का फेयर लगा कर बुकिंग की, इसमें एसजीएस व आर. एस. टेक्सटाइल का काम अच्छा रहा। बाजार में फिलहाल नया कुछ नहीं है। पैसे की तंगी ने सभी के मनोबल तोड़ दिया और अब दिन गिन रहे है कि ग्राहकी कब चालू होगी। यहां पर गणेश बैठने के बाद होलसेल में अच्छी ग्राहकी शुरू हो जाती है और अंदाजा है 1 अक्टूबर से रिटेल में ग्राहकी शुरू हो जाएगी। इस समय बाजार में बुरी खबर ही ज्यादा मिलती है। एक पार्टी केश लेकर चेक देता है वह 3 करोड़ लेकर फरार है। रेडीमेड में सेल्स टेक्स और मेडअप्स बेचने वालों पर पुलिस की रेड है। एक दिन में 8 दुकानों पर ब्राण्ड मेडअप्स बेचने वालों पर पुलिस ने कार्यवाही की है तथा सारा रेडीमेड बाजार भयभीत है। कुछ दुकानें भी बंद है। व्यापारियों ने रातोंरात अपनी दुकानों से और गोदामों से माल गायब कर दिया है। 25 सितम्बर को आर.एस. ब्रदर्स ग्रुप का साउथ इण्डिया माॅल कुकटपली में खुल रहा है। यह माॅल 120000 वर्ग स्क्वायर फीट पर है। इस गु्रप की यह सबसे बड़ी दुकान है। बाजार के अनुसार इस दुकान में माल होलसेल पर बेचने की कोशिश होगी। हैदराबाद में कोई भी नया शोरूम या माॅल खुलता है तो ग्राहक भेड़चाल में वहां जाता है। इससे सामने आने वाले सीजन भी बाकी व्यापारियों पर काफी असर पड़ता है लगभग दिसम्बर तक आठ नए माल व मेगा शोरूम खुलने के समाचार है। बड़ी कंपनी धीरे-धीरे छोटी कंपनी को खा रही है। बाजार में भावों के कुछ खास तेजी मंदी नहीं है पर सिल्क और काॅटन मार्केट तेज है। सिल्क यार्न चाइना का 3000 रुपये प्रति किलो है। और इण्डियन 2800 रुपये प्रति किलो है। इस तेजी के हिसाब से भाव बढ़ रहे हैं और माल बेचने में काफी तकलीफ हो रही है, इससे हल्के माल के डिमाण्ड बढ़ रही है। क्वालिटी और वोल्यूम कम है। काॅटन में तेजी है, साउथ का इरोड का सूटिंग जो सस्ता माना जाता है वह आज 44’’ में 58 रुपये प्रति मीटर एवं 58’’ में 90 रुपये प्रति मीटर से चालू हो रहा है। साउथ की तेजी में व्यापारी मुम्बई और भिवण्डी से माल लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सरकार निर्यात बढ़ाना चाहती है और बाहर से हो रही आवक को कम करना चाहती है वह एफडीआई और सेज का फायदा देती है मगर इसका लाभ न व्यापारी और ग्राहक को नहीं मिल रहा है। खबर यह है कि साउथ में काॅटन स्पिनिंग और सिल्क यार्न में सिंडीकेट है और उनके इशारे पर व्यापारी और वीवर नाचता है। परन्तु सरकार में रिटर्न कम्पलेन चाहिए मगर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे। बांग्लादेश और चाइना का निर्यात बढ़ता है मगर भारत का क्यों नहीं सिर्फ पाॅलिसी पेपर पर है व्यवहार में नहीं।

                 

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