Textile News
सूत बाजार घटा ः कपड़े का कोई माँ-बाप नहीं

Email News Print Discuss Article
Rating

मालेगांव/ श्रावण सुखा बिता, अब नये महीने सितम्बर में बरसात और बाढ़ का साथ हो गया। ऐसा कुछ टेक्सटाइल मण्डियों में हुआ जुलाई तेजी में बीता, अगस्त देखते देखते निकल गया। मोटा मुनाफा पचाने का समय था। सितम्बर में सितमगर वाली बात सही साबित कर दी। कपड़ा टूटकर पानी-पानी हो गया है। सूती धागा टूटा तो सही, परन्तु कम टूटा। सिंथेटिक्स में पी. ओ. वाई. के भाव 3, 2, 6 रुपये किलो बढ़े तब जाकर बाजार में रोटो और जिरो रूकना कम हुआ। एक या दो रुपया किलो का सुधार माना जा सकता है। रोटो का कपड़ा पिछले 5-6 महिनों से पानी मांग रहा था। रमजान ईद बाद तो आंखों का पानी सूख गया। कम भावों में घटे भावों में कपड़ा बुनकरों ने बेचा। फिर 10 पैसा सुधार हुआ। रमजान ईद के बाद न कपड़ा बिका और न ही भाव आये। लोग देखते रहे और पुरानी बिलिंग की तरह बाजार बैठ गया। 70/48/38 का भाव 18 जुलाई को 20 रुपये, 1 अगस्त को 19.50 पैसे, 1 सितम्बर को 17.75 पैसे और 10 सितम्बर को 17 रुपया मीटर का भाव हो गया है। 20 रुपये से 17 रुपये यानी 15 प्रतिशत भाव कम हो गया है। अब ऊंचे भावों के सौदा में बाधा, लफड़ा पड़ना ही है। समय पर माल की डिलवरी और पेमेण्ट नहीं होना है। श्री महावीर वडेरा; महालक्ष्मी एक्सपोर्टद्ध ने बताया कि सितम्बर के बाद बाजार चलने चाहिए। अब खेती-बाड़ी फसल भी अच्छी होगी। त्यौहारों की लम्बी लाइन लगी है। अधिक मास मार्केट को भारी पड़ गया है। कपड़ा में लफड़ा के बाद सूत बाजार भी हम साथ-साथ है। 34 बाना 18 जुलाई को 1040-50 रुपये से 1 अगस्त को 1000-1010 रुपये तथा 1 सितम्बर को 960 रुपये तथा 10 सितम्बर को 940-50 रुपये यानी 20 रुपया किलो घटा और 38 ताना भी क्रमशः 1140-1150 रुपये तथा 1100-1110 रुपये तथा 1080 रुपये से घटकर 10 सितम्बर को 1060 रुपये यानी लगभग 16 रुपया किलो घटा है। बाजार में कामकाज बेहद कमजोर है और इससे ज्यादा मनोबल कमजोर हो गया है। एक तरफा तेजी के बाद मंदी तो आती है। अब बरसात भी एक साथ यानी कम समय में ज्यादा, भावों का घटना, सोना-चांदी, शेयर मार्केट, टेक्सटाइल मार्केट में भी ऐसा होने लगा है। कमजोर पार्टीयां इस खराब समय में हाथ ऊपर कर देती है। इसलिए व्यापार करना टेढ़ी खीर हो गया है। बाजार में न तो कोई भाव है और न ही कोई ताव है। अब अगर कपड़े बाजार में 10-20 पैसा सुधार होता है तो कोई माइना नहीं रखता। तेजी में हर भाव में माल बिक जाता है। मंदी में माल घर में पड़ा रहता है। एक पुराने बुनकर ने बताया कि इस तेजी मंदी में नुकसान ज्यादा होता है। इण्डिगो यार्न का दो महिने पहले 275 रुपया किलो का भाव घटकर 205 से 210 रुपया यानि 65 रुपया किलो घटने से कई यार्न बनाने वालों ने काम बंद कर दिया है। श्री आनन्द बांगड़, इचलकरंजी ने बताया कि कपड़ा 15 से 17 रुपया मीटर कम हो गया है। लोगों के पास लाखों मीटर स्टाॅक में है। अब सितम्बर के बाद आशा और उम्मीद है। अक्टूबर से बाजार में कामकाज शुरू हो जायेंगे। रोटो, जिरो के यार्न में पिछले सप्ताह में लम्बे कामकाज हुए हंै। सूती कपड़ा ज्यादा खराब होने से रोटो वाले अब खुश नजर आ रहे हैं।

                 

Reader's Comments:
Select Language :
Your Comment
Textile News Headlines
Your Ad Here
Textile Events
Textile Articles
Textile Forum
powerd by:-
Advertisement Domain Registration E-Commerce Bulk-Email Web Hosting    S.E.O. Bulk SMS Software Development Web   Development Web Design