Textile News
वस्त्र उद्योग में पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्थिति

Email News Print Discuss Article
Rating

लखनऊ/ वस्त्र व्यवसाय में सदा से अपना योगदान दे रहा यह प्रान्त सरकार की नीतियों के कारण अब कराह रहा है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति का आकलन करे तो भारत वर्ष का सबसे अच्छा भाग जहां ड्डषि, वानिकी, मतस्यपालन, पशुपालन हेतु सारे संसाधन मौजूद है। गंगा-यमुना जैसी विशाल नदियों द्वारा आच्छादित यह प्रदेश आज उद्योग धन्धे के लिये तरस रहा है। यहां कुशल श्रम शक्ति का पर्याप्त भण्डार है। 60वें दशक से क्षेत्र में उद्योग धन्धे पूर्ण रूप से विकसित थे। वाराणसी का साड़ी उद्योग गोरखपुर हैण्डलूम वस्त्र, लखनऊ चिकन के लिए विश्व विख्यात रहा है। टाण्डा टेरीकाॅट वस्त्र मऊ मुबारक पुर, साड़ी उद्योग जलालपुर हैण्डलूम, इलाहाबाद मऊआइमा सूती वस्त्र के लिए विकसित क्षेत्र 90वें दशक से गोरखपुर वस्त्र व्यवसाय में अपना परचम लहराया है। सरकार द्वारा भी 30 प्रतिशत हस्तकरघा निगम उत्तरप्रदेश वस्त्र निगम, उत्तरप्रदेश सहकारी कताई मिल जैसे विभाग द्वारा क्षेत्र के विकास में योगदान दिया किन्तु धीरे-धीरे सब खत्म सा हो गया। यहां के श्रमिक रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रान्तों में पलायन कर गये। हर प्रकार से परिपूर्ण यह क्षेत्र अब विरान सा लगता है। उत्पादकता का यह क्षेत्र अब सिर्फ उपभोक्ता का बाजार सा बना गया। यह सब सिर्फ सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है। आज अन्य प्रान्त की सरकार औद्योगिक विकास हेतु औद्योगिक विकास हेतु औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर उद्यमियों को प्रोत्साहित कर औद्योगिक विकास में सहायता करती है। वहीं वहां में ऐसा कुछ नहीं होता यदि कहीं थोड़ा बहुत औद्योगिक क्षेत्र विकसित भी हुआ तो वहां उद्यमियों के सामने क्षेत्रीय समस्या, श्रमिक समस्या, विद्युत समस्या के साथ ही साथ, इंस्पेक्टरराज के चलते वह भी ध्वस्त हो गया। समझ में नहीं आता कि जो प्रान्त विद्युत उत्पादन में सबसे आगे है वहीं पर विद्युत की समस्या ज्यादा है। ऐसा क्यों यह तो चिराग तले अंधेरा जैसी कहावत चरितार्थ होती है। गोरखपुर हैण्डलूम कपड़ा बनाने वाला क्षेत्र कुछ क्षेत्रीय उद्योगपतियों द्वारा विकसित किया गया। आज यहां सल्जर लूमों द्वारा कपड़े का उत्पादन होता है। वी. एन. डायर्स, अंकुर उद्योग, जालानजी, महावीर स्पीनिंग जूट मिल, लारी प्रोसेस, अम्बे प्रोसेसर्स एवं बथवाल प्रोसेर्स जैसे क्षेत्रीय उद्योगपतियों ने गीडा औद्योगिक क्षेत्र घोषित होने के बाद, स्पीनिंग, वीविंग, डाइंग की यूनिटे चालू किया किन्तु सरकार द्वारा निर्धारित नीतियों के कारण विद्युत, श्रमिक, ट्रान्सपोर्टेशन एवं कच्चे माल की कमी के कारण पूर्ण रूप से उत्पादन नहीं ले पा रहे हैं। ऊपर से क्षेत्रीय पार्टीयां अपना वोट बैंक बनाने के लिए माहौल बिगाड़ कर तनाव पैदा करती रहती है। वोट के लिए जो रवैया क्षेत्रीय पार्टीयां अपना रही है वह गलत है। यदि वे अपनी सोच गुजरात के श्री नरेन्द्र मोदी जैसा रखे तो इस प्रान्त में औ+द्योगिक विकास के साथ ही साथ एवं व्यवस्थित शासन का रूप भी बदल जायेगा। जिससे वे श्रमिक जो अन्य प्रान्तों में रोजी-रोटी के लिए विस्थापितों जैसी जिन्दगी बिता रहे हैं। उनका भी पलायन रूक जायेगा तथा काॅरपोरेट सेक्टर के बड़े उद्योगपतियों द्वारा यहां की औद्योगिक विकास की योजनाओं को बल मिलेगा। समय परिस्थति को देखते हुए केन्द्र सरकार@राज्य सरकार को चाहिए कि वे कुर्सी की राजनीति छोड़ कर अविकसित क्षेत्रों को औद्योगिक विकास हेतु अपनी नीतियों में लचीलापन रूख अपनावें तथा औद्योगिक विकास हेतु एकल विन्डो व्यवस्था स्थापित कर उन समस्याओं का निराकरण करावे जिससे कि संबन्धित सरकारी विभागों द्वारा उद्योगपतियों का शोषण न हो सके एवं क्षेत्र में उद्योग धन्धे फलते फूलते रहे।

                 

Reader's Comments:
Select Language :
Your Comment
Textile News Headlines
Your Ad Here
Textile Events
Textile Articles
Textile Forum
powerd by:-
Advertisement Domain Registration E-Commerce Bulk-Email Web Hosting    S.E.O. Bulk SMS Software Development Web   Development Web Design