डिमाण्ड है लेकिन माल तैयार नहीं: सिंथेटिक उत्पादक संकट में
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बालोतरा/ बरसाती मौसम में औद्योगिक उत्पादन तो कम होता ही है उसके साथ व्यावसायिक गतिविधियां भी कमजोर स्वत ही हो जाती है। संपूर्ण माहौल मंदी की गिरफ्त में आया लगता है। कुल मिलाकर पर्याप्त ग्राहकी का अभाव है। इसके बावजूद भी वर्चस्वी यूनिटों के पास आॅफर तो है मगर माल तैयार कराने में मजबूरी है। पोपलीन निर्माताओं के पास रंगा हुआ माल तो तादाद में पड़ा है। परन्तु नमी युक्त वातावरण होने से कड़प पैकिंग का प्रोसेस या तो हो ही नहीं पाता और किसी प्रकार प्रोसेस पूरा कर भी लिया तो सूखाना सहज नहीं बन पा रहा है। इस प्रकार जब एक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती तब तक आगे की सारी प्रक्रियाएं गति नहीं पकड़ पाती। यहां इस क्षेत्र में संतोषप्रद वर्षा हो जाने से अधिकांश श्रमिक अपने गृह ग्रामों को कूच कर गये हैं। जिससे कई कभी मजदूरों के अभाव में अधरझूल में लटके पडे हैं। ग्रे क्लाॅथ के उठाव में कमी अप्रत्यक्ष रूप से ग्रे क्लाथ के उठाव में कमी अप्रत्यक्ष रूप से ग्रे में मंदी का ही संकेत हैं।
कुल मिलाकर चहल-पहल के स्थान पर पसरने की झलक लग रही है। इसके बाद भी रकम की आवक बदस्तूर जारी है। ग्रे क्लाथ के सौदे अब नहीं के बराबर हो रहे हैं और उद्यमियों को ऐसा लगता ही नहीं कि भावों में कोई उछाल आये। वैसे डाइड क्लाॅथ के निर्माताओं ने अभी तक भाव सूचि यथावत् ही रखी हुई है। स्थानीय अनुभवी उद्यमियों का कहना है कि इस फ्लेक सीजन के खराब होने के बाद उत्पादन में बाढ़ सी आ जायेगी और उसके बाद कम्पिटिशन का दौर शुरू हुए बिना नहीं रहेगा। यहां के उत्पादकों ने जिन अन्य मंडियों में अपनी सारी शक्ति झोंक कर व अपने कार्यकताओं के माध्यम से माल तैयार करवाया है। ऐसी यूनिटें अभी तो ट्रायल पर काम करती थी, उनके यहां आया माल स्तरीय नहीं रहा, परंतु ग्राहकोें की मांग पूर्ति का जरिया अवश्य रहा। अब ऐसी इकाइयां भी यहां का यही माल उत्पादन करने में आगे आने के समाचार है। जिसके कारण टफ कम्पिटिशन की संभावनाओं के बढ़ने के साथ यहां के व्यापार पर भी असर पड़ेगा।
सिथेटिक वस्त्रों के उत्पादन की हालात खराब बताई जा रही है। मिली जानकारों के अनुसार ऐसे प्रोसेस हाउस खाली पड़े है। बताया जाता है कि यहां प्रोसेस कास्ट अधिक आने के कारण दूसरी मंडियों में डायवर्ट हुए व्यक्ति पुनः इस मंडी में काम कराने के इच्छुक नहीं है। कई स्थानीय प्रोसेस हाउस अपने काम में बदलाव हेतु प्रयत्नशील है। प्रिन्टेड क्लाॅथ की यूनिटों ने अपने स्टाॅक में बढ़ते माल को देखकर नया माल बनाना ही बंद कर दिया है। अथवा उत्पादन मात्र 10१4% ही ले रहे हैं।
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