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भाव घटाकर माल बेचने को मजबूर निर्माता

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बालोतरा/ मन्दी की तेज बहती हवा ने व्यापारियों को ही नहीं उद्यमियों तक को सोचने हेतू मजबूर कर दिया है। जानकारी के अनुसार कतिपय उद्यमियों ने तो अपने अधिक स्टाॅक को देखकर आगे के नुकसान का आकलन कर, भाव घटाकर माल बेचना भी प्रारम्भ कर दिया है। हालांकि नया ग्रे आकर तैयार होने में भले ही लगभग एक मास का समय लगेगा। इसके साथ ऐसे उत्पादक भी हैं जो अपना माल अपने भावों में ही बेच रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में हम तो तुरन्त चालानी कर ही नहीं सकते, इसलिये अगली पार्टी को स्पष्ट भाव के साथ 15 दिन बाद ही डिलिवरी की बात करते हैं। कई पार्टियां कहती अवश्य है कि अमुक कम्पनी ने भाव घटाये हैं तो हमारा कहना रहता है कि आप उनसे ही माल लें, आपको फायदा रहेगा और इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है। ईरोड़ में 52“, 54“, 58“ व 60“ में पोपलीन बननी प्रारम्भ हुई तो इसका अच्छा खासा असर यहां के भावों पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा। निश्चित रूप से पोपलीन ग्रे में भाव घटे है, परन्तु इससे सम्बंधित अन्य सारे घटकों में भाव वृ(ि इतनी है कि ग्रे भावों की मन्दी का अस्तित्व नहीं रह जाता। कास्टिक के भाव उभार पर है, रंग रसायन में तेजी सर्वविदित है तथा डीजल के भावों में वृ(ि से कलर केमिकल के साथ यातायात खर्चे में भी बढोतरी हो गई है। सबसे प्रबल ज्वलंत समस्या श्रमिकों की है, जिस काम के लिये दस मजदूर चाहिए, उस काम के लिये मात्र दो मजदूर ही मिल रहे हैं। छुपाई व पेडिंग की मजदूरी इतनी बढ़ गई है कि सहसा उस पर विश्वास करना भी कठिन हो रहा है। परिस्थिजन्य इन बातों को देखकर नहीं लगता कि मन्दी की यह टोन टिकाऊ व स्थिर रह सकेगी। फिर भी जिस प्रकार यु( की अपवाह, यु( से भयंकर होती है, उसी प्रकार मन्दी शब्द की चिनगारी के फल दुष्परिणामजनक ही होते है। अपुष्ट समाचारों के अनुसार जल प्रदूषण के सन्दर्भ में यहां के औद्योगिक संस्थान पुनः बन्द किये जा सकते हैं, इसकी वास्तविकता को छोड़ कल्पना से ही उत्पादकों के चेहरे मायूस हो जाते हैं। प्रबंधन सीमित अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर डाॅ. वीणा प्रधान का रूख औद्योगिक हित में होने से कतिपय शर्ते उत्पादन पर लागू हो सकती है पर्यावरण हित में परन्तु बन्दी के कहर की सम्भावना नहीं है। महाराष्ट्र एवं गुजरात की नई टेक्सटाइल नीति से प्रभावित हो हतोत्साहित उद्यमी वहां कूच करने का विचार कर रहे हैं, जो विचारणीय है। अनुभवी उद्यमियों के अनुसार अभी भले ही हर स्टेज पर शिथिलता दृष्टिगोचर हो रही है। परन्तु श्रा( पक्ष के पश्चात् बिक्री का ग्राफ बढे+गा। प्रिन्ट नाईटी का अभी हाल बेहाल है तथा प्रिन्ट के अन्य आयटमों की बिक्री में भी दम नहीं है। सिंथेटिक गुड्स के आइटमों में मांग कमजोर चल रही है, इस दृष्टिकोण से पोपलीन की रफ्तार बेहतर समर्थन में कोई संकोच नहीं है।

                 

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