फर्निशिंग पर 5 प्रतिशत वैट लागू
महंगी बिजली और मंदी से परेशान भिवंडी के पावरलूम
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मुंबई/ असमंजस की स्थिति से गुजर रहे कपड़ा बाजार को फिलहाल कोई संतोषजनक कारक नहीं दिखाई पड़ रहा है कि बाजार के माहौल में सुधार हो। इधर लंबे समय से सीजन की ग्राहकी एक के बाद एक कमजोर पड़ती जा रही है। बाजार में विगत दिनों में सेंटीमेंट को कमजोर करने वाली हलचलें, जैसे कि वैट एवं रिटेल कारोबार में एफडीआई की मंजूरी, शुरू हुई थी, जो अभी तक पूर्णतया स्पष्ट तो नहीं हुई है, मगर कुछ समय के लिए थम जरूर गई है। महाराष्ट्र में फर्निशिंग पर वैट लगाने संबंधित अधिसूचना किसी वजह से ऐसी आशंका व्यक्त कर रही है कि कपड़ों की अधिकांश किस्मों पर वैट लग सकता है। हालांकि सेल्स टेक्स -वैट विभाग की ओर से बाजार से संलग्न एसोसिएशन के साथ खुलासा किया गया है कि राज्य सरकार का इरादा मात्र फर्निशिंग पर ही वैट लगाने का है।
महाराष्ट्र में फर्निशिंग पर रिटेल स्टेज पर 1 सितम्बर 2012 से 5 प्रतिशत वैट लागू कर दिया गया है। इस आशय की एक अधिसूचना भी जारी की गई है, जिसकी वजह से ऐसी हलचल बाजार में शुरू होने की जानकारी मिली है। व्यापारियांे का ऐसा कहना है कि यदि वैट को अमल में लाया जाता है और इसके कारण बाजार के संेटीमेंट पर विपरीत असर पड़ सकता है। सिर्फ धोती, साड़ी, सूटिंग एवं शर्टिंग को छोड़ अन्य पर वैट होने की आशंका का खुलासा कर दिया गया है और अब सिर्फ राज्य में फर्निशिंग पर ही 5 प्रतिशत वैट लगाया जायेगा।
महंगी बिजली और मंदी से परेशान भिवंडी के पावरलूम को राज्य सरकार कुछ राहत देने जा रही है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद पावरलूम उद्योग को बिजली की दर में सहूलियत दे कर इसे प्रति यूनिट 2 रूपये करने का आश्वासन राज्य के मुख्यमंत्री ने भिवंडी के विधायक अब्दुल रशीद मोमिन के साथ गये पावरलूम मालिकों के एक शिष्टमंडल को दिया है। लगभग एक साल पहले यार्न बाजार में स्थिरता लाने के लिए ठोस कानून बनाने पर जोर दिया गया था, परंतु आज तक उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। यार्न की उठापटक से आज भिवंडी में कई पावरलूम बंद हो चुके हैं। अब बिजली की ऊंची दर से बुनकरों की कठिनाई बढ़ गई है।
हालांकि कपड़ा बाजार में घनघोर सुस्ती का वातावरण है। 30 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक श्रा( पक्ष रहेगा, इसमें ग्राहकी वैसे भी नहीं रहती है। ऊपर से डीजल के भाव बढ़ जाने से ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ रही है और इसका भार भी आगे ग्राहकों पर पड़ने वाला है। देश के कुछ उत्पादन केंद्रों पर रूई की नई आवक कहीं-कहीं शुरू हो जाने के बाद बाजार में रूई के भाव नरम हो गये हैं, इसके कारण अब काॅटन यार्न के भाव में भी गिरावट आना शुरू हो गया है। दूसरी तरफ प्रदूषण के मुद्दों पर देश के कई भागों में प्रोसेस हाउसों के बंद हो जाने से कपड़ों की प्रोसेसिंग कार्य में जो व्यवधान आ गया था, उसमें अब थोड़ी राहत मिलती नजर आ रही है।
लेकिन डाइंग एवं प्रोसेस हाउसों पर प्रदूषण से निपटने के लिए समुचित व्यवस्था करने की जिम्मेदारी है। ऐसे में देश के जिन क्षेत्रों में प्रोसेस हाउस एवं डाइंग इकाई कार्यरत है, उनके लिए अब विशेष तौर पर जरूरी हो गया है कि वे स्वयं को इसके लिए तैयार रखे। वहीं कपड़ा बाजार विशेष गारमेण्ट क्षेत्र ने एफडीआई को अनुकूल कदम बता रहे हैं और इससे गारमेण्ट इकाइयों को लाभ होगा, विशेष कर उन इकाइयों को जिनके पास बुनियादी संरचना की व्यवस्था अच्छी है। वालमार्ट जैसी विदेशी कंपनी जिसके भारत में आगामी 10 से 12 महीने में आने की संभावना है, उसके आने से वैल्यूएडेड गार्मेंट को अधिक लाभ होगा। गुणवत्ता में और सुधार होगा, लागत पर नियंत्रण रखने से गार्मेंट के भाव कम हो सकते हंै, जिससे इनका उपयोग बढ़ सकेगा।
उद्योग सूत्रों के अनुसार एपरल इंडस्ट्री में मंदी है और कइयों ने अपनी विस्तार योजना को अमल में लाने से परहेज करना शुरू कर दिया है। गत महीने तक स्थापित क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया जा सका है। मई से सितम्बर के बीच बिक्री का माहौल कमजोर रहा है, अब त्यौहारी सीजन में इसके बढ़ने के आसार व्यक्त किये जा रहे हंै। मांग फिर से वापसी कर रही है और उम्मीद की जाती है कि पिछले अच्छे दिनों की वापसी हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कंपनियों ने अपनी क्षमता का विस्तार किया है, विशेषकर डेनिम एवं काॅटन शर्टिंग के उत्पादन को बढ़ाया गया है।
बीच में यार्न की बढ़ी कीमत के कारण देशी सूटिंग की उत्पादन लागत बढ़ी है। परंतु काउंटरों पर सेल कम होने तथा बाजार में मंदी से उत्पादक भाव बढ़ाने से कतरा रहे हंै। फिर भी रनिंग आइटमों में भाव बढ़कर बोले गये हैं। सूटिंग में प्लेन माल की जगह अब डिजाइन सूटिंग की ओर झुकाव है। मिलंे भी बाजार में नई डिजाइनें ला रही है। वूलन मिलों की बुक किये गये माल की डिलिवरी पर ध्यान है। मीडियम रेंज में भीलवाड़ा सूटिंग का भाव 7 से 8 रूपये मीटर बढ़ा है। आयातित सूटिंग में कोई मांग नहीं है। गार्मेंट इकाइयां चीन से आयातित टीआर फैंसी सूटिंग का उपयोग करती है, जो क्वालिटी हैवी होती है तथा फिनिश अच्छी होती है। बाजार में इसका भाव 200 रूपये के आसपास है। लिनन सूटिंग की रेंज 200 से 300 रूपये की है। बेसिक सलोना सूटिंग का नया माल 98 से 100 रूपये में पड़ रहा है।
सीजन को ध्यान में रखते हुए व्यापक रेंज में शर्टिंग की नई-नई वैराइटी बाजार में आ रही है। प्लेन, लाइनिंग एवं चैक्स की डिजाइनों ने बाजार में धूम मचाई है। फैंसी पैटर्न में छोटे चेक्स, बडे चैक्स तथा 100 प्रतिशत प्योर काॅटन की रेंज और लिनन शामिल है। आयातित शर्टिंग में ताइवान की असली गोपालजी एवं इंडोनेशिया से नकली गोपालजी दोनों का माल बाजार में है। 44 इंच पना के इस माल का भाव असली का जहां प्रति वार 75 रूपये है, वहीं नकली गोपालजी का 60 रूपये के आसपास है। रेमी शर्टिंग 54 इंच पना का बाजार भाव 115 से 118 रूपये के आसपास है। इसमें 58 इंच पना सफेद का भाव 125 से 126 रूपये हैं।
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