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यदि ग्राहकी चले तो ही होेगे स्टाॅक क्लीयर

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बालोतरा/ उद्यमियों की प्रदूषण के प्रति जागरूकता देख प्रशासन ने उत्पादन बन्द के आदेश को आगे नहीं बढ़ा कर जो राहत दी उसका सभी ने स्वागत किया। इससे उद्यमियों को निर्धारित नियमों के अनुरूप उत्पादन करने की छूट मिल गई। वैसे बाजार भले ही मन्दी की गिरफ्त में है, परन्तु स्टाक में जो ग्रे क्लोथ व अनफिनिश्ड गुड्स है, उसको तैयार कर समुचित व्यवस्था का आधार मिल गया है। औद्योगिक क्षेत्र पसरी विरानी में चहल-पहल दृष्टिगोचर होने लगी है। बन्द के दौरान जो श्रमिक यहां से चले गये, उनके नहीं लौटने से उत्पादन प्रक्रियाओं में बेहद परेशानियां अवश्य आ रही हैै। उद्यमियांे को नवरात्रा के बाद ग्राहकी अच्छी चलने की उम्मीद है। ग्रे क्लॅाथ के भावों में जिस कदर कमी हुई, उससे सारा वातावरण मन्दी में समाहित हो गया है,भले ही लागत के अन्य अवयवांे में भारी वृ(ि हुई हो। नवीनता आधारित ब्राण्डेड गुड्स को मन्दी की इतनी मार नहीं पड़ी, मगर छोटी युनिटांे को इस हवा ने धराशायी कर दिया। मंदी में छोटी इकाइयों को माल रिटर्निंग व भावांे की मशक्कत से जूझना अधिक पड़ता है। उत्पादकांे को मन्दी-तेजी से रू-ब-रू होना ही होता है, इसके वे अभ्यस्त होते हंै, इसलिए उनके चेहरे पर भाव ऐसे नहीं उभरते। प्रिंट पोपलीन का माल लम्बे समय तक पेडिंग न होने से अनफिनिश्ड रहा। अब वह माल फिनिशिंग मशीनांे पर कतार में लगा हुआ हैै। मशीनें तो अपनी क्षमता के अनुरूप ही माल फिनिश कर पाती है, इसलिये विलम्ब हो रहा हैै। हालांकि दिशावरी मण्डियांे में भी ग्राहकी में कोई दम नहीं है, वहां के व्यापारी आगे और मंदी की धारणा बनाये होने से अपने स्टाॅक का माल ही बेचने के इच्छुक हैं और नये माल के प्रति उनमंे कोई उत्साह नहीं है। यह जरूर है कि रंगाबेजी की कमी पूर्ति हेतु माल लेने की उनकी मजबूरी है और आंशिक रूप से ही माल मंगाते ह। जिन उत्पादकों को अपना नियमित कारखाना चलाना है वे अवश्य ग्रे क्लाॅथ खरीदने का सोचते हंै, अन्यथा अधिकांश उत्पादक तो माहौल बनने का ही इन्तजार कर रहे हंै। कुछ उद्यमी पड़ता बिठाने हेतू भी ग्रे क्लाॅथ खरीदते नजर आते है। वहि युनिटां ने ग्रे खरीदना शुरू किया तो भाव बढ़ते भी देर नहीं लगेगी। बाजार की इस असमंजस स्थिति से भुगतान संकट की स्थितिे बन रही है। रकम का विशेष प्रचलन दिशावरी मण्डियों में न होने से यहां उत्पादकों के पास रकम का कम आना सहज रूप से संभावित है। इतना सब कुछ होने के बाद भी उत्पादकों को विजयादशमी के साथ अच्छी ग्राहकी चलने की पूरी आशा है। ग्राहकी चल गयी तो पूरी कसर निकल जायेगी।

                 

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