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फैशन के दौर में भी साड़ी महिलाओं की पहली पसंद बनी

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मेरठ/ आधुनिकता और पश्चिमीकरण ने भारतीय जन-जीवन पर काफी प्रभाव डाला है पश्चिमी सभ्यता के चकाचैंध से महिलाओं के पहनावे पर भी क्रान्तिकारी परिवर्तन भले ही आया हो बावजूद इसके वह अपनी पारंपरिक परिधान साड़ी का मोह त्याग न सकी, जिसका परिणाम है, कि महिलाओं के किसी भी पहनावे से अधिक महत्वपूर्ण साड़ी साबित हो रही है। व्यक्तित्व निखारने में पहनावे की प्रमुख भूमिका होती है एक तरफ जहां सलवार, सूट, लहंगा, लांचा और वेस्टर्न परिधान तो बदल-बदल कर चल रहा है। पर पारंपरिक परिधान साडी, साडी ने फैंशन के इस दौर में भी पहली बाजी मारी है। कहने को साड़ी एक है, किन्तु इसे पहनने के अंदाज अनेक! छह गज की साड़ी कोई बंगाली स्टाइल में पहनता है, तो कोई महाराष्ट्रीयन ढंग से। कोई गौरी इसे सीधे पल्लू में बांधकर इठलाती है तो कोई उल्टे में । साड़ी एक ऐसा परिधान है जो विश्वस्तर पर अपनी पहचान मजबूती से दर्शा रही है। सलवार, सूट, लहंगा,लांचा पहनने वाली किशोरियों में भी साड़ी पहनने की बलवती होती जा रही है। किशोरियों और युवतियों का साड़ी के प्रति विशेष रूझान देखकर इन दिनों साड़ी के वेस्टर्न स्टाइल में निखार चर्म पर है। युवतियों में बदलते फैंशन का असर तेज हो ये शादी से पहले व बाद में साड़ी को पहनना ज्यादा पसंद कर रही है। जो बाॅडी फिट होकर युवतियों की खूबसूरती में चार चांद लगा रही है। जार्जेट, शिफाॅन, सिमर, क्रश कपडे+ की साड़ीयां जो प्रिंट व डिजाइनर वर्क दोनो में खूब पसंद की जा रही वो 375 रूपये से 1000/1800 रूपये तक की खरीद में हंै। मेरठ में जिस तेजी से फैशन बदल रहा है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है, कि फैशन यहां की जीवन शैली में शामिल है। साड़ी व्यापारी ‘दीपक त्यागी’ का कहना है। हमारे परंपरागत पहनावे पुनः लौटे हंै, बस उनका नवीनीकरण हो रहा है। ‘त्यागी’ का कहना है, कि वेस्टर्न साड़ी की मांग बनी हैै। यह परिधान हर वर्ग के बजट में उपलब्ध है। बूटिकों में 1000 से 2000 की रेंज में वेस्टर्न स्टाइल की साड़ीयां उपलब्ध है। इस परिधान के ब्लाउज में भी भारी काम किया जा रहा है। जिससे केजुअल पहनावे के साथ पार्टी में भी पहन सके। फैशन डिजाइनर ‘मनोज गुप्ता’ का कहना है, कि इस परिधान में पाश्चात्य और भारतीय स्टाइल का मिला जुला असर है। सूट घरों की अपेक्षा बुटिकों में वेस्टर्न स्टाइल की साडि़यां अधिक छाई हुई है किशोरियों में इसे आॅर्डर देकर बनवाने का क्रेज अधिक है। साडि़यों में बनारसी साड़ी ‘स्टेट्स आॅफ सिंबल’ समझी जाती है। बनारसी साड़ी के एक कारीगर हसन अली ;55द्ध का कहना है, कि बनारसी साड़ी सांस्कृतिक-मान्यताओं परंपराओं से प्रसि( है। बाजार में युवतियों के बीच बनारसी लहंगे, लांचे, कोटीदार सूट भी पसंद किये जा रहे हैं। बनारसी साड़ी की कीमत के बारे में बताते है, कि इसका मूल्य कोई निर्धारित नहीं है। दुकानदार ग्राहक को एक निगाह में देखकर साड़ी की कीमत बोलता है। वैसे तो कहने को बनारसी साड़ी 300 रूपये में भी मिलती है। और 30,000 से अधिक मूल्य में भी यह कीमत कम है। उम्र दराज अली ने साड़ी पहनावे के कुछ अमुल्य टिप्स भी दिये। उनका कहना है कि अगर महिला कुछ भारी भरकम है तो जार्जेट या शिफाॅन की साड़ी का प्रयोग कर सकती है। पतली दुबली महिलाओं को सूती, विश्यू, टसर या आर्गेन्जा जैसे फैब्रिक की साड़ी पहननी चाहिए। अगर लम्बाई कम है, तो चैड़ी बाॅर्डर के स्थान पर पतले बाॅर्डर वाली साड़ी पहने। पतली लम्बी महिलाओं को चोड़ी बार्डर और बोल्ड प्रिंट वाली साड़ी पहननी चाहिए।

                 

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