तूफान से पहले की शान्ति?
नवरात्र से ताबड़तोड़ ग्राहकी की उम्मीदें
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भीलवाड़ा/ अब शायद उम्मीदें पूरी होने का समय आ गया है। असमंजसता की स्थिति के बीच नवरात्र से ताबड़तोड़ ग्राहकी के कयास लगाये जा रहे हैं। लेकिन कुछ भी बात पूछने पर निर्माता निरुत्तर की स्थिति में है। कुछ भी जवाब या आगे क्या उम्मीद लगती है, केे प्रश्न पर बगलें झांकते नजर आते हंै। क्योंकि मई से लगातार चल रही सुस्ती ने व्यापारियों को घोर निराशा में भर दिया है। इसके अलावा अफवाओं का भी बाजार गर्म होने लगा है। लगातार मंदी होने के करण व्यापारी पूछते लगे हैं कि कौन जा रहा है?
1988 की यादें ताजा- वर्तमान स्थिति को देखकर व्यापारियों को 1988 की यादें ताजा हो गयी है। जानकारी के अनुसार 1988 में भी कपड़+ा बाजार की स्थिति ऐसी ही ठंडी रही कि कई व्यापारी कपड़ा बाजार में पलायन हो गये। बाजार में सन्नाटा पसर गया था लेकिन सूत्रों के अनुसार इस बार तो स्थिति ज्यादा भयावह है। इस बार मण्डी के साथ-साथ एकतरफ ग्राहकी नहीं है और दूसरी तरफ प्राॅडक्ट की लागत भी बढ़ती जा रही है।
प्रयास में सफलता- एक समय था जब व्यापारी स्वयं खरीदी पर आते थे और बाजार में काफी गरमा गरमी देखी जाती थी लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी है अब जो निर्माता सक्रिय प्रयास करते हंै उन्हें सफलता मिल रही है। अभी कई मिलांे के सेल्समेन रिटेल बुकिंग में गये हुए हंै हालांकि उन्हंे छुटपुट बुकिंग मिल रही है लेकिन उत्साह नहीं है।
प्रोडक्शन में कटौती जारी- ग्राहकी के अभाव में फिलहाल प्रोडक्शन में कटौती जारी है। जाॅब में नुकसान के बजाय उत्पादन बंद रखना मुनासिब है। प्रोसेसिंग स्तर पर भी यही स्थिति है। कुछ अच्छे सुविधायुक्त प्रोसेसर्स के पास पर्याप्त कामकाज है।
सुगम फेब द्वारा आक्रामक ब्राण्डिंग- आगामी सीजन के मद्देनजर ‘सगम फेब’ ने आक्रामक ब्राण्डिंग करने की योजना बना ली है। इसके लिए उसका आकर्षक ब्राण्डिंग अभियान शुरू हो रहा है। साथ ही उसने अपने कलेक्शन में जबरदस्त इजाफा करते हुए विस्तृत कलेक्शन तैयार किया है।
मोनालिसा के श्री मुकेश कोठारी के अनुसार व्यापार में अभी रौनक नहीं है। रिटेल हेतु गये हुए सेल्समेन को बुकिंग मिल रही है। अभी केवल फैंसी मालों में ही छुटपुट लेवाली है।
छुटपुट तैयारी यूनिफाॅर्म की- यूनिफाॅर्म निर्माताओं ने छुटपुट तैयारियां करना शुरू कर दिया है। चूंकि दीपावली बाद यूनिफाॅर्म क्षेत्र की पूछपरख शुरू हो जाती है।
यार्न बाजार- कपडे+ की उठाव नहीं होने व एक्सपोर्ट बाजार भी ठंडा होने के कारण यार्न बाजार भी कमजोर है। भावों में 3-5 रुपयों की गिरावट जारी है। निर्माताओं द्वारा अब यार्न बाजार को स्थिर बनाने की मांग उठने लगी है।
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