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कपास की बिजाई ने तेजी पकड़ी

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कमजोर मानसून से उत्पादन घटने की आशंका से काटन में तेजी मिरर ब्यूरो नई दिल्ली यद्यपि कपास की बिजाई ने तेजी पकड़ी है लेकिन अभी भी प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून की कमी है जिससे कपास की बिजाई एवं उत्पादन एवं उत्पादकता घटने की आशंका बनी हुई है जिससे कपास के भाव मं तेजी आई है। एक पखवाड़े के दौरान देश में कपास में 1000 रुपए की तेजी आ चुकी है। इस अवधि में अंतर्राष्ट्रीय काॅटन इण्डेक्स भी लगभग 2 सेंट प्रति औंस बढ़ा है। यद्यपि न्यूयार्क काॅटन यूचर के अक्टूबर, दिसम्बर एवं मार्च के सौदों में कोई तेजी नहीं है। कपास की बिजाई की रतार बढ़ गई है। 6 जुलाई से 13 जुलाई एक सप्ताह की अवधि के दौरान 18.61 लाख हेक्टेयर में बिजाई हुई। अब तक कुल 65.22 लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई सम्पन्न हो चुकी है जो गत वर्ष की तुलना में अधिक है लेकिन इस अवधि तक के सामान्य क्षेत्रफल 70.43 लाख हेक्टेयर से कम है। यही नहीं प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान सहित देश भर में अभी मानसून की कमी है। पंजाब-हरियाणा में बीते पखवाड़े जो वर्षा हुई है, उससे कपास किसानों को भारी राहत मिली है लेकिन महाराष्ट्र एवं गुजरात में वर्षा की भारी कमी है जिससे बिजाई, उत्पादन एवं उत्पादकता घटने की आशंका बनी हुई है। यही कारण है कि पिछले एक पखवाड़े में कपास में 1000 रुपए की तेजी आ चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काॅटन इण्डेक्स लगभग 2 सेंट बढ़कर 83.45 सेंट प्रति औंस हो चुका है। यद्यपि न्यूयार्क काॅटन यूचर में कोई तेजी नहीं है और अक्टूबर के सौदे 70.50, दिसम्बर सौदे 70.86 एवं मार्च के सौदे 71.51 सेंट प्रति औंस के हो रहे हैं। देश में लगातार दो वर्ष तक रिकार्ड उत्पादन होने के बाद इस बार मानसून में विलम्ब होने की वजह से बिजाई की शुरुआत धीमी हुई है जिससे उत्पादन और उत्पादकता घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। वर्तमान फसल वर्ष में किसानों को अपेक्षित दाम नहीं मिलने की वजह से भी कपास का रकबा घटने का अनुमान है। उत्पादन घटने के अनुमान से कपास की मांग में सुधार हुआ है जिससे इसके भाव तेजी की ओर अग्रसर हुए हैं। वर्तमान फसल वर्ष में किसानों को उनकी उम्मीद के अनुसार कपास के दाम नहीं मिले। इससे बिजाई शुरू होने से पहले की आंशका व्यक्त की जा रही थी कि किसान कपास की जगह अन्य उन फसलों की बिजाई करेंगे जिनमें उन्हं अच्छे दाम मिले हैं। इस बार देश के विभिन्न भागों में मानसून में विलम्ब हुआ है जिससे कपास की बिजाई की शुरुआत धीमी हुई है। अब मानसूनी वर्षा में कुछ सुधार हुआ है जिससे बिजाई की स्पीड बढ़ी है लेकिन किसानों का कहना है कि यद्यपि बिजाई ने जोर पकड़ा है लेकिन बीटी काटन के लिए देर हो चुकी है।

                 

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