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टेक्सटाइल मंत्रालय का टफ्स के अंतर्गत )ण साख वृ(ि का प्रस्ताव

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नइ दिल्ली/ टेक्सटाइल मंत्रालय पाॅवरलूम्स तथा प्रोसेसिंग क्षेत्र को )ण साख में वृ(ि पर विचार कर रहा है और इसके लिए मंत्रालय ने टैक्नोलाॅजी अपग्रेडेशन फण्ड के अंतर्गत )ण साख उपलब्ध करवाने की योजना तैयार की है। मंत्रालय ने इस योजना को पुनः बारहवी पंचवर्षीय योजना में शामिल करने का आग्रह योजना आयोग से किया है। पूर्व में 19 प्रतिशत अनुदान वस्त्र एवं प्रोसेसिंग क्षेत्र के टेक्नोलाॅजी अपग्रेडेशन योजना ;टफ्सद्ध के अंतर्गत उपलब्ध कराया जा रहा था तथा पुनर्गठित योजना में विविंग क्षेत्र को भी शामिल कर दिया गया था। यह नये शटललैस लूम्स के लिए जारी किया गया था लेकिन स्पिनिंग क्षेत्र का ब्याज पुनर्भुगतान 5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया था। सरकार ने बिना कोई बुनियादी ढांचागत परिवर्तन किये ही पावरलूम्स व प्रोसेसिंग क्षेत्र को अधिक मात्रा में )ण साख सुलभ करने का निर्णय लिया है तथा इन क्षेत्रों को अन्य क्षेत्रोें के मुकाबले अधिक वरियता व प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। टेक्सटाइल आयुक्त ए.बी. जोशी ने कहा कि पावरलूम व प्रोसेसिंग क्षेत्र की छोटी इकाइयों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन इकाइयों का योगदान घरेलू टक्सटाइल उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण रहा है तथा इन इकाइयों में गहरी प्रतिस्पर्धा भी है। टेक्सटाइल मंत्रालय के प्र्रस्ताव पर योजना आयोग ने योजना के पुनर्गठन की संभावना पर ध्यान देने के लिए कहा है। इसके लिए मंत्रालय ने टेण्डर भी जारी किये हैं। यह योजना पूर्व में जून 2012 के दौरान समाप्त हो चुकी थी, इसके बाद सरकार ने क्रिसिल को योजना की समीक्षा के लिए कहा था। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार टफ्स का उत्पादकता वृ(ि में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके साथ ही लागत में कटौती तथा गुणवत्ता सुधार में भी इस योजना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है लेकिन इससे लाभ अलग-अलग क्षेत्रों के लिए पृथक-पृथक रहे हैं। पावरलूम व प्रोसेसिंग क्षेत्र की हालत अभी भी चिन्ताजनक कही जा सकती है। अंतरमंत्रालय समिति कि एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2012 तक 25033 करोड़ रूपये का निवेश टफ्स योजना के अंतर्गत किया गया है जो 46900 करोड़ रूपये के लक्ष्य से 47 प्रतिशत कम है। अनुदान का वितरण 256 करोड़ रूपये रहा है जबकि लक्ष्य के 57 प्रतिशत कम है। अनुदान का वितरण 256 करोड़ रुपये रहा है जबकि लक्ष्य 1972 करोड़ रुपये रहा था। जांच किये गये 66 प्रतिशत आवेदनों को अस्वीकृत किया गया है।

                 

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