स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग से काॅटन न्यूनतम स्तर पर कई उत्पादन केन्द्रों पर भाव समर्थन मूल्य से नीचे गिरे
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नई दिल्ली/ नई फसल की आवक बढ़ने, निर्यात नहीं होने तथा स्पिनिंग मिलों की मांग भी सीमित रहने से काॅटन के भाव न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुके हैं। कई उत्पादन केन्द्रों पर भाव समर्थन मूल्य से नीचे गिरने के समाचार हैं जिसे देखते हुए कपड़ा मंत्रालय शाीघ्र ही सरकारी खरीद आरंभ करने की योजना पर काम कर रहा है। कार्यशील पूंजी की कमी की वजह से टेक्सटाइल मिलों की खरीद भी सीमित है और निर्यात मांग भी नहीं है। उद्योग सू+त्रों के अनुसार इस बार काॅटन एवं काॅटन यार्न के भाव में स्थिर रुख रहने का अनुमान है। सरकार ने वर्तमान कपास वर्ष 2012-13; अक्टूबर-सितम्बरद्ध के लिए कपास की दो बुनियादी किस्म मीडियम स्टेपल के लिए 3600 रुपए तथा लाॅग स्टेपल के लिए 3900 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित कर रखा है। प्राप्त खबरों के अनुसार कई उत्पादन केन्द्रों पर काॅटन न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिक रही है। महाराष्ट्र की मंडियों में ए ग्रेड की काॅटन अधिकतम 3000 रुपए बिक रही है। गुजरात की मंडियों में ए-ग्रेड शंकर-6 का कपास का औसत भाव 33000/34000 रुपए प्रति कैंडी; 356 किलोद्ध चल रहा है। काॅटन के भाव समर्थन मूल्य से नीचे गिरने की खबर आने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ गया है। कपड़ा मंत्रालय शाीघ्र ही समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद आरंभ करने की योजना पर कार्य कर रहा है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार काॅटन काॅर्पोरेशन आॅफ इंडिया 90 लाख गांठ कपास खरीदने की योजना बना रही है। यदि महाराष्ट्र काॅटन फेडरेशन समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं कर पाई तो फिर काॅटन कार्पोरेशन को इससे भी अधिक मात्रा खरीदनी पड़ेगी। नेफेड ने भी 30 लाख गांठ कपास खरीदने की इच्छा जाहिर की है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काॅटन का भाव भारतीय काॅटन से सस्ता है इसलिए भारतीय काॅटन में निर्यात मांग नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय काॅटन इण्डेक्स में भाव लगभग 80 सेंट प्रति औंस चल रहा है। दूसरी ओर स्पिनिंग मिलों के पास कार्यशाील पूंजी की कमी है इसलिए वे सीमित मात्रा में अपनी जरूरत के हिसाब से काॅटन खरीद रहे हैं। काॅटन यार्न की घरेलू मांग भी सीमित है। यार्न की निर्यात मांग बढ रही है लेकिन यह भी असीमित नहीं है। इसलिए स्पिनिंग मिलें अपनी जरूरत के हिसाब से ही काॅटन खरीद रही हैं।कपड़ा उद्योग महासंघ के सेक्रेटरी जनरल श्री डी के नायर के अनुसार सरकार को टेक्सटाइल इकाइयों को काॅटन की खरीद के लिए सस्ती ब्याज दरों पर कार्यशाील पूंजी मुहैया करानी चाहिए। उन्होने कहा कि इस साल भारतीय काॅटन में चीन की मांग कमजोर रहेगी क्योंकि चीन ने यार्न स्पिनिंग करने की वजाए यार्न आयात करने का निर्णय लिया है। यही कारण है कि चीन को काॅटन यार्न का निर्यात बढ रहा है क्योंकि चीन में कामगारों के वेतन बढ़ने की वजह से स्पिनिंग प्रतिस्पर्धी नहीं रह गया है इसलिए चीन स्पिनिंग कम कर रहा है। इस समय मासिक काॅटन यार्न निर्यात लगभग 80 मिलियन किलो का हो रहा है जिसमें से 75 प्रतिशत चीन जा रहा है। कपास सलाहकार बोर्ड ने इस साल 920 मिलियन किलो काॅटन यार्न निर्यात होने का अनुमान लगाया है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 827.68 मिलियन किलो था। इस साल सितम्बर 2012 तक 461.52 मिलियन किलो का निर्यात हो चुका है। कपास निर्यात 70 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल यह 128 लाख गांठ हुआ था। सरकार ने 20 एमएम और इससे नीचे की छोटे रेशे वाली असम कोमिला एवं बंगाल देशी कपास के लिए 3100 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित कर रखा है। मध्यम रेशे वाली किस्मों के लिए 3350 से 3450 रुपए प्रति क्विंटल, मीडियम रेशे वाली किस्मों के लिए 3600 रुपए, 3700 रुपए एवं 3750 रुपए, लम्बे रेशे वाली किस्म के लिए 3800 से 3900 रुपए तथ अतिरिक्त लम्बे रेशे वाली कपास के लिए 4100 से 5100 रुपए का समर्थन मूल्य तय किया गया है।काॅटन एवं काॅटन यार्न स्थिर रहने का अनुमानइस बार काॅटन का उत्पादन कम है लेकिन निर्यात मांग भी कम है जिससे काॅटन एवं काॅटन यार्न के भाव स्थिर रहने का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर भी ज्यादा उतार-चढ़ाव के कोई कारण नहीं है। इस बार काॅटन के वैश्विक उत्पादन में तीन प्रतिशत की कमी का अनुमान है जबकि खपत 3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है जिससे अगले सीजन में कैरी फारवर्ड स्टाॅक 29 प्रतिशत कम रहेगा। काॅटन काउट लुक के अनुसार इस साल ग्लोबल उत्पादन घटकर 25.93 मिलियन टन रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल यह 26.73 मिलियन टन था। काॅटन आउट लुक के अनुसार भारत में 340 लाख गांठ प्रत्येक ;प्रत्येक गांठ 170 किलोद्ध अर्थात् 5.78 मिलियन टन काॅटन का उत्पादन होने का अनुमान है। गत वर्ष उत्पादन 345 लाख गांठ अर्थात 5.86 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था। चीन में उत्पादन गत वर्ष के 7.2 की तुलना में 6.94 मिलियन टन होने का अनुमान है। पाकिस्तान में उत्पादन 2.17 मिलियन टन होने का अनुमान है, पिछले साल यह 2.21 मिलियन टन था। ग्लोबल खपत 22.10 मिलियन टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल के 21.40 मिलियन टन से अधिक है। चीन की खपत पिछले साल के 7.8 की तुलना में 7.6 रहेगी लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश की खपत 7.73 रहेगी। यह पिछले साल के 7.70 से अधिक है। ब्राजील, अमेरिका और टर्की की खपत भी ज्यादा रहेगी। फलस्वरूप अगले सीजन के लिए कैरी ओवर स्टाॅक 3.83 मिलियन टन रहेगा जो पिछले साल के 5.33 मिलियन टन से कम होगा।
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