किड्सवियर श्रेणी में भी निजी लेबल्स का बोलबाला
|
|
|
मुम्बई/ चालू वर्ष के प्रारंभ में देश के सबसे बड़े किड्स वियर रिटेल ब्राण्ड लिलिपुट ने बिक्री में कमी प्रदर्शित की। इसके बाद जिन्नी एण्ड जाॅनी ब्राण्ड भी उधार के दायरे में आ गया। दोनांे ही ब्राण्ड्स की सप्लाई सीमित हो गई। ऐसे में जो रिटेल स्टोर इन ब्राण्ड्स की बिक्री करते थे, वे सकते में आ गये। स्थिति का मुकाबला करने के लिए शाॅपर्स स्टाॅप ने कैरट नामक नया निजी ब्राण्ड पेश किया।
शाॅपर्स स्टाॅप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अनुसार 33,000 करोड़ वाले किड्स वियर बाजार में कमी को उनामिया नामक ई-रिटेलर ने भी कैश किया उनामिया ने निजी लेबल लांच कर दिया। उनामिया ब्राण्ड की एक अधिकारी के अनुसार कई राष्ट्रीय ब्राण्ड रिटायर्ड हर्ट हुए और इसका कारण मांग में कमी नहीं था। किड्सवियर काॅम्प्लीकेटेड मार्केट है और इसलिए कंपनियों को इसके लिए तैयार रहना पड़ता है। साइज के विषय में काफी सोचना पड़ता है। इनका स्टोरेज और डिस्प्ले भी आसान नहीं है। आॅनलाइन रिटेलर्स को काफी लाभ होता है। किड्सवियर श्रेणी में ब्राण्ड लाॅयल्टी कम रहती है। इसलिए निजी लेबल्स के लिए इस श्रेणी में सरवाइव करना आसान है। लोग वैल्यू और अफोर्डेबिलिटी दोनांे देखते हैं। क्योंकि बच्चों के कपड़े काफी जल्दी पहनने योग्य नहीं रह जाते । बच्चों की लम्बाई बढ़ जाती है और कपड़े फिट नहीं रह पाते है। ऐसे में माता पिता बच्चों के लिए अफोेेर्डेबल डिजाइनर वियर चाहते है। ऐसे में निजी लेबल्स के लिए लाभ कमाना आसान रहता है। महिंद्रा रिटेल जो कि माॅड एण्ड मी स्टोर्स के माध्यम से संचालन कर रही है, अब ई-कामर्स माध्यम से भी सक्रिय होना चाहती है। महिन्द्रा रिटेल के एक अधिकारी के अनुसार किड्स वियर श्रेणी बढ़ रही है और काफी संभावनाएं रखती है। हालांकि इसमें साइज का काफी अन्तर रहता है इसलिए स्टाॅक रखना और सप्लाई बनाये रखना चुनौतिपूर्ण है।
|
|
 
 
 
|