भारतीय वस्त्र निर्यातकों की निगाहें गैर परम्परागत बाजारों पर
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नई दिल्ली/ भारत के वस्त्र निर्यातकों को इस समय वियतनाम, बांग्लादेश से कठोर प्रतिस्पर्धा का सामना अमेरिका व यूरोप के निर्यात हेतु करना पड़ रहा है। यूरोप ने बांग्लादेश को कमजोर राष्ट्र का दर्जा दे रखा है और इसी संदर्भ में उसे विशेष आयात शुल्क का भी लाभ प्राप्त होता रहा है लेकिन भारतीय वस्त्र निर्यातकों ने रूस, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, आॅस्ट्रेलिया, पश्चिम एशिया जैसे गैर परम्परागत बाजारों में अपनी पहुंच स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है। भारतीय निर्यातकों ने गैर परम्परागत क्षेत्र की निर्यात हिस्सेदारी को 24% से बढ़ाकर 35% करने का निर्णय लिया और इस कार्य में सरकार का भी उन्हंे सहयोग मिल रहा है। अनेेक रोड शो भी आयोजित किये गये हैं तथा व्यापार मेलों में भी हिस्सा लिया है।
अमेरिका को भारत के निर्यात वर्ष 2012-13 के जुलाई माह तक 10.46% घटकर 1.94 बि. डाॅलर रह गये हंै। अमेरिका के टेक्सटाइल व वस्त्र विभाग के आंकड़ोें के अनुसार चीन व बांग्लादेश से अमेरिका के आयात स्थिर रहते हैं जबकि वियतनाम से अमेरिका को निर्यात में 9% की वृ(ि”दर्ज की गयी है। वस्त्र निर्यात परिषद के अध्यक्ष श्री ए शक्तिवेल ने कहा कि भारत अपने निर्यात की हिस्सेदारी को गैर परम्परागत देशों को 24% से बढ़ाकर 35% करना चाहता है। अगर ऐसा हो जाता है तो यूरोपीय यूनियन को निर्यात की हिस्सेदारी घटकर 40% रह जायेगी।
तिरूपुर से वर्ष के प्रथम छमाह के दौरान 6,000 करोड़ रूपये के वस्त्रों का निर्यात किया गया है जो गत वर्ष की समान अवधि के बराबर है। तिरूपुर से वर्ष के दौरान 12,500 करोड़ रूपये के वस्त्रों का निर्यात होता है लेकिन गत तीन वर्ष से यह स्तर रहा है। इण्डियन टेक्सटाइल इण्डस्ट्री संगठन के महासचिव श्री डी.के. नायर ने कहा कि अमेरिका यूरोप जैसे परम्परागत निर्यात बाजारों पर निर्भरता को कम किये जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही भारतीय वस्त्र उत्पादकों को अपनी उत्पादकता क्षमता के विकास के साथ उत्पादन क्षमता को कम करने पर ध्यान अवश्य देना होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका के बाजार मे धीरे-धीरे सुधार हो रहा है जो भारतीय निर्यातकों के लिए अच्छा समाचार है। उन्होंने कहा कि वस्त्र निर्यात परिषद विश्व स्तर पर खरीदारी व विक्रेता सम्मेलनों का आयोजन करती रही है। भारतीय निर्यातकों ने रूस, इजरायल, दक्षिण अफ्रीका, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क की यात्रा गत महिने के दौरान की हैै। इन सभी बाजारों में व्यापक घुसपैठ करना बहुत आसान नहीं है। श्री शक्तिवाल ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2012-13 के लिए कुल 18 बि. डाॅलर के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है।
श्री नायर ने कहा कि इस लक्ष्य को अर्जित कर पाना कठिन होगा क्योंकि यूरोप का बाजार अभी भी बहुत कमजोर बना हुआ है। लुधियाना के निर्यातक श्री दीपक कुमार ने कहा कि आम आदमी के लिए तैयार किये जाने वाले वस्त्रों की तुलना में उच्च श्रेणी के वस्त्रों की मांग अच्छी है। उन्होंेने कहा कि उनकी कंपनी आगामी गर्मियों के उत्पादन पर ध्यान केन्द्रित कर रही है तथा उन्हें उचित मूल्य के आदेश भी प्राप्त हो रहे हैं। उन्हांेने कहा कि में टिकने के लिए उचित मूल्य स्तर पर विक्रय करना अनिवार्य है। उनकी कंपनी गेटवे के द्वारा सूती निट व ऊनी स्वेटर्स का निर्यात किया जाता है।
इसके अलावा अण्डरगारमेण्ट, शटर््स, स्वीट शर्ट एवं टाॅप्स का भी निर्यात किया जाता है। उन्होंने पोलो, एरो, आईजोड़, नाॅटिका, आस्टिनरीड, जैसे ब्राण्ड उत्पादों का अनुबंधित उत्पादन भी किया है। लुधियाना आधारित निर्यातकों को रूस व पश्चिम एशिया के बाजार आर्थिक आकर्षक लग रहे हैं।
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