ब्राण्डेड घरों के पास पर्याप्त कामकाज
यार्न में अप्रत्याशित तेजी से छुटभैयों की हालत पतली
बिजली का अघोषित कटौति बनी समस्या
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भीलवाड़ा@ लगातार लम्बे समय से चला आ रहा मायूसी का माहौल स्थानीय मण्डी से हटने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां आॅल इण्डिया मार्केटिंग करने वाले ब्राण्डेड घरानों के पास कामकाज पर्याप्त है वहीं छुटभैयों की हालत पतली होती जा रही है। धीरे-धीरे छोटे निर्माताओं की हिम्मत जवाब देती नजर आ रही है।
जानकारी के अनुसार एक तरफ बाजार में ग्राहकी कमजोर है वहीं दूसरी ओर यार्न के भावों में अप्रत्याशित तेजी आती जा रही है। 2@30 पीवी डाइड के भाव गत दिनों 202 रुपये थे जो धीरे-धीरे 220-222 रुपये तक पहुंचने के समाचार है। तथा इसके 230 रुपये तक भी पहुंचने की खबर है। लेकिन कुछ सूत्रों के अनुसार मिले भले ही भाव बढ़ा ले लेकिन वास्तविक खरीदी के भाव कुछ और ही है। और अब इसमें कमी के आसार नजर आ रहे हंै। क्योंकि लगातार एक के बाद सीजन घुटने टेकता जा रहा है। बाजार में घोर निराशा का माहौल है। पैसे की आवक बहुत कमजोर बनी हुई है। ऐसे में भावों में नरमी के कयास लगाये जा रहे है। सूत्रों के अनुसार कपास की कमजोर पैदावार से काॅटन में तेजी, फैंसी पीवी का बढ़ता ट्रेण्ड एवं खपत व टेक्स बाई टेक्स। कपड़े की घटती मांग के चलते यार्न बाजार को बल मिल रहा है। यही कारण है कि यार्न बाजार अप्रत्याशित बढ़ रहा है। अब यदि आगे भी सीजन नहीं चलता है तो बाजार से कई पार्टियों की उठने की खबरें आने लगेगी और यदि आगामी दो-तीन महीने आशानुरूप चल गये तो बढ़े भाव भी पच सकते हैं। प्रोसेस हाउसों की स्थिति सामान्य बनी हुई है। बाजार की सुस्ती का आलम इन पर साफ दिखायी पड़ रहा है।
बिजली की अघोषित कटौति में बाजार परेशान नजर आया। विशेषकर औद्योगिक क्षेत्रों में बिना समय अनिश्चित कटौती उद्योगों को उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
यूनिफाॅर्म बाजार में इस समय थोड़ी शान्ति देखी जाती है लेकिन केन्द्रीय विद्यालयों की ड्रेस बदलने से इस बाजार में पुनः हलचल शुरू हो गयी है। व्यापारी जल्द से जल्द इसकी मांग को पूरा करने में लगा है।
एक सर्वे के अनुसार बाजार में धीरे-धीरे ब्राण्डेड कपड़ों का क्रेज बढ़ता जा रहा है। लोगों की खरीद क्षमता बढ़ने से व सस्ती क्वालिटी व अनब्रण्डिड कपड़ा नहीं खरीद कर ब्राण्डेड कपड़ों की ओर ही रूख किये हुये है। मौटे तौर पर देखा गया है कि ब्राण्डेड व अनब्राण्डेड कपड़े के ज्यादा ज्यादा से 20-25 रुपये मीटर का अन्तर रहता है। लेकिन कपड़े को सिलने में टेलर तो उतनी ही सिलाई लेते हंै। ऐसे में ग्राहक अच्छी क्वालिटी खरीदने को तरजीह दे रहा है। वैसे भी महंगाई के दौर में कपड़े का बजट तो सिकुड़ता ही जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान में सरकार द्वारा यूनिफाॅर्म कपड़े की सप्लाई केवल कम्पोजिट यूनिटों को ही दिये जाने की घोषणा के कारण छोटे निर्माताओं में रोष व्याप्त है। सूत्रों का कहना है कि आॅर्डर भले ही कम्पोजिट यूनिटों को मिल रहे हो लेकिन वे माल सस्ते में बाजार से ही सोर्सिंग कर ऊंचे दामों में सप्लाई कर रही है। ऐसे में छोटे निर्माताओं को कामकाज में तकलीफ हो रही है। ‘मुरारका सूटिंग’ के श्री महेश मुरारका ने बताया कि ओवर आल बाजार की स्थिति तो ठीक नहीं है लेकिन उनके पास कामकाज अच्छा बना हुआ है। यार्न की अप्रत्याशित तेजी व बिजली की अघोषित कटौती समय-समय पर परेशान कर रही है। ‘एयरटेक्स’ के श्री ललित पोरवाल के अनुसार 5-7 दिन से बाजार में अच्छा मूवमेण्ट है उनके पास लिनन बेस आइटमों में अच्छी डिमाण्ड है। इसके अलावा उनकी काॅटन बेस आइटम फ्रेश लुक की हमेशा बाजार में मांग बनी रहती है। ‘रोडास सूटिंग’ के श्री ओ. पी. तिवारी के अनुसार अब धीरे-धीरे बाजार सुधरने लगा है। दिशावर से भी डिमाण्ड आने लगी है। पिछले हते ही श्री तिवारी ट्यूर से लौटे है उनको बाजार से अच्छा रिस्पोंस मिला है। ‘जयकरणी सूटिंग’ फैंसी डिजाइनदार मालों की कोलकाता, बनारस, कानपुर, लखनऊ व गोरखपुर में बहुत अच्छी डिमाण्ड है। ‘एमसीएम’ द्वारा डवलप की गई ईद के आइटम की अच्छी डिमाण्ड बनी हुई है इसके अलावा मिल द्वारा डवलप की गई लिनन रेंज को भी अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है।
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