प्रिण्टेड पोपलीन में आई जान पेमेण्ट कमजोर
|
|
|
बालोतरा/ दीपोत्सव जिस शान के साथ मनाया गया उससे लगता ही नहीं की यहां मंहगाई कि मार ने मजा किरकिरा करने में कोई योगदान दिया हो। इससे यह तो लगता है कि समय सामान्य भावों के इर्द-गिर्द रहता तो दीपावली के जश्न का रंग ही अभिनव होता। कुछ भी हो रंग के इन्द्रधनुषी नगर ने यह तो बता ही दिया कि हमारी खुशियों का रंग किसी भी परिस्थिति में स्याह पड़ने वाला नहीं है। फिलहाल वस्त्र रंगाई-छपाई उद्योग में पर्याप्त उत्पादन लेना सहज नहीं है, कठिनाइयों का ज्वार-भाटा के बीच भी उद्यमी अपने अस्तित्व बनाए रखने हेतु हिम्मत और हौसलों के सहारे गतिशील है।
फिलहाल अवकाश में औद्योगिक गतिविधियां शिथिल है जो शीघ्र सप्ताह-दस दिन में अपने यौवन पर आने की तैयारी है। श्रमिकों को यह अहसास हो गया कि हमारे बिना क्रियाएं सम्भावित नहीं है, इसलिए भरपूर मजदूरी लेने और देने का क्रम है। इसके बाद भी मजदूरों की कमी व्याप्त है। मजदूरों का कहना है कि यहां कम उत्पादन लेने के साथ कभी बन्द-शुरू के कारण हमंे नुकसान उठाना पड़ता है, इसलिए अन्य स्थानों पर मजदूरी हमारे लिए अधिक फायदेमंद रहती है। क्षेत्र में अभी विरानी है, न कोई कोलाहल न कोई रंगांे की चहक-महक है, और न ही कोई प्रदूषित पानी का बहाव।
लाभ पंचमी के साथ माल चालानी में तीव्रता स्पष्ट नजर आ रही है, इसका कारण मुम्बई के सौदों का निपटान है। इतना होने पर भी रकम की आवक कमजोर होने से आड़तियांे को विशेष दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। किन्तु उन्हें आशा है कि अगले सप्ताह तक यह स्थिति सामान्य हो जायेगी।
पोपलीन की रेडीमेड माल की मांग में निरन्तर इजाफा हो रहा है। प्रिण्टेड पोपलीन में आई शिथिलता में भी जान आई लग रही है। सिन्थेटिक माल की चालानी सन्तोषजनक बताई जा रही है, वह भले ही उत्साहवर्धक न हो परन्तु फेन बेल्टों की संख्या में निरन्तर हो रही वृ(ि का आशय स्वतः ही समझा जा सकता है।
|
|
 
 
 
|