काॅटन यार्न की आपूर्ति टाइट होने पर भी भाव लुढ़के
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मंुबई/ यार्न बाजार स्थिर है। कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं हो रहा है। वीवर्सों की लेवाली नहीं है। जहां सिंथेटिक यार्न की कुछ किस्मों के भाव में कमोबेश सुधार दिखाई दिया है, वहीं काॅटन यार्न में पिछले कुछ समय से भाव गिरावट की ओर हो गये हैं। बाजार में यार्न की कोई ठोस मांग नहीं है। आर्थिक संकट बना हुआ है। काॅटन यार्न की मांग में सुधार की पूरी संभावना के बीच अचानक बाजार में आई गिरावट को समझने में दिक्कतंे आ रही है। आमतौर पर ऐसी परिस्थिति वीवर्सों के लिए नुकसानदेय साबित हो रही है।
वास्तव में अधिकांश स्पिनिंग मिलें साउथ में होने से वहां रोज करीब 14 घंटे बिजली की कटौती हो रही है और इसका असर वहां के ग्रे कपड़ों के उत्पादन के साथ ही साथ काॅटन यार्न की आपूर्ति पर भी पड़ रहा है। निर्यात कमिटमेंट को पूरा करने में मिलों का ध्यान होने से देशी बाजार में इनकी आपूर्ति गडबड़ा गई है। दरअसल काॅटन यार्न का निर्यात पूर्व वर्ष के स्तर से 4.17 फीसदी बढ़ा है। डाॅलर मूल्य की दृष्टि से काॅटन यार्न का निर्यात 2011-12 में 11 प्रतिशत बढ़कर 299 करोड़ डाॅलर रहा है, जो पूर्व वर्ष 269.6 करोड डाॅलर था।
आज बाजार में काॅटन यार्न के जो भाव है, उससे 40, 50 और 60 काउंट के सूती ग्रे कपड़ों के उत्पादन को बनाए रखने में बुनकर को पसीने आ रहे हंै। बाजार में सिंथेटिक यार्न समेत अनेक यार्न के भावों कमोबेश एक दो रूपए ऊपर एवं नीचे पर स्थिर लग रहे हंै। ग्रे कपड़ों के उत्पादन में भी ठहराव देखा गया है, लेकिन दिसम्बर के दूसरे पखवाड़े से यार्न बाजार में सुधार की संभावना व्यक्त की जा रही है।
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