100 प्रतिशत काॅटन प्लेन में सुधार ः पीसी में हल्के
पावरलूम कपड़ों और लायक्रा की जबरदस्त मांग
|
|
|
मुंबई/ बाजार में ग्राहकी का समर्थन कमजोर बना रहने से चारों तरफ निराशा का माहौल है। कपड़ों में उत्पादन भी आधा हो चुका है। साउथ में रोज 14 घंटे बिजली की कटौती होने से वहां उत्पादन करीब 60 प्रतिशत तक घटा है। भिवंडी में मंदी, मजदूरों की कमी और बिजली की दरों में की गई भारी वृ(ि से पावरलूम उद्योग में मायूसी छा गई है। मंदी के कारण यहां से मजदूरों का पलायन हो रहा है, इससे लूमांे पर कारीगरों की भयंकर कमी महसूस की जा रही है। बिजली की दर के खिलाफ आवाजें उठ रही है और कहा जा रहा है कि इस उद्योग को बर्बाद होने से बचाना है तो गौर करना जरूरी है।
इन दिनों भिवंडी के पावरलूम उद्योग में भयंकर मंदी का दौर चल रहा है। यार्न के भाव में हो रही मनमानी भाव वृ(ि तथा आये दिन इनके भाव में होते उतार-चढ़ाव के कारण पावरलूम में तैयार होने वाले ग्रे कपडे+ लंबे समय से अंडर काॅस्ट बिक रहे हंै। इससे पावरलूम मालिकों को नुकसान में काम करने के बजाय कारखानों को बंद रखने में ज्यादा रूचि है। परंतु कारखानों को लंबे समय तक बंद रखने में भी आर्थिक नुकसान मालिकों को ही उठाना पड़ रहा है। वहीं इचलकरंजी में साइजिंग इकाइयों में दिवाली से शुरू हड़ताल अभी खत्म नहीं हो सकी है। अभी करीब 70 प्रतिशत साइजिंग बंद बताये जा रहे हैं।
आमतौर पर बाजार में जनवरी मध्य से स्कूल यूनिफाॅर्म, गरमी के सीजन के माल की ग्राहकी के साथ वैवाहिक ग्राहकी भी बाजार में रहने की संभावना से कारोबारी प्रोगामिंग कर रहे हंै। काॅटन कपड़ों का उत्पादन कम हो जाने से काॅटन यार्न की मांग घटी है। काॅटन यार्न में गिरावट का दौर शुरू हो गया हैं। भिवंडी, मालेगांव, बुरहानपुर इत्यादि पावरलूम उत्पादन केंद्रांे पर कपड़ों का उत्पादन सीमित प्रमाण में होने से ग्रे कपड़ों के भाव कुछ ऊंचे बोले जा रहे हंै। निर्यात कामकाज कोई खास नहीं है। इस समय अमेरिका एवं यूरोप में क्रिसमस का वेकेशन शुरू हो चुका है, जिनके पास पहले से आॅर्डर रहे है, वे ही निर्यात में कामकाज कर रहे हैं।
स्वदेशी टेक्सटाइल मशीनरी की मांग को प्रोत्साहन दिये जाने की जरूरत है। सरकार को सेकेंड हैंड मशीनरी के आयात पर नियंत्रण लगाने चाहिए, इससे स्वदेशी नई मशीनरी की मांग बढे+गी, सेकेंड हैंड शटल लेसलूम के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। एक अनुमान के अनुसार आयातित टेक्सटाइल मशीनरी का बाजार 6000 करोड रूपये से बढ़कर 2020 तक 12000 करोड रुपये तक हो सकता है। वहीं दूसरी ओर टेक्सटाइल इंजीनियरिंग उद्योग की उत्पादन क्षमता वार्षिक 3800 करोड़ रूपये से बढ़कर 2020 तक 9200 करोड रूपये होने की संभावना व्यक्त की गई है।
सूती कपड़ों की देश में एवं निर्यात बाजार में मांग बढ़ रही है। इसके मद्देनजर इसमें और पूंजी निवेश की जरूरत है। यदि निटेड एव वोवन गारमेण्ट की तरह निटेड एवं वोवन फेब्रिक्स को प्रोत्साहन दिया जाये तो इसके निर्यात को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इतना ही नहीं ब्लेंडेड फेब्रिक्स के निर्यात को भी प्रोत्साहन की आवश्यकता है। कुछ देशों में ऐसे कपड़ों की मांग बढ़ी है। निर्यातकों का मानना है कि देश से काॅटन मेडअप्स के निर्यात को बढ़ाने की अच्छी संभावनाएं हैंं परंतु इसके लिए अच्छी प्रोसेसिंग सुविधा और मूल्य वृ(ि की ओर ध्यान देने की जरूरत है।
डेनिम कपड़ों की मांग देशी बाजार और निर्यात दोनों जगह अच्छी रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है। कारण कि इस साल कपास के भाव काफी सही स्तर पर है, इससे डेनिम के उत्पादन पर खर्च कम आ रहा है, उत्पादन इकाइयों को माल को बेचने में सुविधा होगी। मीडियम रेंज की सूटिंग तथा फैंसी पैकिंग सूटिंग की मांग यथावत है। इसके अलावा बाजार में साटीन, डाॅबी, अच्छी क्वालिटी की पोपलीन, काॅटन लायक्रा एवं लिनन कपड़ों के लिए अच्छे संयोग बन रहे हंै। बाजार में इन आइटमों की मांग बढ़ने के संकेत मिले हंै। लायक्रा की मांग शर्टिंग एवं सूटिंग दोनों में है।
यार्न डाईड शर्टिंग में डार्क कलर की मांग विंटर में रही है, परंतु अब समर सीजन के लिए बाजार में पूछताछ हो रही है। समर सीजन के लिए व्हाइट बेस एवं थोडे+ लाइट कलर के माल की ओर रूख लग रहा है। इसमें छोटे चैक्स एवं स्ट्राइप दोनों की मांग रहेगी। पिं्रट में स्थिति कमजोर लग रही है। 100 प्रतिशत काॅटन प्लेन कपड़ों की मांग सुधरेगी। पीसी में हल्के माल की संभावना है, यह माल भिवंडी में बनता है। लायक्रा की मांग बहुत ही जबरदस्त है। इसमें 30*20, 144*74 54 इंच पना का भाव 150 रूपये, 144*48 48 इंच पना का भी 150 रूपये है। 20*220 पोली लायक्रा 56 इंच पना का 145 रूपये हैं। 16 स्लब/300 ब्राइट 80/64, 54 इंच पना का भाव 140 रूपये हैं।
धोती में कपड़े का उत्पादन कम होने और बाजार में मांग रहने से भाव फिर 5 रूपये तक बढ़ गये हंै। धोती की आपूर्ति में रूकावट आ गई है क्योंकि इचलकरंजी में दिवाली से साइजिंग में हड़ताल चल रही है और यह अभी जारी है। अधिकांश लूमों पर उत्पादन नहीं होने से धोती ग्रे का उत्पादन कम हो रहा है। 64/56, 9 मीटर 47 इंच का बाजार भाव बढ़कर 220 रूपये हो गया है। पीसी धोती का भाव 173 रूपये हो गया है। ब्लाउज में फैंसी माल की मांग है। इस समय वीविंग में फैंसी एवं मूल्यवर्धित आइटमों की मांग अधिक है। प्लेन कपड़ों की मांग में बढ़ोतरी जनवरी से संभव है। इसमें उत्पादक कम होते जा रहे हैं और उत्पादन भी घटा है।
|
|
 
 
 
|