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रिटेल में मिली जुली ग्राहकीः किड्स वियर में काफी हलचल

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कोलकाता/ और फिर एक साल अपने अन्तिम दौर में है। 2012 में टेक्सटाइल उद्योग को काफी उम्मीदें थी। वर्ष 2012 की शुरूआत भी काफी संभली हुई थी लेकिन समय के साथ व्यवसाय एक सीमित दायरे से बाहर नहीं निकल पाया। देश में कपड़े की खपत ज्यादा होते हुए भी व्यापार के हिसाब से विस्तार की रेखा ज्यादा बढ़ नहीं पाई। जो कारोबार हुआ वो सालभर बदलते रहा। इस वजह से व्यापारियों के पास खाता उधार का ज्यादा नकद का कम रहा। स्टाॅक की स्थिति मजबूत हो गयी। कपड़ा व्यवसायियों को इस साल काफी तेजी की उछाल को झेलना पड़ा। दूसरी ओर लोगों की पसंद का दायरा भी काफी बढ़ गया, परिणाम यह हुआ कि ज्यादा वैरायटी पर ध्यान देना पड़ा। यहां पर टेक्सटाइल सम्बन्धी अखबारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी मिरर के माध्यम से उत्पादकों, एजेंटों, होलसेल कारोबारियों और रिटेलर के बीच एक सम्पर्क सेतू का सर्र्जन हुआ है। मण्डी के समाचारों का आदान प्रदान विश्वसनीय तरीके से हुआ है। जो कपड़ा उद्योग के लिए नया और मजबूत स्तम्भ माना गया। वर्तमान स्थिति में बाजारों में रिटेल ग्राहकी मिलीजुली है। शहरी इलाकों में सिले-सिलाये कपड़ों की मांग दिन प्रतिदिन होती जा रही है। सीजन के उपरान्त भी कारीगरों के पास काम रहने लगा है, जो ढ़ाचे का परिवर्तन है। नई पीढ़ी का झुकाव रेडीमेड की तरफ लगातार बढ़ रहा है। इस माह के अन्त तक क्रिसमस की छुटपुट खरीददारी रहेगी विशेष रूप से किड्स वियर में काफी हलचल देखी जा रही है। शर्टिंग में चेक्स और पेनल की मांग है, काफी माल भिवण्डी से इन दिनों आ रहा है। भीलवाड़ा की शर्टिंग में मध्यम रेन्ज में थोड़ी डिमाण्ड निकली है। रेडीमेड में ब्राण्डेड कपड़े से ज्यादा नाॅन ब्राण्डेड कपड़े की मांग और खपत ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों में अभी भी कपड़े सिलाई कर पहनने का ट्रेड है लेकिन लगन के सीजन छोड़ कर ज्यादा खरीददारी नहीं होने की सूरत में होलसेल मार्केट में उत्साह नहीं दिख रहा है। एक ट्रेड अभी भी मार्केट को सम्भाले हुए है वह है स्कुल यूनिफाॅर्म। थोड़ी कमजोरी यहां पर भी देखी थी लेकिन दिशा अभी भी सही है और इस वजह से अन्य कपड़ों की तुलना मेें स्कूल ड्रेस की रफ्तार बनी हुई हैं। मुटियाबुज में गोरखपुर के ट्रोविन के माल की खपत अच्छी है। नए साल में यहां कि स्थिति और भी मजबूत हो जायेगी और भी नगरों का माल स्कूल ड्रेस के लिए आता है, कम दाम के कपड़े के माल की मांग अधिक है। ड्रेस मटेरियल, चदर, मोटा कपड़ा, रजाई और कम्बल की मांग भी निकल रही है। नया माल टेक्सटाइल उद्योग के लिए चुनौती लेकर आयेगा नयी सोच के साथ कई परिवर्तन आयेंगे लेकिन परिवर्तन से व्यापारियों को टेक्सटाइल उद्योग बड़े क्षेत्र के रूप में उभरने की सम्भावनाएं दिख रही है। कपड़ा उद्योग में जब भी कोई चुनौती आती है तो नयी-नयी दिशाएं अपने आप खुल जाती है। अब लोगों का टेस्ट पहनावे की नवीन शैली को आकर्षित करता है सो अब स्टोर की जगह बुटिक होंगे। 2013 की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं और आगे बढ़ना ही प्रगति है।

                 

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