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जूट बोरियों की पैकेजिंग को अनिवार्य बनाने को मंजूरी मांग की तुलना में आपूर्ति कमजोर-वस्त्र मंत्री श्री आनंद शर्मा

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नई दिल्ली/ सरकार ने जूट वर्ष 2012-13 ;01 जुलाई 2012 से 30 जून 2013 के लिए चीनी उत्पादन के कम से कम 40 प्रतिशत और 90 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन की जूट की बोरियों में पैकेजिंग को अनिवार्य बनाने को मंजूरी दे दी है। कपड़ा मंत्रालय ने इसके अनुसार न्यूनतम पैकेजिंग की जानकारी अधिसूचित कर दी, जिसमें पर्याप्त उपलब्धता की स्थिति में जूट के बोरों के अधिक इस्तेमाल की बात भी शामिल की गई। वस्त्र मंत्री श्री आनंद शर्मा ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में खासतौर से पूर्वी राज्यों में जूट क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस क्षेत्र में करीब 3.7 लाख लोगों को सीधे रोजगार मिला हुआ है और करीब 40 लाख कृषक परिवारों की आजीविका चलती है। उन्होंने इस क्षेत्र के किसानों और श्रमिकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस क्षेत्र को संरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों से पता चलता है कि खरीफ मार्केटिंग मौसम 2012-13 के दौरान आपूर्ति की तुलना में जूट के बोरों की मांग अधिक रही। इस मौसम में जूट के बोरों की 14.07 लाख गांठों की आवश्यकता थी, जबकि जूट मिलों द्वारा केवल 12.97 लाख गांठोंे की आपूर्ति की गई, जिससे 1.10 लाख गांठों की कमी रही। आगामी रबी मौसम 2013-14 के लिए सरकार ने अनुमान लगाया कि नवंबर 2012 से मई 2013 तक 20 लाख गांठों की जरूरत पड़ेगी। जूट उद्योग ने संकेत दिया है कि वे 16 लाख गांठों की आपूर्ति कर पाएगा, जिससे चार लाख गांठों की कमी रह जाएगी। इस वर्ष कच्चे जूट का उत्पादन 93 लाख गांठों के स्तर पर आने का अनुमान है, जिसका पूरा इस्तेमाल जूट मिलंे कर लेंगी। ये मिलें अन्य जूट उत्पाद बनाने के लिए इस सामग्री का इस्तेमाल करती हैं। वर्ष 2012-13 में कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2200 रूपये प्रति क्विंटल तय किया गया, जबकि पिछले वर्ष यह 1675 रूपये प्रति क्विंटल था। इस समय कच्चे जूट का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य के स्तर से ज्यादा है। उन्होंने बताया कि जूट मिलों में बेरोजगारी की धारणा के विपरीत श्रमिकों की कमी है।

                 

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