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गारमेण्ट कपड़ों की धीमी मांगः सीजनल उत्पादन पर जोर

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मुंबई@ गारमेण्ट के लिए कपड़ों की लेवाली शुरू हो गई है। यह सच है कि बाजार का मूवमेंट फिलहाल धीमा लग रहा है। लेकिन जो बाजार में नीरस एवं सुस्त हो गया था और ऐसा लग रहा था कि बाजार में फिर से रौनक कब आयेगी। मंुबई में सीएमएआई द्वारा आयोजित नेशनल गारमेण्ट मेला सफल रहा है और इसने लंबे समय से सुस्त गारमेण्ट कपड़ों की मांग को फिर से पटरी पर लाने में अहम् भूमिका निभाई है। अब गारमेण्ट का बाजार सकारात्मक लग रहा है और आॅफ सीजन के कारण जो स्टाॅक पड़ा है उसके निकल जाने पर बाजार में नये स्टाॅक की मांग को अच्छे अवसर मिल सकते हैं। बाजार के जानकारोें का ऐसा कहना है कि फिलहाल पहले से ही कमजोर मांग तथा एक के बाद एक ब्रिकी की सीजन फेल हो जाने से उत्पादकों ने अपने उत्पादन को सीमित कर रखा था ताकि आॅफ सीजन में उनको ज्यादा स्टाॅक से नहीं जूझना पड़े। वैसे भी आमतौर पर 15 अगस्त के आसपास से बाजार में नए माल की आवक शुरू हो जाती है। क्योंकि इन्हीं दिनांे में त्यौहारी सीजन का आगाज भी हो जाता है। अतः अल्पावधि के इस आॅफ सीजन में कमोबेश अनसोल्ड स्टाॅक क्लीयर हो जाएगा। कम स्टाॅक का एक दूसरा कारण यह रहा है कि इस साल निर्यात बाजार भी अत्यंत कमजोर साबित हुआ है। निर्यात के जो आंकडे+ मिले हैं, उसके अनुसार अप्रैल-मई में भारत से गारमेण्ट का निर्यात करीब 13ø घटा है। इसके बावजूद एपरल एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल ने 2012-13 के लिए 18 अरब डाॅलर के निर्यात का लक्ष्य तय किया है, जो पूर्व वर्ष के 13 अरब डाॅलर की तुलना में वर्तमान बाजार हालातों को देखते हुए काफी अधिक लग रहा है। एक तरफ भारत में बंगलादेश से मुक्त आयात किया जा रहा है और भी संधि हो रही है ताकि अधिक से अधिक बाजार को खोला जाए। पूजा एवं ईद की ग्राहकी कोलकाता में कभी भी फेल नहीं हुई है। कोलकाता में चिल्ड्रन वियर एवं गल्र्स वियर के रेडीमेड का उत्पादन 95ø तक होता है। इसी तरह का उत्पादन इंदौर में भी किया जाता है। गल्र्सवेयर में लाइट शेड्स अधिक चलता है, जबकि चिल्ड्रन वियर हल्के, पीले एवं लाल कलर के गारमेण्ट कपड़ों का उत्पादन होता है। वहीं दूसरी ओर किशोरों में इन दिनों डेनिम की ओर झुकाव अधिक है। परंतु अब लिनन एवं लायक्रा सूटिंग एक अच्छे विकल्प के बतौर उभरे हैं। ये आइटम अपने विशेष गुणों की वजह अपनी पैठ बना ली है। वहीं चिल्ड्रन वियर में निट्स की ओर बाजार का रूख है। शर्टिंग में लिनन छा गया है। इसमें काॅटन लिनन, 100ø लिनन और आयातित माल रेमी की मांग रही है। अन्यों में यार्न डाइड शर्टिंग में छोटे चैक्स की मांग हैं। इनमें सिंगल कलर को अधिक पसंद किया जा रहा है। स्ट्राईप में छोटे एवं बडे+ दोनों की मांग बरकार है। आमतौर पर विंटर में डार्क कलर की स्ट्राइप अधिक चलती है। इसके अलावा आॅक्सफोर्ड वीव एवं ट्विल वीव ग्राउंड बेस में चलते हैं। इन आइटमों की मांग आगे की सीजन में भी रहने से उत्पादन पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

                 

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