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गारमेण्ट पर अनिवार्य उत्पाद शुल्क को वैकल्पिक करनेे की मांग गारमेण्ट सेक्टर की खराब स्थिति के लिए अनिवार्य शुल्क जिम्मेदार

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नई दिल्ली/ देश के सभी वस्त्र संगठन सरकार से एक बार फिर गारमेण्ट पर लगे उत्पाद शुल्क को हटाने की मांग कर रहे हैं। उद्योग का कहना है कि सरकार को गारमेण्ट एवं मेडअप्स को भी वैकल्पिक ड्यूटी का लाभ देना चाहिए। वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा है कि सरकार टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट सेक्टर के लिए सहायता उपायों पर विचार कर रही है, इससे उम्मीद बनी है कि वित्त मंत्री उद्योग एवं व्यापारिक संगठनों द्वारा गारमेण्ट पर शुल्क हटाने की मांग पर विचार करेंगे। वित्तमंत्री और कपड़ा मंत्री को इस बात की जानकारी है कि हाल के वर्षों में मांग में कमी-खासकर पश्चिमी देशों की मांग घटने से टेक्सटाइल उद्योग पर दबाव है। उद्योग-व्यापार को उम्मीद है कि आगामी बजट में वित्त मंत्री के लिए इस उद्योग की सहायता के लिए उपाय करने का बहुत अच्छा मौका है। टेक्सटाइल उद्योग के समक्ष उत्पाद शुल्क के मामले में ब्राण्डेड गारमेण्ट और मेडअप्स पर ऊंची अनिवार्य ड्यूटी का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। कुछ वर्षों से पूरे टेक्सटाइल और क्लोदिंग उद्योग को वैकल्पिक ड्यूटी मुहैया कराई गई है जिससे इस उद्योग का उल्लेखनीय विकास हुआ है। लेकिन वर्ष 2011-12 के बजट में जब ब्राण्डेड गारमेण्ट और मेडअप्स पर अनिवार्य उत्पाद शुल्क लगाया गया तो कपड़ा उद्योग महासंघ ने अन्य सेगमेंट के साथ इसका विरोध किया लेकिन अनिवार्य उत्पाद शुल्क को समाप्त करने की बजाए वर्ष 2012-13 के बजट में इसे 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इस समय गारमेण्ट सेगमेंट की स्थिति घरेलू और निर्यात के मोर्चे पर बहुत खराब है और इसके लिए अनिवार्य उत्पाद शुल्क ही जिम्मेदार है। अनिवार्य उत्पाद शुल्क ने इस सेगमेंट को मंदी के कगार पर पहुंचाया है। कपड़ा उद्योग महासंघ ने उम्मीद जताई है कि सरकार इस बार उद्योग की मांग की ओर ध्यान देगी और अनिवार्य ड्यूटी को अन्य सेगमेंट की तरह वैकल्पिक करेगी ताकि सभी टेक्सटाइल उत्पादों की घरेलू मांग बढ़ सके। इस बारे में सभी संगठनों की ओर से कपड़ा उद्योग महासंघ शीघ्र ही अपना बजट पूर्व ज्ञापन तैयार कर वित्त मंत्री से गारमेण्ट पर उत्पाद शुल्क समाप्त करने का अनुरोध करेगा। कपड़ा उद्योग महासंघ शीघ्र ही वित्त मंत्रालय के अधिकारियों एवं वित्त मंत्री से मिलेगा और शुल्क और कर सम्बंधी अपने सुझाव और सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। कपड़ा उद्योग महासंघ ने सरकार ने मांग की है कि ब्राण्डेड गारमेण्ट और मेडअप्स पर 12 प्रतिशत की अनिवार्य ड्यूटी को 8 प्रतिशत वैकल्पिक किया जाए। इस समय पूरे टेक्सटाइल उत्पादों को वैकल्पिक ड्यूटी का लाभ दिया जा रहा है। गारमेण्ट और मेडअप्स सर्वाधिक श्रम प्रधान हैं और यह टेक्सटाइल चेन का फाइनल प्रोडक्ट है जो टेक्सटाइल चेन में सभी उत्पादों की खपत में प्रमुख है। गारमेण्ट सेक्टर सेनवेट क्रेडिट लेने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उनके सप्लायरों को छूट मिली हुई है। इस बारे में एसोसिएशन आॅफ होलसेल रेडीमेड गारमेण्ट्स डीलर्स, अशोक बाजार के प्रधान श्री कवंल कुमार बल्ली ने भी केन्द्रीय वित्तमंत्री से गारमेण्ट पर लगे उत्पाद शुल्क को हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो उत्पाद शुल्क को वैकल्पिक किया जाना चाहिए। कपड़ा उद्योग महासंघ के अनुसार कपड़ा उद्योग के विकास के लिए फाईबर तटस्थ कराधान नीति दूसरी सबसे बड़ी जरूरत है। कपड़ा मंत्रालय ने ऐसी नीति तैयार तो की है लेकिन अभी इस पर अमल होना बाकी है। वर्तमान कर ढांचा मानव निर्मित फाइबर उत्पादों में विविधीकरण को हतोत्साहित करता है क्योंकि इन फाइबर पर ऊंची कस्टम और एक्साइज ड्यूटी का बोझ है। कपड़ा उद्योग महासंघ सरकार से अनुरोध करता आया है कि शुल्क की इन असमानताओं को दूर किया जाए और इस सेगमेंट को अपने लक्ष्य को पूरा करने दिया जाए। उम्मीद है कि इस मुद्दे पर भी वर्ष 2013-13 के बजट में इस पर ध्यान दिया जाएगा।

                 

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