कौन है मार्केट का राजा?
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अक्सर यह कहा जाता है कि ‘कस्टमर इज द किंग’ लेकिन ये बोलते समय लोग कस्टमर व कन्ज्यूमर में अंतर करना भूल जाते हैं।
कस्टमर व कन्ज्यूमर में क्या फर्क है?ः कस्टमर वह व्यक्ति होता है। जो मार्केट से प्राॅडक्ट खरीदकर कन्ज्युमर तक पहंुचाता है। लेकिन खुद कन्ज्यूम नहीं करता है इसको एक उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है। जैसे कोई एक मां अपने बच्चे के लिए कोई मिनरलयुक्त डाइट का लिक्विड आइटम खरीदती है और बच्चे को खिलाती है। तो इस केस में मां कस्टमर हुई और बच्चा कन्ज्यूमर। अगर बच्चे को वह वस्तु पसंद नहीं आयी, तो मां को वही चीज लाकर उसे देनी पडे+गी जो बच्चे को ज्यादा पसंद है। अगर मां ;कस्टमरद्ध को कोई वस्तु ज्यादा अच्छी लग भी रही है लेकिन बच्चा ;कन्ज्यूमरद्ध उसे पसंद नहीं कर रहा है तो पसंद बच्चे की ही चलेगी, ना की मां की। इसलिए किंग कन्ज्यूमर हुआ न की कस्टमर।
सेल्स एण्ड मार्केटिंगः अक्सर लोग इसमें भी अंतर करते समय कन्फ्यूज हो जाते हैं। मार्केटिंग सेल्स की जननी है जब आप अपने प्राॅडक्ट के विषय में मार्केट में बात करना प्रांरभ करते हैं तो इसके लिए विभिन्न माध्यम का चयन करते हंै। जो आप मार्केटिंग कर रहे होते हैं। मार्केटिंग के माध्यम से आप ग्राहक तक अपनी पहंुच बनाने की कोशिश करते हंै और जब यह कोशिश व्यापार में परिवर्तित हो जाती है तो सेल्स का रूप ले लेती है। मार्केटिंग वाले कोई प्राॅडक्ट सेल नहीं करते, बल्कि ऐसे वातावरण का निर्माण करते हंै जिससे ग्राहक को यह लगता है कि प्राॅडक्ट अच्छा है और फिर उसे सेल्स टीम अप्रोच करती है तो वह अपना आॅर्डर पेश कर देते हैं। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मार्केटिंग का काम सेल्स जनरेट करने का माहौल बनाने का रहता है।
मार्केटिंग के माध्यम ः मार्केटिंग हेतु वैसे तो बहुत सारे माध्यम है मगर मुख्य रूप से तीन भागांे में विभाजित किया जा सकता है-
1ण्।ज्स् रू ।इवअम ज्ीम स्पदम
2ण्ठज्स् रू ठमसवू ज्ीम स्पदम
3ण्ब्ैत् रू ब्वतचवतंजम ैवबपंस त्मेचवदेपइपसपजल
1ण् ।ज्स्ः जो माध्यम तुरंत आपके प्राॅडक्ट की पहुंच आम जनता तक बनाने में सक्षम है एवं इसके द्वारा आप कम से कम समय में अधिसंख्य पब्लिक तक अपनी आवाज पहुंचाने में कामयाब हो जाते हंै उसे इसमें रखा जाता है। वैसे तो इस केटेगरी के अन्तर्गत ढे+रांे माध्यम आते हंै मगर विशिष्ट तौर पर टी.वी., रेडियो, न्यूजपेपर, पत्रिका, होर्डिंग व कियोस्क इत्यादि उल्लेखनीय है।
2ण् ठज्स्ः इस केटेगरी में वे माध्यम शामिल होते हंै जो जमीन से जुड़े होते हंै और धीरे-धीरे अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम होते हंै जैसे- साइन बोर्ड, केलेन्डर, विभिन्न प्रकार के लिफलेट, स्टेण्ड्स, पोस्टर, डायरी, बैनर, इत्यादि। ठज्स्को नींव की ईंट के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। जबकि ।ज्स् किसी बिल्डिंग के कंगूरे की तरह होता है।
3ण् ब्ैत्ः इस माध्यम के द्वारा आप सामाजिक हित का कार्य करते हंै मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह जिस समाज में रहता है उसके प्रति उसकी जो जिम्मेदारी होती है उसका आंशिक निर्वाह वह इस माध्यम से कर सकता है। समाज के पिछड़े वर्ग, दलित समाज, बीमार व लाचार व्यक्तियों की सेवा हेतु छळव् लगे हुए हैं। जिन्हें अपना योगदान देकर आप अपने सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति कर सकते हंै। किसी कंपनी, व्यक्ति अथवा सस्ंथा द्वारा दिये गये योगदान के प्रतिफल के रूप में विज्ञापन का अवसर प्रदान किया जाता है जिससे प्राॅडक्ट को पहचान तो मिलती ही है साथ ही सामाजिक दायित्वों की पूर्ति भी होती है। आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह माध्यम लाभदायक है। क्योंकि इस तरह दिये गये दान पर आयकर में छूट भी मिलती है।
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