गारमेण्ट निर्यातकों के बजट पूर्व ज्ञापन में निर्यात बढ़ाने के सुझाव
ब्राण्डेड गारमेण्ट से उत्पाद शुल्क हटाने एवं सिंथेटिक@ब्लेण्डेड फैब्रिक्स पर कस्टम ड्यूटी घटाने का अनुरोध
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नई दिल्ली/ गारमेण्ट निर्यातकों ने केन्द्र सरकार को भेजे अपने बजट पूर्व ज्ञापन में सिंथेटिक ब्लेण्डेड फैब्रिक्स पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 5 प्रतिशत करने तथा टेक्सेवल सर्विस पर सेवा कर छूट देने तथा फाइनेंस एक्ट 1994 की धारा 66 डी ;पद्ध ;पपद्ध एवं ;पपपद्ध सर्विसेस का विस्तार करने का सुझाव दिया है।
अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चैयरमेन डा. ए. शक्तिवेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री पी चिदम्बरम् को भेजे अपने बजट पूर्व ज्ञापन में कहा है कि सिंथेटिक@ब्लेण्डेड फैब्रिक्स पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने से अगले तीन साल में गारमेण्ट निर्यात को दोगुना तथा वर्ष 2013-14 में निर्यात 10 प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है। काउंसिल ने सुझाव दिया है कि वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए अगले बजट में वस्तु एवं सेवा कर को लागू किया जाए।
काउंसिल ने ब्राण्डेड गारमेण्ट से उत्पादन शुल्क हटाने का अनुरोध किया है। काउंसिल ने कहा है कि पिछले बजट में घरेलू बाजार में बिकने वाले रेडीमेड गारमेण्ट पर 12 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाया गया है और 30 प्रतिशत खुदरा मूल्य पर 12 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगता है। बंग्लादेश के साथ हुए हाल ही के करार में वहां से आयात होने वाले गारमेण्ट पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं है। विभिन्न कारणों की वजह से बंग्लादेश के गारमेण्ट का मूल्य भारतीय गारमेण्ट से कम है। रोजगार एवं बंग्लादेश से प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए काउंसिल ने ब्राण्डेड गारमेण्ट से उत्पाद शुल्क हटाने का अनुरोध किया है।
प्रत्यक्ष कर में खर्चों के मूल्यह्यास के लिए टीडीएस प्रावधान का पालन नहीं करने तथ का अनुरोध किया गया है। ईसीजीसी के लिए दिए गए प्रीमियम पर सेवा कर की छूट दी जाए। सिंथेटिक गारमेण्ट के उत्पादन एवं फाइबर की प्रोसेसिंग के लिए विशेष मशीनरी का शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा उद्यमि सिंथेटिक गारमेण्ट उत्पादन में निवेश कर सकें।
उत्पाद शुल्क के लिए सभी निर्माता इकाइयों के लिए जिनके कार्यालय दिल्ली, नोयडा, गुड़गांव में है बढ़ती उधारी दर को देखते हुए निर्यात क्षेत्र के बचाव के लिए मौद्रिक नीति में अलग चेप्टर होना चाहिए तथा निर्यात क्षेत्र को आधार दर प्रणाली से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि आधार दर न्यूनतम उधारी दर होती है। प्री-शिपमेंट एवं पोस्ट शिपमेंट एक्सपोर्ट क्रेडिट भारतीय रुपए में बेस रेट पर दिया जाना चाहिए।
निर्यातकों को विदेशी मुद्रा का क्रेडिट मिला चाहिए। निर्यातकों को 3 प्रतिशत की रियायती दर पर कैपीटल गुड्स आयात करने की छूट है। इसके लिए डीजीएफटी बैंक गारंटी देने के बाद लाइसेंस प्रदान करता है। बैंक यह गारंटी 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष पर देता है। बैंकों को गारंटी चार्जेज हर वर्ष न लेकर केवल एक ही बार 3 प्रतिशत या इससे कम लिया जाना चाहिए। निर्यातकों को वस्तु एवं सेवा कर लागू होने तक राज्यों द्वारा ली गई लेवी-आॅक्ट्राॅय आदि एवं परिवहन लागत का 3 प्रतिशत क्षतिपूर्ति की जाए।
टेक्सटाइल प्रोद्योगिकी उन्नयन कोष योजना का लाभ लेने वालों को ईपीसीजी स्कीम के तहत शून्य प्रतिशत शुल्क की सुविधा दी जाए। बैंकों को टेक्सटाइल प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना के तहत आए आवेदनों को विलम्बित नहीं करने तथा शीघ्र निबटाने के निर्देश दिए जाए।
विंड टरवाईन जनरेटर को टेक्सटाइल प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना के तहत पुनः 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दी जाए।
लघु एवं मध्यम उद्यमियों के लिए प्लांट और मशीनरी के लिए निवेश की सीमा 10 से बढ़ाकर 25 करोड़ की जानी चाहिए ताकि एसएमई श्रेणी की निटवियर इण्डस्ट्री वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सके।
सरकार को परम्परागत बाजारों के अलावा अन्य बाजारों को निर्यात करने पर मार्केट लिंक्ड फोकस प्रोडक्ट स्कीम के तहत 5 प्रतिशत प्रोत्साहन देना चाहिए।
मशीनरी आयात पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी ;सीवीडीद्ध एवं शिक्षा उप कर समाप्त किया जाए। इससे देश में गारमेण्ट मशीनरी के आधुनिकीकरण को मदद मिलेगी जिससे गारमेण्ट की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा लागत घटेगी।
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