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यूनिफाॅर्म की ग्राहकी शुरू ः जाॅब रेटें बढ़ी

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इचलकरंजी/ स्थानीय ग्रे कपड़ा बाजार में पावरलूम पर उत्पादन होने वाले केम्ब्रिक, पोपलीन की अच्छी ग्राहकी चल रही है। इसके साथ रेपीयर तथा एयरजेट लूम्स पर उत्पादन होने वाले कपड़ों के लिए अन्य बाजारों से अच्छी मांग रहने से यहां के जाॅब रेट भी बढ़ गये हैं। हाल में ग्रे कपड़े का उत्पादन पूरी क्षमताओं से अभी भी शुरू नहीं है। कामगारों की कमी, पावर की कटौती तथा वित्तीय तंगी के कारण आज की स्थिति में 70 से 75 प्रतिशत ही है। शायद इसी वजह से बाजार में कपड़े के दाम तथा जाॅब रेट बढ़ रहे हैं। इस नये साल में भी कपड़ा उत्पादन कम ही रहेगा ऐसा जानकारों का मानना है। गत 2012 साल कपड़ा उत्पादकों के लिए भारी नुकसान कारक रहा औैर इस नये 2013 साल में भी इस स्थिति में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। बरसात के दिनों में इस साल अच्छी बारिश न होने से कपास का उत्पादन सात प्रतिशत घटा हुआ है। साथ में कम बारिश की वजह से बिजली उत्पादन भी कम रहने की सम्भावना है। शायद इस नए साल में भारी अकाल का संकट आम आदमी के सामने आ सकता है। इसके चलते महंगाई और बढ़ने की सम्भावना लग रही है। आगामी समर सीजन तथा नए शिक्षा वर्ष में लगने वाले यूनिफाॅर्म की मांग को मद्देनजर रखकर कपड़ा व्यापारी बाजार की मांग का अध्ययन कराने तथा उसे पूरा कराने के नियोजन मेें व्यस्त है। गत कई वर्षों के अनुभव के आधार पर आने वाले सीजन का अनुमान व्यापारी लगा रहे हैं। कई कपड़ा व्यापारियों ने कपड़ा उत्पादक उद्यमियों से संपर्क किया है, जो कि आने वाले आॅड्र्स को पूरा करने में पावरलूम उद्यमी व्यस्त है। आज की स्थिति में संक्रांति एवं मलमास की वजह से बाजारों में व्यापार सुस्त है। लेकिन 15 जनवरी से वैवाहिक सीजन का दूसरा दौर शुरू हो रहा है। साथ में स्कूल यूनिफाॅर्म की ग्राहकी शुरू हो रही है। इससे चलते काॅटन सिन्थेटिक तथा पीवी, पीसी को लेवाली अच्छी रहने की संभावना है। वैवाहिक सीजन के आगामी वैवाहिक सीजन में साड़ी, सलवार कुर्ता, साड़ी फाॅल, साड़ी पेटीकोट में भारी ग्राहकी होने का अनुमान व्यापारियों ने लगाया है। स्थानीय पावरलूम उद्यमी एक तरफ कारीगरों की कमी से काफी परेशान हैं इसके साथ स्थानीय कामगार संगठनों ने कामगारों के वेतन बढ़ाने हेतु 14 जनवरी से काम बन्द आन्दोलन छोड़ने का ऐलान किया है। तीन साल पहले कामगारों का वेतन बढ़ाकर दिया गया था। उस करार की अवधी दिसम्बर 2012 में खत्म हो गयी हैं। इसलिए कामगार संगठनों ने नवम्बर 2012 के शुरू से वेतन बढ़ाने हेतु सरकारी कामगार अधिकारी को निवेदन किया था। इस विषय पर पावरलूम विवरों के सभी संगठनों के प्रतिनिधि और कामगार संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच हुई तीन मिटींग्ज विफल हो जाने से कामगार संगठनों ने हड़ताल करने का निर्णय लिया है। इससे कपड़ा उत्पादन और घटने की सम्भावना है। इस संकट को रोकने के लिए 14 जनवरी के पहले दोनोेंे संगठनों के बीच दोनांे पक्षों के लिए सन्तोषजनक निर्णय होना जरूरी है। इससे लिए दोनों तरफ से कोशिश जारी हैं। लेकिन तुरन्त हल निकालने की सम्भावना कम लग रही है। इससे पावरलूम उद्यमी चिंतित है। उधर महाराष्ट्र सरकार ने वर्र्ष 2013-18 के लिए नई उद्योग पाॅलिसी की घोषणा की है। इसमें अन्य उद्योगों के साथ कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने हेतु तथा आधुनिकता लाने हेतु कई योजनाएं शुरू करने का निर्णय उद्योग मंत्रालय ने लिया है। इस नई पाॅलिसी का पूरा विवरण अब तक सरकार ने प्रसारित नहीं किया, लेकिन आने वाले 5 सालों में तेजी बढ़ाने हेतु सरकार ने अच्छे कदम उठाए है, ऐसा जानकारों का मानना है।

                 

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