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आज भी दुल्हन की पहली पसंद बना हुआ है लहंगा ग्राहकी ने बढ़ाये धीरे-धीरे अपने कदम

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आगरा/ पिछले पखवाड़े कड़कड़ाती सर्दी के चलते बाजारों में जहां सन्नाटा पसरा हुआ था। वह अब धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है। धूप खिलने लगी है और बाजारांे में ग्राहकी चमकने लगी है। पिछले दो-तीन दिन से बाजारों में ग्राहकी ठीक-ठाक सी दिखाई देने लगी। उम्मीद की जा रही है कि धीरे-धीरे यह रफ्तार पकड़ लेगी क्योंकि मकर संक्रांति के बाद शुभ लग्न चालू हो जायेंगे। इसी आशा के साथ व्यापारी माल का स्टाॅक करने में जुटे हुये हंै। इस समय फैन्सी साड़ी एवं लहंगा विक्रेताओं के यहां ग्राहकी की भीड़ लगी हुई है। फैन्सी साडि़यों की मांग के साथ लहंगे का रूतबा भी छाया हुआ है। कानपुरी लहंगों का जलवा बरकरार बना हुआ है। फैन्सी लहंगा विक्रेता शिव सहाय भगवानदास फर्म के स्वामी श्री महेश अग्रवाल ने बताया कि कलकत्ता की अपेक्षा कानपुरी लहंगों की कीमत काफी कम रहती है। उनका कहना था कि यूं तो हमारे पास 50 से 75 हजार रूपए तक लहंगे हैं लेकिन आज हाॅलसेल में 10 से 20 हजार रूपए की लागत वाले लहंगों की बिक्री रफ्तार ठीक रहती है। इन्हें व्यापारी आसानी से खरीद लेता है। वहीं पूरे साल सिर्फ लहंगो का कारोबार कर रहे श्री भगवानदास का कहना था कि आज चाहे कितने भी तरह की लहंगे वाली साडि़यां बाजार में उपलब्ध हो चुकी है लेकिन फिर भी शादी में दुल्हन के लिए लहंगे से अच्छा कोई ड्रेस नहीं है। लहंगे से दुल्हन की फोटोग्राफी मंे चार चांद लग जाते हैं। रिटेल शोरूम दीपशिखा के संचालक श्री बिट्टू भाई ने जानकारी दी कि आज कली वाले कंट्रास्ट नेट के परपल एवं डबल शेड वाले लहंगे ग्राहकांे की पहली पसंद है। लहंगांे की मांग के बारे में पूछने पर उन्हांेने बताया कि कभी-कभी ऐसे भी मौके देखे गये हैं कि बारात चढ़ने के कुछ घंटे पहले उनके रिश्तेदार हमारे यहां दौड़ते हुये लहंगे लेने आते हैं और कहते हैं कि दुल्हन के फर्माइश है कि वह वर के गले में लहंगे पहनकर ही डालेगी। वहीं उनकी दुकान पर लहंगे की खरीददारी कर रही श्रीमती शकुंतला श्याम बिहार निवासी ने चुभन भरी मुद्रा में बताया कि लहंगा शादी के समय ही सिर्फ एक बार पहनने में आता है उसके बाद संदूक की शोभा बढ़ाता है, यह जानने के बावजूद भी हम समाज की खातिर यह पच्चीस हजार का लहंगा खरीद रहे हैं।

                 

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