स्पिनिंग मिलों को फायदा
सस्ती कपास का भी मिल रहा है लाभ
हाजिर मेंं घरेलू मांग कमजोर पड़ने पर भी बिकवाली का दबाव नहीं
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नई दिल्ली/ इस बार सस्ती कपास एवं निर्यात एवं घरेलू मांग का फायदा स्पिनिंग मिलों को मिल रहा है। यार्न मिलें दबाव में नहीं हैं जिससे इस सेगमेंट की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। यही कारण है कि घरेलू मांग कमजोर पड़ने पर भी यार्न के भाव टूटने की बजाए मजबूत हो रहे हैं।
उद्योग सूत्रों के अनुसार इस बार घरेलू एवं निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है। दूसरी ओर देश और विदेश में कपास के भाव में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है जिसका लाभ स्पिनिंग मिलों को मिल रहा है। कपास की शंकर-6 क्वालिटी के भाव 33000 से 35000 रुपए प्रति कैंडी के आसपास चल रहे हैं।
यार्न मिलों ने अपनी उत्पादन क्षमता के हिसाब से आगे के सौदे कर रखे हैं इसलिए हाजिर में मांग कम होने के बावजूद बिकवाली का दबाव नहीं है।
दूसरी ओर इस बार चीन और बंग्लादेश से सूती धागे की अच्छी मांग बनी हुई है और आगे समर सीजन को देखते हुए घरेलू बाजार में भी मांग सामान्य बनी हुई है। इस बार धागे का कुल निर्यात 100 करोड़ किलो को पास कर जाएगा जो पिछले साल 70 करोड़ किलोग्राम था।
देश में कपास की अतिरिक्त लाॅंग स्टेपल के साथ शाॅर्ट स्टेपल की काॅटन की कमी है जिसे आयात के जरिये पूरा किया जा रहा है। यही कारण है कि कपास सलाहकार बोर्ड से आयात का अनुमान पूर्व के 12 लाख गांठ से बढ़ाकर अब 20 लाख गांठ कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी भाव लगभग स्थिर हैं इसलिए इसकी आयात में भी पड़तल अच्छी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काॅटन के भाव 86 से 89 सेंट प्रति औंस का भाव चल रहा है जिससे मिलों को इसमें भी अच्छी पड़तल आ रही है।
कपास की फसल लगभग 330 लाख गांठ होने का संशोधित अनुमान है तथा निर्यात का संशोधित अनुमान भी 10 लाख गांठ बढ़कर 80 लाख गांठ होने का आंकलन है।
कपास सलाहकार बोर्ड ने कपास वर्ष 2012-13 ;अक्टूबर से सितम्बरद्ध के दौरान कपास निर्यात के अनुमान में संशोधन करते हुए 10 लाख गांठ का इजाफा किया है। बोर्ड ने निर्यात अनुमान 70 से बढ़ाकर 80 लाख गांठ कर दिया है।
जबकि कपास उत्पादन का अनुमान 334 लाख गांठ से घटाकर 330 लाख गांठ कर दिया गया है। मिलों की खपत भी 230 लाख गांठ से बढ़कर 234 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया गया है। खपत बढ़ने का मुख्य कारण घरेलू बाजार के साथ निर्यात मांग का बढ़ना है।
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