‘टफ’ को 12वीं योजना में प्राथमिकता
उद्यमियों को स्कीम की रूपरेखा एवं नए आवंटन की घोषणा का इंतजार
मिरर ब्यूरो
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नई दिल्ली/ टेक्सटाइल एवं जूट उद्योग पर कार्य समूह की सिफारिश के अनुरूप बाहरवीं पंचवर्षीय योजना में कपड़ा मंत्रालय की टेक्सटाइल प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना ;टफद्ध को प्राथमिकता के आधार पर सै(ांतिक मंजूरी मिलने के बाद अब सरकार इस योजना की रूपरेखा एवं धनराशि के आवंटन पर विचार कर रही है।
वस्त्रमंत्री श्री आनंद शर्मा के अनुसार 12वीं योजना में वीविंग क्षेत्र पर बल देते हुए टफ के लिए 12077.80 करोड़ रुपए के आवंटन की सिफारिश की गई है। 11वीं योजना में इस पर 12383.40 करोड़ रुपए का व्यय किया गया था।
अब देखना यह है कि योजना आयोग् की व्यय समिति इस स्कीम के तहत कितनी धनराशि को मंजूरी देती है और स्कीम की रुपरेखा क्या होगी। वैसे इस स्कीम में कोई मौलिक बदलाव की संभावना नहीं है।
सूत्रों के अनुसार 12वीं योजना में वीविंग क्षेत्र को इस स्कीम में अधिक प्रोत्साहित किए जाने की संभावना है। फिलहाल इस स्कीम पर विचार हो रहा है। योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में इस स्कीम को शामिल किए जाने के लिए सै(ांतिक मंजूरी दे दी थी। यह योजना 1999 में आरंभ की गई थी और इस योजना को टेक्सटाइल उद्योग में निवेश जुटाने में भारी सफलता मिली।
उल्लेखनीय है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए गठित टेक्सटाइल एवं जूट उद्योग पर कार्य समूह ने इस योजना को जारी रखने की सिफारिश करते हुए कहा था कि चीन की तुलना में भारतीय टेक्सटाइल उद्योग के सभी सेगमेंट खासकर स्पिनिंग, वीविंग, प्रोसेसिंग एवं गारमेंटिंग की क्षमता कम है और देश में कुल काॅटन उत्पादन का 20 प्रतिशत निर्यात हो रहा है जबकि निर्यात और घरेलू बाजार के लिए इससे यार्न बनाए जाने गुंजाइश है। वीविंग और प्रोसेसिंग सेगमेंट में निवेश जरूरी है ताकि देश में यार्न उत्पादन की अधिकतम मात्रा को देश में ही फिनिश प्रोडक्स बनाकर गारमेण्ट उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। यार्न और फेब्रिक्स की देश में पर्याप्त उपलब्धता से गारमेण्ट उद्योग की आयात पर निर्भरता कम होगी।
कार्य समूह ने कहा था कि भारत में ब्याज दर प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बहुत ज्यादा हैं इसलिए घरेलू उद्योग को निवेश के लिए प्रतिस्पर्धी दर पर धन मुहैया कराने के लिए टफ योजना को जारी रखा जाना चाहिए।
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