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ग्राहकी की ठंडक से आए पसीने

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आगरा/ उम्मीद के अनुुसार जनवरी माह में ग्राहक न रहने से हर व्यापारी भौचक्का है कि आखिर इस बार अच्छी शुभलग्न के बावजूद ग्राहकी नदारद क्यों रही। इसका कोई ठोस कारण तो नहीं बता पा रहा है। फिर भी व्यापारी निरंतर बढ़ती महंगाई को इसका कारण मान रहे है। कारण कुछ भी हो लेकिन व्यापारी इस समय काफी चिंतित नजर आ रहा है। व्यापारी का चितिंत होना स्वाभाविक ही है। क्योंकि जनवरी माह में अच्छी ग्राहकी चलने की उम्मीद के साथ उसने समुचित स्टाॅक जुटाया था। अपनी साख को बनाये रखने के लिए समय पर पेमेन्ट का होना और खुदरा व्यापारी से पर्याप्त उगाई न मिल पाने से व्यापारी चितिंत नजर आ रहा है। फिर भी व्यापारी टेलिफोन के जरिये, लाॅकल दलालो पर दबाव बनाये हुये अपनी सेल का कोटा पूरा करने के लिए काफी मशक्कत कर रहे है। कुछ व्यापारीयों का मानना है कि इस समय शहरी साहलग का जोर रहता है। जिसका फायदा सिर्फ बड़े-बडे शोरुम ले जाते हैं। एक ओर उनके यहां खरीददारांे की भीड़ है। वहीं मध्यम श्रेणी का व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। कुछ व्यापारीयों का मानना है कि कपडे पर चिकित्सा एवं शिक्षा का बेहद असर हैं। महंगी होती जा रही चिकित्सा एवं क्षिक्षा के चलते कपड़ा खरीद में उपभोक्ता कंजूसी बरत रहा है। ग्राहकी की ठंडक ने माल बेचने के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ोतरी प्रदान की है। चर्चा में श्री कैला देवी ट्रेडि़ग कंपनी के नवीन कुमार सिघंल का कहना था कि पहले जहां आगरा में लेडिज सूट की सिर्फ चार पांच दुकानें हुआ करती थी वहीं आज आपसी काॅम्पीटीशन ने लगभग 130 दुकानांे को आगरा में स्थापित किया है। जिले का 78% व्यापारी आगरा से ही लेडिज सूट ले रहा है। आज काॅटन, कपड़े की कैटलोग का मालो का जलवा बना हुआ है। आगरा में दो सौ कि.मी. तक का व्यापारी सूट लेने आ रहा है। हजार से पन्द्रह सौ रुपये तक का सूट उपभोक्ता की पसंद बनी हुई हैं। रहेजा, कनकू एवं लज्जा के सूट की मांग हमेशा रहती है। क्यांेकि इन सूटों की लम्बाई पूरी होती है और इनके द्वारा रोज नये डिजायन एवं क्वालिटी बाजार में उतारी जाती हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 15 फरवरी से मुसलिम समाज में शादी शुरू होने पर लेडिज सूट की मांग और रफ्तार पकडेगी।

                 

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