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कपडे में नरमी ः सूत में तेजी

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पिलखुवा/ हाल ही में सूत मिलों ने धागे के भाव बढ़ाये जाने के बाद तैयार कपड़े की बिक्री मंे गिरावट आयी है। मिल वाले धागे के भाव ज्यादा बढ़ाना चाहते थे, लेकिन कमजोर बिक्री के चलते मिलांे को ज्यादा सफलता नहीं मिली। कामकाज के अभाव मे धागे के भाव पड़े हुए हंै। ठण्ड के प्रकोप के चलते कारखानांे मंे श्रमिक काम पर कम ही आ रहे हंै। कमजोर बिक्री के कारण भुगतान की स्थिति भी गडबड़ाई हुई हंै। व्यापारिक सूत्रोंे का कहना है कि हाल के दिनांे मंे मिलांे ने कोर्स काउट के धागे के भावांे मंे तीन से चार रूपए किलो तक भाव बढ़ा दिये हंै। मिल वाले अभी भाव और बढ़ाये जाने के मूड मंे है। कमजोर बिक्री की वजह से मिल वाले ज्यादा भाव बढ़ाने में सफल नहीं हो पा रहे हंै। धागे का उठाव कमजोर होने से मिलों के भाव बढ़ने से रुक गये हंै। पानीपत, दिल्ली, मुरादनगर, पिलखुवा, मेरठ, सरधना आदि मंडियांे पर नजर डाले तो पता चलता है कि इन दिनों बड़े उत्पादन केन्द्रों पर धागे का उठाव कम होने से पंजाब, राजस्थान, हरियाणा व महाराष्ट्र आदि राज्यांे की मिलांे के धागे का उठाव कम होने से मिल वाले भी चिंतित नजर आ रहे हैं। धागे की बिक्री तो आने वाले दिनांे मंे बढ़ेगी लेकिन मिलांे को अभी कुछ समय का इंतजार करना पडे+गा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कारखानांे पर नजर डाले तो पता चल जायेगा कि ठंड के चलते कारखानांे में श्रमिक काम पर कम ही आ रहै हंै, जिसका सीधा प्रभाव कपड़े की बिक्री पर पड़ रहा है। कपड़ा उत्पादकांे का कहना है कि इस सूती धागे के भाव बढ़ने से कोटन पाॅलिस्टर मिक्स कपडे का उत्पादन लागत कम करने के उद्देश्य से बढ़ रहा है। मारकीन, काॅटन पाॅलिएस्टर मिक्स की चादरंे, कैनवास, पिलो कवर आदि लागत को घटाने के कारण इनका उत्पादन बढ़ रहा है। आने वाले दिनांे में जैसे-जैसे मौसम मे सुधार होगा वैसे-वैसे कामकाजों के चलने से व्यापारियांे को आशा है। कपड़ा उत्पादकांे का कहना है कि सूत की मंडी मंे सट्टे की इस प्रवृति ने कपड़ा उद्योग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। जब तक सूत के भावों मंे स्थिरता का वातावरण नहीं बनता है तब तक कामकाज चलने की सम्भावना कम ही दिखायी पड़ती है। बाजार सूत्रों के अनुसार भुगतान की स्थिति वर्ष 2012 मंे ज्यादा बढि़या नहीं रही है। इस वर्ष भी इसकी सम्भावना कम ही दिखायी पड रही है।

                 

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