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बजट पूर्व ज्ञापन गारमेण्ट निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार से सहयोग का अनुरोध

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गारमेण्ट निर्यातकों को वित्तीय सहायता देने की भी मांग नई दिल्ली/ गारमेण्ट निर्यातकों ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए केन्द्र सरकार से निर्यातकों को वित्तीय सहायता देने की मांग की है। गारमेण्ट निर्यातक संघ ने कहा है कि गारमेण्ट का निर्यात हर महीने कम होता जा रहा है और अप्रैल-दिसम्बर 2013 की अवधि के दौरान निर्यात घटा है और 18 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के लक्ष्य से बहुत पीछे चल रहा है। निर्यात संघ ने उम्मीद जताई है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री बजट प्रस्ताव तैयार करते समय गारमेण्ट निर्यातकों द्वारा दिए गए सुझावों का ध्यान जरूर रखेंगे। जीईए ने अपने सुझाव में कहा है कि विश्व के प्रमुख अपैरल बाजारों में मांग घटती जा रही है जिससे प्रतिस्पर्धा कड़ी होती जा रही हे। ऐसे में टेक्सटाइल उद्योग के गारमेण्ट क्षेत्र को परिवहन लागत कम करने के लिए आवश्यक राहत दी जाए। परिधान निर्यात संघ ने ड्यूटी ड्राॅ-बैक की दर 5 प्रतिशत बढ़ाने तथा निर्यातकों को आयकर की धारा 80 एचएचसी के तहत शतप्रतिशत छूट देने का भी अनुरोध किया है। विद्युत की कमी को देखते हुए पावर कैपटिव जनरेशन के लिए डीजल को सभी करों से छूट दी जानी चाहिए। परिधान निर्यात संघ के अध्यक्ष श्री राकेश वैद ने अपने बजट पूर्व ज्ञापन में मशीनरी एवं इसकी एसेसरीज के आयात पर कस्टम डयूटी समाप्त करने की मांग करते हुए कहा है कि ज्यादातर प्रतिस्पर्धी देशों ने टेक्सटाइल और गारमेण्टिंग मशीनरी आयात को शुल्क मुक्त रखा है। उन्होंने कहा है कि सिथेटिक गारमेण्ट का वैश्विक बाजार बहुत बड़ा है इसलिए इसके लिए विशेष मशीनरी के आयात को भी शुल्क मुक्त किया जाए ताकि ज्यादा उद्यमी सिंथेटिक गारमेण्ट उत्पादन में निवेश कर सके। श्री वैद ने सुझााव दिया है कि पोर्ट पर प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि कस्टम क्लियरेंस में विलम्ब कम किया जा सके। कपड़ा प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट उद्योग की प्रौद्योगिकी के उन्नयन में प्रमुख भूमिका है जिससे कम लागत में बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद का उत्पादन होता है, अतः इस स्कीम के तहत ज्यादा धनराशि मुहैया कराई जाए ताकि इस योजना को मजबूती मिले। वस्तु एवं सेवा कर पर अमल हर वर्ष टाला जा रहा है। इस पर अमल नहीं होने से निर्यातकों को दिक्कत हो रही है। जब तक जीएसटी लागू नहीं होता, तब तक राज्य के कर और लेवी क्षतिपूर्ति की जाए। ज्यादातर प्रतिस्पर्धी देशों ने अपने टेक्सटाइल और गारमेण्ट फैक्ट्रियों को यार्न और फैब्रिक्स का आयात शुल्क मुक्त किया हुआ है ताकि उत्पादन लागत घटाई जा सके। ऐसी सुविधा भारत में नहीं होने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार मंे भारतीय टेक्सटाइल और गारमेण्ट उत्पाद महंगे पड़ते हैं जिससे प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते हैं। निर्यातकों के लिए प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट ब्याज की दर घटाकर 7 प्रतिशत की जाए तथा इंटरेस्ट सबवेंशन 2 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत की जाए। यूरोप के साथ मुक्त व्यापार करार शीघ्र किया जाए ताकि भारतीय उत्पाद भी उन अन्य देशांे के समक्ष प्रतिस्पर्धी हो जिन्हंे वहां पर शुल्क मुक्त निर्यात की सुविधा मिली हुई है। भारतीय उत्पादों को यूरोप में निर्यात पर 12 प्रतिशत ड्यूटी लगी है। यदि करार पर हस्ताक्षर हो जाते हैं तो यह ड्यूटी काफी कम हो सकती है। इससे यरोपियन यूनियन के देशों को निर्यात बढेगा। श्री वैद ने ब्राण्डेड गारमेण्ट से 12 प्रतिशत उत्पाद शुल्क को हटाया जाए। इससे गारमेण्ट उत्पादक प्रभावित हो रहे हैं। बंग्लादेश से परिधान का शुल्क मुक्त आयात होने से गारमेण्टनिर्माता ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वैसे भी बंग्लादेश के गारमेण्ट भारत की तुलना मंे सस्ते हैं।

                 

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