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ब्राण्डेड निमार्ताओं का वर्चस्व बढ़ा

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बालोतरा/ अनुभवी लोगों की यह धारणा थी की मल मास की समाप्ति अर्थात मकर संक्रान्ति के बाद स्थानीय कपड़े की ग्राहकी नए सिरे से रंग दिखाना प्रारम्भ कर देगी। वस्तु स्थिति में कपड़े पर से मल मास का चढ़ा कोहरा अभी भी उतरा नहीं है। पूर्व के मुकाबले का चिन्तन करें तो कुछ चहल-पहल का अन्दाजा लगता है। जिन परिस्थितियों से यहां का पोपलीन उद्योग गुजरा है, उससे हुए अनुभवों को देखते हुए नए उद्यमी पोपलीन के निर्माण में आगे नहीं आ रहे हैं। इसके साथ ब्राण्ड के साथ उत्पादन करने वाले उत्पादकों का वर्चस्व दिनों-दिन बढ़ रहा है। वे पोपलीन के एक मात्र निर्माता के रूप में पहचान पा रहे हैं। )तु सर्दी की होने से उत्पादन में भी दिक्कतें आती है और इस बार दीगर क्षेत्रोें में भी सर्दी ने अपने तेवर तीखे करने से गर्म मालों की बिक्री बढ़ी है। पोपलीन की ग्राहकी इस कारण बढ़ नहीं सकी है। पोपलीन के छोटे उद्यमी मजबूरन ट्रेडर की श्रेणी में आ रहे हैं। फेण्ट रेंज और चिन्दी के उठाव को लम्बे समय से ग्रहण लगा हुआ है, यहां तक की भावों की पूछताछ का माहौल भी नहीं है। बाजार स्थिति के बारे में एक उत्पादक ने बताया कि पैसों की आवक नही है, डिमान्ड में भी कोई सार नही है, हा यह अवश्य है कि माल यहां गोदाम में थप्पी में न रखना चाहो तो इसके भक्त बहुत है जो माल को लेने में सदा लालायित ही रहते हैं। सीईटीपी ट्रस्ट ने जो आंशिक उत्पादन की छूट दी उससे अप्रिय माहौल पर काफी असर पड़ा है ट्रस्ट के विस्तार में 18 एम एल डी का जो नया प्लाण्ट बन रहा है वह अगले कुछ महिनों में तैयार हो जायेगा और हो सकता है उसके बाद जल प्रदूषण की जो दुविधाएं आज मौजूद है, उनको विराम भी लग जाए इससे उत्पादन में निर्बाध गति की अपेक्षा की जा सकेगी। सिन्थेटिक वस्त्रोें में अभी जब से ग्रे में तेजी आई है, चालानी के क्रम मेें सुधार हुआ है। उत्पादन बन्दी के कारण व्यापारियों ने अन्य मण्डियों के माल को अपना लेने से यहां के सिन्थेटिक वस्त्र उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ा। स्थानीय संशयग्रस्त उद्यमियों ने अपने प्रतिष्ठानों को गुजरात और अन्य स्थानों पर ले जाने का मानस बनाया है। तथा कई उद्यमी कूच भी कर गये हैं।

                 

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