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‘टफ’ को और लुभावनी बनाने की कोशिश लेकिन नहीं मिल रहा समय का फायदा 3034 एप्लीकेशन ‘ब्लेक आउट पीरियड’ के भंवर में फॅंसी

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मुंबई/ कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार प्रदाता टेक्सटाइल उद्योग का पिछला साल बड़ा ही तकलीफदायक रहा। लगभग पूरे साल में किसी तरह के कोई एक्सपांशन नहीं हुए तो कपड़ा बाजार भी हिचकौले खाता रहा और भयंकर नाणासंकट का सामना बाजार ने किया। अब 2013 को लेकर बाजार कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा रहा है। बाजार को आशा है आगामी चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार निश्चित रूप से राहतों का पिटारा खोलेगी जिससे नए रोजगार सृजित होंगे वहीं उद्योगों को भी नया जीवनदान मिलेगा व पेण्डिंग चल रहे करोड़ों के प्रोजेक्ट को गति मिलेगी। इसी कड़ी में वस्त्र उद्योग में ‘टफ’ स्कीम बड़ी चर्चा में है। सरकार भी इसको 12वीं योजना के अन्तर्गत प्राथमिकता देते हुए इसको विस्तार की रूपरेखा तैयार कर रही है व मंत्री श्री आनन्द शर्मा ने भी 12वीं योजना में वीविंग क्षेत्र पर जोर देते हुए ‘टफ’ के लिए 12077.80 करोड़ रूपए के आवण्टन भी सिफारिश की है। 11वीं योजना में इस पर 12383.40 करोड़ रूपए व्यय किए गए थे। सूत्रों के अनुसार 2012 में ‘टफ’ को भी बाजार में मण्दी ने प्रभावित किया उसी के फलस्वरूप सरकार इस पर विशेष ध्यान दे रही है। जानकारी के अनुसार कपड़ा मंत्रालय ‘टफ’ के अन्तर्गत इस वर्ष केपीटल सब्सिडी बढ़ाने पर विचार कर रहा है। वही पावरलूम प्रोसेसिंग क्षेत्र को अधिक प्रोत्साहन हेतु सब्सिडी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत की जा सकती है। हो सकता है कि आगामी बजट में इसकी घोषणा हो जाए। जानकारी रहे कि अब तक 2.40 लाख करोड़ का निवेश हो चुका व 12वीं योजना में इस हेतु 11,577 करोड़ रूपये का प्रावधान है। ये तो हुआ ‘टफ’ में हो रहे व होने वाले कुछ तथ्य लेकिन इस स्कीम का गहनता से अध्ययन करने पर आश्चर्यजनक तथ्य सामने आये। सूत्रों की माने तो अभी भी ‘टफ’ का सही लाभ उद्यमियों को समय पर नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों का कहना है कि एक तरफ तो सरकार ‘टफ’ को विस्तार करती जा रही है लेकिन दूसरी तरफ इसका यथोचित लाभ उद्यमियों को नहीं मिला है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ‘टफ’ के अन्तर्गत कई मामले अभी भी लटके हुए और जो किसी न किसी कारणों से स्वीकृति पाने की लाइन में पड़े हैं। जानकारी के अनुसार अब तक ‘टफ’ हेतु प्राप्त हुई कुल एप्लीकेशन को कपड़ा मंत्रालय ने तीन श्रेणियों में बाॅंट रखा है कि जैसे 1(Type-2 cases) 2. CAB Policies 3. ब्लेक आउट-पीरियड केसेज। इस अंक में हम लिस्ट-2 के अन्तर्गत आने वाली एप्लीकेशन पर चर्चा करेंगे। (Type-2 cases) के अन्तर्गत जानकारी के अनुसार लिस्ट-2 1. 65 एप्लीकेशन को ‘टफ’ हेतु योग्य माना गया, जिन्होंने समय पर क्लेम किया। इन्हें सब्सिडी का भुगतान किया जा चुका है। यह राशि कुल 76.13 करोड़ रूपए है। 2. 402 एप्लीकेशन को भी सब्सिडी हेतु योग्य माना गया, जिन्होंने समय पर क्लेम किया लेकिन उन्हें अभी तक कोई भी भुगतान नहीं किया गया और यह राशि 86.74 करोड़ रूपए है। 3. 809 एप्लीकेशन 11 नवम्बर 2012 को हुई IMSE की तीसरी बैठक में पहले टेक्सटाइल कमीश्नर आॅफिस द्वारा माफी हेतु शामिल की गई है जिनकी राशि 156 करोड़ रूपये हंै। 4. 80 एप्लीकेशंस टेक्सटाइल कमीश्नर की इण्टरनल कमेटी में माफी हेतु पेण्डिंग पड़े हैं। जिनकी राशि 106.42 करोड़ रूपए हैं। 5. 427 एप्लीकेशंस सब्सिडी हेतु योग्य है लेकिन नोडल एजेंसी द्वारा इन्हे आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। इनकी राशि 64.52 करोड़ रूपए हैं। 6. 413 एप्लीकेशंस सब्सिडी हेतु योग्य बताई गई लेकिन इन्हंे निश्चित समय सीमा के बाद सब्सिडी की जायेगी। इनकी राशि 134 करोड़ रूपए हैं। इस प्रकार देखा जा रहा है कि पूर्व में आयी हुई एप्लीकेशंस भी कहीं न कहीं किन्हीं कारणों से पेण्डिंग चल रही है और सारा फण्ड रिकाॅर्ड में चल रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार इसे और विस्तार देती जा रही है। इससे भी सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि बीच में सरकार द्वारा ‘टफ’ योजना को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया था लेकिन उद्योग से मिले भारी विरोध के चलते इसे पुनः जारी किया गया। लेकिन उस दौरान भी उद्यमियों द्वारा एप्लीकेशन शामिल करने का कार्य चालू था। अतः इस दौरान मिली सारी एप्लीकेशंस को कमेटी द्वारा ‘ब्लेक आउट पीरियड’ में रखा गया जिन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया और आपको जानकर हैरानी होगी की इस दौरान सम्मिलित एप्लीकेशन की संख्या 3035 है जिसकी राशि 23,450 करोड़ रूपए हैं और यही वजह है कि अधिकांश उद्यमियों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से उनके एक्सपांशन रूके हुए और कपड़ा उद्योग का विकास भी अवरू( हो रखा है। अतः सरकार को चाहिए कि सबसे पहले ‘टफ’ के तहत पेण्डिंग पड़ी सभी एप्लीकेशंस पर फैसला लें और नोडल एजेंसियों को भी इस हेतु आदेश जारी करें ताकि उद्यमियों को इसका नुकसान नहीं हो। इसके अभाव में एप्लीकेशन की संख्या बढ़ती जायेगी और उद्यमियों को भी इसका उचित फायदा नहीं मिल पायेगा। ‘टफ’ सरकारी आॅंकड़ों में ज्यादा व हकीकत में वस्त्र उद्योग की प्रगति हेतु फिसड्डी साबित होगी। अगले अंक में हम आपको ‘CAB’ पाॅलिसिज व ‘ब्लेक आउट पीरियड’ की विस्तृत जानकारी देंगे।

                 

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