ईद पर हुई अच्छी खरीदीः अब पूजा पर निगाहें
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कोलकाता/ ईद के कपड़ोें की खरीददारी कोलकाता और आसपास के उपनगरों के बाजारों में जमकर हुई। लोगों ने अपनी पसंद के लिए बड़े शाॅपिंग माॅल से लेकर स्टाॅल तक के चक्कर लगाये। किड्स वियर में लगातार नई वेराइटी की मांग बनी रही। रेडीमेड में भी काफी तरह की विविधता में खुदरा विक्रेताओं ने रूचि दिखाई। न्यू मार्केट सहित शहर के मध्य में बने शोरूम से लेकर होकर्स और मौसमी दुकानदारों को भी ब्रिक्री की जोर का लाभ हुआ है। मलिच्छक बाजार, पार्क सर्कस, मटियाबुर्ज, वेलिंगटन, सियालदह, चांदनी, चितपुर, शाम बाजार, खिरिदपुर समेत कई इलाकों में दुकानें सजी हुई थी।महिलाओं और बच्चों के लिए तरह-तरह की डिजाइन के कपड़ों की और सिलेसिलाये डेªस की मांग ज्यादा देखी गयी। महिलाओं की पंसद चमकीले व गाढे रंगों वाले कपड़ों पर ज्यादा रही। जबकि बच्चों कि पोशाक में डिजाइनदार कपड़े की खूब बिक्री देखी गयी। खरीददारी तेज होने की वजह से कई जगहों पर देर रात तक दुकानें खुली रहती थी। शुरूआती तौर पर महंगाई की मार के कारण ईद की कपड़ों की खरीददारी कमजोर रहने के डर से माल बाजार में सीमित आ रहा था लेकिन आखिर में लोगों ने पर्व को ध्यान में रख सब कुछ भूल कर तेज खरीददारी की है। ईद के बाद बाजार में हल्की अन्तराल देखने को मिल सकती है। लेकिन एक छोटे से अल्पविराम के बाद बाजार पूजा के लिए सजने शुरू हो जायेंगे। भिवंडी के पावरलूम के शर्टिंग के कपड़े की मांग हो रही है। पट्टे और चेक्स में माल आ रहा है। आगे सितम्बर से बिक्री का मूड देखने के बाद कोई बदलाव की उम्मीद है, वरना यह ट्रेंड जारी रहेगा। अब तक सूटिंग में भीलवाड़ा के सूटिंग में भी यही पेटर्न देखा गया है। सेल्फ स्ट्राइप्स में अच्छी मांग रही है। डार्क कलर्स पर दुकानदारों की नजर रही है जो रिटेल ग्राहकी का तर्जुबा रखते हैं उन्हें यह लगता है कि दिवाली तक डार्क कलर्स का एक तरफा टेªन्ड जारी रहेगा। रेन्ज की खातिर थोडी मीडियम रंगों की लेवाली हो सकती है, लेकिन ज्यादातर 50 से 60 के बीच की डार्क रंगों की सूटिंग में डिमांड रहेगी। इसके ऊपर की रेंज का दायरा सीमित होगा, रेडीमेड के लिए खरीददारी अभी भी चल रही है। जब ग्राहक कपड़ा सिलवाने के लिए बाजार से कपड़ा खरीदे तब टेंªड सामान्य बदलाव आ सकता है।साड़ीयों के लिए पूजा का बड़ी मात्रा में माल सूरत से आता है। सिंथेटिक माल का उठाव सितम्बर से होलसेल में जरूर दिखेगा अक्टूबर से रिटेल यानि कि सही मायने में पूजा बाजार का नजारा देखने को मिलेगा।यूनिफाॅर्म मार्केट में काफी चहल-पहल दिख रही है। गोरखपुर के अलावा भीलवाड़ा के स्कूल युनिफाॅर्म के कपड़े की मांग उठ रही है। सूत के दाम की तेजी मंदी के कारण व्यापारी खुलकर मांग से थोडा कम ही खरीद रहे हैं तो निश्चित रूप से बड़ी डिमांड देखने को मिल सकती है।नई पीढ़ी जींस और टी-शर्ट को अपना पहनावा बना चुकी है लेकिन इस देश की पारम्परिक जड़े इतनी मजबूत है कि दुर्गापूजा के लिए बनारसी साड़ी और नवरात्रि के लिए घाघरा चोली और दुपट्टा तो चाहीए शायद बुनियाद और बनावट में यही फर्क है। फैशन कभी भी बदल जाती है लेकिन रीति रिवाज भी निराले है, उसका बयां-ए-अंदाज त्यौहार ही करते हैं।
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