न्यूयाॅर्क में पहली बार भारतीय वस्त्र निर्यात मेले का आयोजन
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नई दिल्ली/ यूरोपीय बाजार की गिरावट से चिन्तित भारतीय टेक्सटाइल वस्त्र उद्योग ने न्यूयाॅर्क शहर में पहली बार व्यापार मेले का आयोजन कर वस्त्रों को प्रदर्शित करने का कार्य किया। भारत के वस्त्र निर्यात संवद्र्वन परिषद द्वारा यह आयोजन किया गया था। इस दो दिवसीय मेले में देश के 35 निर्यातकों ने हिस्सा लिया तथा वर्ष 2013-14 के लिए तैयार वस्त्रों को प्रदर्शित किया था।
वर्तमान में भारत के कुल 14 बि. डाॅलर के वस्त्र निर्यात में यूरोप की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत रही है जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी एक चैथाई रही है। वस्त्र निर्यात संवद्र्वन परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2012-13 के दौरान भारत के वस्त्र निर्यात में सामान्य वृद्वि दर्ज किए जाने की संभावना है। यूरोप में व्याप्त आर्थिक संकट का भारत के वस्त्र निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जबकि अमेरिका को वस्त्र निर्यात स्थिर रहने की सम्भावना है जो गत वर्ष के 3.2 बि. डाॅलर के स्तर पर रह सकता है।
अमेरिका में भारत के निर्यातक आमतौर पर मेजिक मार्केट वीक में हिस्सा लेते रहे हैं जो वहां की प्रमुख व्यापार प्रदर्शनी है। इसका आयोजन फरवरी व अगस्त में लास वेगास में होता है। पूर्व अमेरिका के खरीददार मेजिक शो में हिस्सा नहीं लेते हैं। इसी को ध्यान में रखकर मेले का आयोजन किया गया है। खरीददार कंपनियां भी अब यात्रा के खर्च में बचत करने लग गयी है। यही कारण है कि भारतीय विक्रेताओं को अमेरिका आना पड़ रहा है। इस शो में 200 से अधिक खरीददार कंपनियों ने हिस्सा लिया और 40 से 50 मि. डाॅलर का व्यापार भी संभव नहीं हुआ। इन कंपनियों में रोल्फ लॅारेन, रीड एण्ड टेलर, नौटिका तथा चिल्ड्रन वैलेस भी शामिल है। परिषद इस शो को अब प्रत्येक वर्ष आयोजित करने का विचार कर रही है।
अमेरिका बाजार दो तटों में विभाजित है। मध्यम दर्जे के आदेश पश्चिम तट से प्राप्त होते हैं जबकि पूर्व तट के ग्राहक मध्यम फैशन तथा अधिक कीमती वस्त्रों की खरीद करते हैं। अमेरिका के वस्त्र आयात में भी भारत की हिस्सेदारी 8 प्रतिशत के लगभग है। जबकी चीन अभी भी नेतृत्व कर रहा है। चीन में उत्पादन व श्रम की लागत बढ़ रही है। तथा वियतनाम व काम्बोडिया अब मजबूत निर्यातक के रूप में सामने आ रहे हैंं। निर्यात संवद्र्वन परिषद यूरोप की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत करने के साथ विकासशील नए बाजारों में शेष उत्पादों के निर्यात की योजना पर कार्य कर रही है।
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