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सूत में कमजोर बिक्री में स्टाॅक बढ़ा

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पिलखुवा/आलोच्य सप्ताह मे सूत के बाजारों मे भाव पड़े हुए है। कपडे+ का उठाव न होने से धागे की खपत काफी घटी हुई है। कमजोर बिक्री के चलते मिलों मंे धागे का स्टाॅक बढ़ता ही जा रहा है। मिले माल तो बेच रही है लेकिन मिले भाव तोडने को तैयार नहीं है। मिलांे को मौसम साफ होने के साथ ही बिक्री चलने का इंतजार है। बाजारांे मंे इन दिनों वित्तिय तंगी काफी महसूस की जा रही है। व्यापारिक सूत्रो का कहना कि मिल वाले कमजोर बिक्री के बावजूद भी धागे के भाव घटाये जाने के मूड़ मंे नहीं है। मिलोंे का कहना है कि कपास मंहगी होने की वजह से मिलों को धागे की लागत ज्यादा आने के कारण ही भाव घटाना मुश्किल हो रहा हैैै। राजस्थान की पाली, गुलाबपुरा, गंगानगर, हनुमानगढ़ आदि मिलों का धागा इन दिल्ली आदि मंडी में कम ही बिक रहा है। ओपन एण्ड का धागा बनाने वाली पंचाग की पटियाला मिल ने पिछले दिनांे अपने डबलर केवल इसलिये ही बेचे की माल लागत मूल्य पर भी नहीं बिक रहा था। पंजाब की दूसरी मिल जी सी समाना ने भी उबलिंग के मालांे का उत्पादन काफी कम कर दिया है। देशभर की मिलांे पर डाले तो पता चलता है कि मोटे धागे का उत्पादन करने वाली अधिकांश मिलों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मालों को तो नुकसासन का सामना करना पड़ रहा है वहीं कपड़ा बनाने वाली मिलांे को भी माल की लागत न मिलने के कारण ही महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, सहित देश मे जहां भी पावरलूमों पर कपड़ा बन रहा है उन कपड़ा डत्पादन केन्द्रो पर कैनवास का उत्पादन बहुत ही कम हो रहा है। कैनवास मे नुकसान के कारण ही देशभर मे काफी पावरलूम की इकाईया अब तक बंद हो चुकी है। कपड़ा उत्पादकों का कहना है कि इस उधोग को सरकार का सही सहयोग न मिलने तथा पड़ौसी देश का कपड़ा भी भारतीय उधोग को बराबर चुनौती दे रहा है। सरकार को कपड़ा उधोग को बचाने के लिये बाहर के देशोंे से आने वाले माल पर डयूटी ज्यादा लगानी होगी तथा यह बाजारांे में उधोग को बढावा देने के लिये कुछ रियायती दर पर बैंक लोन की सुविधा आदि से इस उधोग मे जान डाली जा सकती है। बाजारांे मे अनिश्चितताओं के चलते ही कामकाज तो कम ही हो रहे हैं वहीं बाजारो ं मंे धन की भी तंगी बनी हुई है।धन की तंगी दूर होने मंे अभी वक्त लगेगा।

                 

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