पोलिएस्टर काॅटन एवं ब्लेण्डेड कपड़ों की मांग घटी
|
|
|
मुंबई/ रिटेल काउंटरों पर ग्राहकी नहीं होने से ग्राहकी सुस्त है। निर्यात कामकाज में भी कोई दम नहीं है। अमेरिका एवं यूरोप की मंदी के साथ अब देश में औद्योगिक उत्पादन में जून में 1.8% की गिरावट आने के समाचार से मांग कमजोर होने की बात सामने आ रही है। एक ओर बाजार में आर्थिक संकट बना हुआ है। दूसरी तरफ देश में रूई और काॅटन यार्न के भाव में एकतरफा उछाल की स्थिति है। काॅटन यार्न के भाव बढ़ने से सूती कपड़ों की मांग पर असर पड़ सकता है। यद्यपि अभी कोई समस्या नहीं लग रही है, परंतु आगे भाव बढ़कर आने पर खपत कम होने की समस्या हो सकती है। कुछ मिलों ने अपने उत्पादों के भाव बढ़ाने भी शुरू कर दिये हैं।
देशी सूटिंग एवं शर्टिंग में कामकाज अनुकूल है। साड़ी एवं ड्रेस मटेरियल में नये फैंसी माल की आवक बढ़ी है। सूरत की डिजाइनर साडि़यों के भाव बढ़कर आ रहे हैं। काॅटन ग्रे कपड़ा कम उत्पादन होने से मजबूत है। डबल बेडशीट्स अब चीन के बाहर हो जाने से भारतीय माल की प्रतिस्पर्धा नहीं होने से इसके कई महीनों की अग्रिम बुकिंग चल रही है। ब्लाउज मटेरियल के उत्पादक कम है और इसमें प्रयुक्त फाइन एवं सुपर फाइन यार्न के भाव बहुत अधिक बढ़ जाने से इनके भाव बढ़कर बोले जा रहे हंै। परंतु इस भाव पर बाजार में कोई लेवाल नहीं है।
वर्तमान समय में पोलिएस्टर काॅटन एवं ब्लेण्डेड कपड़ों की मांग घट गई है। बाजार में इनका भरपूर स्टाॅक हो गया है। काॅटन कपड़ों की मांग है, लेकिन उत्पादन लागत ऊंची आ रही है। इसके विकल्प के बतौर में रेयाॅन 300 एवं 400 ग्राम के कपड़ों की अग्रिम बुकिंग काफी अच्छी बताई जा रही है। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मफतलाल ने 1 अगस्त से कपड़ों की सभी किस्मों के भाव में 5 प्रति”ात की वृद्धि कर दी है। कंपनी अब हाई वैल्यू प्रीमियम शर्टिंग का उत्पादन करने जा रही है। कंपनी ने लिनन एवं यार्न डाईड शर्टिंग का उत्पादन भी शुरू कर दिया है।
देशी सूटिंग में खुदरा बिक्री अच्छी नहीं है। सूटिंग का कारोबार औसतन है। मिलों एवं उत्पादकों की सूझबूझ से ही बाजार में कामकाज हो रहा है। सियाराम सूटिंग की बाजार में अपनी पैठ है इसलिए इसमें मांग बनी रहती है। रीड एण्ड टेलर सूटिंग का बाजार विशेष किस्म का है। डोनियर की सूटिंग में मांग उसकी नवीनता और नये पैटर्न की वजह से रहती है। आयातित सूटिंग में माल कम है और मांग कोई खास नहीं है।
शर्टिंग में यार्न डाईड चेक्स और लिनन कपड़ों की मांग बढ़ी है। उत्पादकों का ध्यान सबसे अधिक इन्हीं कपड़ों के उत्पादन की ओर है। यद्यपि यार्न के भाव बढ़ने से मिलों ने भाव में कोई कटौती नहीं की है, तथापि बाजार में इन कपड़ों की मांग को समर्थन मिल रहा है। इस समय जिन क्वालिटी की ओर बाजार का रूझान है उसमें 40/40, 120/80, 58 इंच पना फिनिश माल का भाव 130 रूपये है। पावरलूम के 108/72 फिनिश माल का भाव 125 रूपये मीटर है। तुलना में मिलों का माल कमोबेश सस्ता पड़ने से मिलों के माल में ग्राहकी है। प्रीमियम शर्टिंग की रेंज में ग्राहकी नियमित है।
सूरत की डिजाइनर साडि़यों के भाव करीब 25% ऊंचे बोले जा रहे हैं। यद्यपि बाजार में ग्राहकी का टोटा है। फिर भी अनेक कारणों से उत्पादकों को भाव बढ़ाने पड़े हंै। अब बाजार में डिजाइनर साड़ी ही ज्यादा आ रही है। सादी साडि़यों की तुलना में डिजाइनर साडि़यों की लागत भी ऊंची आ रही है, परंतु बाजार में क्रेज भी इन्हीं साडि़यों का होने से उत्पादक सक्रिय है। ड्रेस मटेरियल का भी बाजार सुस्त है। लेकिन बाजार में नई वैरायटी की भरमार है।
ब्लाउज मटेरियल में ग्राहकी बहुत ही कमजोर है। उत्पादकों की भी बाजार में कमी है। इसके बावजूद भाव बढ़कर बोले जा रहे हंै। बाजार में टू बाई टू रूबिया का भाव बढ़कर 72 से 80 रुपये, टू बाई वन का भाव 55 से 60 रूपये और टेरी रूबिया का 44 से 47 रूपये तथा सिफोन का 54 से 58 रूपये हो गया है। हाजिर स्टाॅक में माल का अभाव है।
चीन के बाहर हो जाने के बाद डबल बेडशीट्स में भारत की प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई है। पाकिस्तान कोर्स काउंट में है। अतः भारत को खुला मैदान मिल गया है। इस समय डबल बेडशीट्स में करीब 6 महीने की फुल बुकिंग बताई जा रही है। बडे+ पना में 63 इंच एवं 90 इंच के माल में भाव 4 से 5 रूपये तक बढ़ गए हंै। निर्यात में साटिन के साथ 200 टीसी, 300 टीसी, 400 टीसी, 500 टीसी और 600 टीसी की मांग बताई जा रही है। सेंचुरी मिल की डिजिटल प्रिंट बेडशीट्स इसी माह बाजार में आ रही
|
|
 
 
 
|