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ग्रे कपड़ों का उत्पादन कम फिर भी भाव स्तिर स्कूल यूनिफाॅर्म में अच्छे कामकाजः मिलों के ग्रे कपड़ों की मांग

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मंुबई/ बाजार में सीजन में जिस तरह की ग्राहकी की अपेक्षा की गई थी, उसके उल्टे बाजार की चाल से सीजन में भी सन्नाटा ही है। उत्तर भारत की ओर इस बीच बेमौसमी बरसात होने और ठंड बढ़ जाने से गरमी के सीजन के कपड़ों की बिक्री में विलंब होने से अब बाजार में और सुधार की उम्मीद कम हो गई है। एक ओर 14 फरवरी से लेकर 24 अप्रैल तक वैवाहिक मुहूर्त नहीं हांेगे तथा फरवरी में आमबजट है। उसके बाद मार्च एंडिग आ जायेगा। यद्यपि कपडोें पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं है, इसके कारण बजट को लेकर बाजार अधिक गंभीर नहीं है, परंतु कपडों की उत्पादन लागत में हो रही निरंतर वृ(ि एवं लोगों की घटती खरीद शक्ति से बाजार के कामकाज कमजोर बने हुए हंै। दूसरी ओर काॅटन यार्न के भाव सत्त बढ़ रहे हंै और ग्रे कपड़ों के भाव उस गति से नहीं बढ़ पा रहे हंै, यह स्थिति निश्चित रूप से कारोबारियों को परेशान कर रही है। काॅटन यार्न में तेजी बरकरार है। चीन एवं बांग्लादेश की काॅटन यार्न में जबरदस्त लेवाली रही है। वहीं परिवहन तथा गैस की लागत बढ़ने से प्रोसेस हाउसों में भाव बढ़ाये जाने की चर्चा है। अन्य तैयार फैब्रिक्स में भी उत्पादक भाव बढ़ाना चाहते हंै। अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले में भारतीय रूपया करीब 4 प्रतिशत मजबूत हुआ है, इसका तात्पर्य है कि इतना ही आयात सस्ता हुआ है और निर्यात महंगा हुआ है। वहीं समय पर कपड़े की सप्लाई नहीं होने से निर्यात आॅर्डर कैंसल होने की भी खबरें मिल रही है। अधिकांश कम्पोजिट मिलों के नुकसान में होने की जानकारी मिली है। मिलांे के ग्रे कपडों की बाजार में अच्छी मांग है, विशेषकर जिनका उत्पादन अद्यतन लूमों पर हो रहा है। डेनिम कपड़ों में उत्पादकों के पास माल स्टाॅक हो रहा है। कई उत्पादकों द्वारा पिछले दो वर्षों में क्षमता विस्तार किया गया है। भारत में इस समय डेनिम की क्षमता 90 करोड़ मीटर की है। संतोषजनक बात यह है कि स्कूल यूनिफाॅर्म की सीजन में अच्छे कामकाज होने से इसके उत्पादकों एवं वीवर्सों दोनों के पास इस समय भरपूर काम हो रहा है। जानकारों के अनुसार यूनिफाॅर्म फेब्रिक्स अब वेराइटी और विविधता लैस कारोबार हो गया है। इसी तरह यह कुछ उत्पादकों तक ही सीमित रह गया है। यह न केवल सीजन में बिकने वाला कपड़ा माना जाता है। कई उत्पादकों के पास इसमें वर्षभर काम किया जाता है। इसका वर्गीकरण भी हो गया है और सिर्फ स्कूल यूनिफाॅर्म तक सीमित नहीं है, काॅर्पोरेट एवं इंडस्ट्रीयल उपयोग बढ़ने से इसकी जैसे-जैसे व्यापकता बढ़ी है, वैसे-वैसे उत्पादकों की भरमार हो रही है और उपभोक्ताओं को इसका सीधा लाभ कपड़ों की गुणवत्ता में निरंतर हो रहे सुधार से हो रहा है। यहां रेडी स्टाॅक को हमेशा वरीयता मिली है। यूनिफाॅर्म के कारोबार में उसी उत्पादक के लिए असीम संभावनाएं है, जो स्टाॅक एवं इनाॅवेशन पर जोर दे सकता है। मंुबई पूरे देश में जैसे फैंसी शर्टिंग का विश्वसनीय और एक टिकाउ बाजार माना जाता है, उसी तरह से यूनिफाॅर्म सूटिंग और शर्टिंग में भी इसने अपने झंडे गाड़ दिये है। ग्राहकों को 36 एवं 58 इंच पने में पीवी, पीसी ब्लेंड की उम्दा वेराईटी मिलती है। एस कुमार्स अभी भी बाजार में इस क्षेत्र का अग्रणी है। इसके साथ ही मफतलाल, बाम्बे डाइंग और सियाराम के स्कूल यूनिफाॅर्म में सक्रीयता बढ़ी है। परंतु असंगठित क्षेत्रों में कुछ उत्पादक ऐसे है, जो अपनी गुणवत्ता एवं रेडी स्टाॅक के बल पर देसावरी मंडियों की जरूरतों को पूरा करने मंे कोई कसर नहीं छोड रहे हैं। मार्केट में अपने को स्थापित कर चुके उत्पादकों में कई नाम है, परंतु उनमें से कुछ उत्पादकों का उल्लेख करना जरूरी लग रहा है, इनमें वालजी, क्यूमेक्स, स्पर्श फेब, गंगोत्री टेक्सटाइल, प्रभुजी, बजाज फेब इत्यादि है। जहां तक आयातित सूटिंग का सवाल है यहां भाव बढ़ने के बजाय 2 से 3 प्रतिशत तक घटे हैं। बाजार में सलोना प्लेन और सलोना जरी में कोई लेवाली नहीं है, सिर्फ फैंसी टीआर सूटिंग में गार्मेंट मालों की मांग रही है। इसमें 165 से 225 रूपए की ऊंची रेंज में कारोबार हो रहा है। साथ ही प्योर लिनन सूटिंग की अनेक डिजाइनें बाजार में आ गई है और ये एक रोल में भी उपलब्ध है। कोरिया की सूटिंग का भाव जहां 600 से 650 रूपए है, वहीं चीन का 350 से 450 रूपए है। इसके अलावा चीन से काॅटन मिक्स हल्की लिनन की रेंज है, जिसका भाव 200 से 350 रूपए के आसपास है। वहीं देशी सूटिंग में इन दिनों ट्वील वीव की मांग है। आयातित शर्टिंग में रंगीन लिनन की मांग मांग बढ़ी है। फिलहाल बाजार में रंगीन माल कम है और जो माल आ रहा है, वह तत्काल बिकता जा रहा है। इसमें 52/58 की क्वालिटी 58 इंच पने का भाव 112 से 115 रूपए है। यह आइटम सस्ती है, इससे इसकी खूब मांग रही है। इसके बाद दूसरी क्वालिटी 60/60 की आ रही है, जिसका भाव 125 से 130 रूपए मीटर है। गोपालजी शर्टिंग की मांग कमजोर है। देशी शर्टिंग में बडे+ पने की शर्टिंग को अधिक पसंद किया जा रहा है। ग्रे कपड़ों का उत्पादन कम होने के बावजूद इनके भाव स्थिर है। 40/36, 10 स्लबग, 10 स्लब 62 इंच ग्रे का भाव 62 रूपए हंै। 40/40, 132/72 पाॅपलीन 63 इंच पने ग्रे का भाव 72 रूपए, 40/40, 124/64, 63 इंच पने 68 रूपए, और 40/40, 92/80, 63 इंच पने 57 रूपए हैं। सुल्जर लूम की 20/20, 60/60, 63 इंच पने 250 ग्राम वजन क्वालिटी का 43 रूपए हैं। मेडअप्स में इस्तेमाल होते कपड़ा 40/40, 92/88, 48 इंच पने कोम्ब डाइंग ग्रे का एक्स तिरूपुर भाव 33 रूपए, और 54 इंच ग्रे का 37 रूपए हंै।

                 

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