रूई फिर पहुंची 40 हजार के पार
बीटी काॅटन सीड्स की बिक्री एवं वितरण पर रोक
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मुंबई/ रूई उत्पादक केंद्रों पर कम बारिश तथा विलंब से हुई बारिश के कारण कपास की बोआई एवं रूई की पैदावार पर असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा रहा है। कपास की बोआई क्षेत्रफल में करीब 10 से 12% की कमी होने का अनुमान है। इस बीच वस्त्र आयुक्त श्री जोशी ने सकारात्मक रूख व्यक्त करते हुए कहा है कि रूई के मुख्य उत्पादक राज्य गुजरात एवं महाराष्ट्र में उत्पादकता अच्छी रहेगी और इससे रूई की पैदावार कम प्रभावित होगी।
महाराष्ट्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से बीटी काॅटन सीड्स की बिक्री एवं वितरण पर रोक लगा दी है। यह बीज महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कंपनी;मायकोद्ध तैयार करती है। यह कंपनी अमेरिकी एमएनसी मोनसेंटो की पार्टनर है। यह रोक खराब क्वालिटी की बीज की आपूर्ति करने की शिकायतों के बाद लगाई गई है। इससे महाराष्ट्र के किसानों को भारी नुकसान हुआ है और कइयों को आत्महत्या तक करनी पड़ी है।
आगामी दिनों में बाजार में रूई की कमी होने की आशंका के बीच उन किसानों की माल पर पकड़ मजबूत हो गई है, जिनके पास रूई का पुराना स्टाॅक पड़ा हुआ है। स्थानीय बाजार में रूई के भाव बढ़ रहे हैं और उनको लगता है कि और अधिक भाव मिल सकता है। बाजार में संकर 4 रूई 40,000 रूपये के निकट पहुंच गई है। आंध्रप्रदेश में भाव 38500 से 39300 रूपये प्रति खंडी तथा गुंटूर का भाव 40500 रूपये प्रति खंडी हो गया है।
दूसरी तरफ स्पिनिंग मिलों द्वारा अफ्रीका एवं अन्य देशों से करीब 10 लाख गांठ रूई के आयात का सौदा किया गया है। नवम्बर तक भारत में आयात का सौदा 15 से 20 लाख गांठ तक पहुंच सकता है। जानकारों का कहना है कि इन दिनों स्थानीय बाजार में रूई जिस भाव पर उपलब्ध हो रही है, उससे कम भाव पर आयात हो रहा है। देशी रूई की तुलना में 4-5% कम भाव पर रूई का आयात संभव होने से मिलों की रूचि रूई आयात की ओर बढ़ी है। भारत में रूई के भाव अमेरिका एवं अफ्रीकन रूई से अधिक बताए जा रहे हैं।
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