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गारमेण्ट मेंे डिस्काउण्ट का दौर निर्माता प्रीमियम शर्टिंग की ओर मुड़े

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मुंबई/ गारमेण्ट में डिस्काउंट का सीजन चल रहा है। एक तरह से देखा जाये तो यह सालाना परंपरा जैसा हो गया है, जिसमें लोग डिस्काउंट पर पसंदीदा ब्रांड खरीदते हंै। आम दिनों में इन ब्रांडों को खरीदना सबके बस का नहीं होता है, क्योंकि ये महंगे होते है। परंतु जब बाजार में मानसून का सेल होता है तो रिटेलर्स कस्टमर्स को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कुछ लोगों को ऐसे डिस्काउंट का इंतजार रहता है और पूरे साल का इंतजाम इस दौर में कर लेते हैं। अर्थव्यवस्था की मंदी का असर यहां नहीं लग रहा है। उपभोक्ताओं का मानना है कि इस तरह के दौर में ब्रांडेड कपड़ों को खरीदना काफी फायदेमंद होता है। बाजार में प्रीमियम ब्रांड सस्ते दर पर मिल जाते हंै। एक कारण और है जो ऐसे डिस्काउंट को प्रेरित करती है। जब बाजार में लंबे समय से मंदी चल रही हो तो मेन्यूफैक्चरर्स की बिक्री कम हो जाती है। ऐसे में उनकी इंवेंटरी बढ़ जाती है। त्यौहारी सीजन से पहले उसे निकालने की आवश्यकता होती है। इसके लिए सेल अथवा डिस्काउंट सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। जहां बात रेडीमेड कपड़ों की आती है तब यहां फैशन और स्टाइल अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हंै। स्टाइल एवं फैशन बड़ी तेजी से बदल रहे हंै। एपरल के मामले तो यह बहुत ही तेजी से बदलता नजर आता है। बड़े ब्रांडेड सभी उत्पादकों के पास उनकी आर एंड डी की व्यवस्था है, जो निरंतर बाजार की जरूरत के मुताबिक शोध कार्य करता है और उन्हीं डिजाइन को बाजार में उतारता है, जिसमें मांग हो। ऐसे में अगर किसी निर्माता के पास पहले से ही बाजार में लोकप्रिय हो चुकी डिजाइन का स्टाॅक अधिक है तो उसके फैशन से बाहर हो जाने का खतरा भी बना रहता है। इसलिए वह इस डिजाइन को डिस्काउंट में बेचना चाहता है। ऐसा माना जाता है कि 15 अगस्त के आसपास से बाजार में नए माल की आवक शुरू हो जाती है। क्योंकि त्यौहारी सीजन का आगाज भी होता है। बोटमवियर में डेनिम का क्रेज बना हुआ है। शर्टिंग में यार्न डाईड शर्टिंग पर उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं दोनों का जोर लग रहा है। वहीं बड़े चेक्स पैनल में मिलों एवं बाजार दोनों में भरपूर स्टाॅक होने से ये अपने रेग्यूलर भाव से आधे दाम पर बिक रहे हैं। प्रीमियम शर्टिंग में ग्राहकी है। एम्ब्राॅयडरी बाजार अच्छा रहा है। इस समय एम्ब्राॅयडरी प्रिंट की खपत विषेशकर कुर्ती की डिजाइनों अधिक है। उत्पादन स्तर पर कुछ बदलाव देखा जा रहा है। पहले गारमेण्ट इकाइयां 150 रूपये से अधिक भाव रेंज के कपड़ों को कम खरीदती थी। उनकी कोशिश मीडियम रेंज में कपड़ों को खरीदकर तद्नुसार रेडीमेड गारमेण्ट को बनाना था। परंतु अब जब प्रीमियम शर्टिंग के लेवाल बाजार में बढ़ने लगे हंै और मिलों से लेकर पावरलूमों कपड़ों में भी इस तरह की क्वलिटी का कपड़ा आसानी से एवं वाजिब भाव रेंज में मिल रहा है। अब गारमेण्ट इकाइयां प्रीमियम शर्टिंग की ओर मुड़ गई है।

                 

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