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काॅटन का उत्पादन घटने की संभावना से आयात में बढ़ोतरी चालू सीजन में 15 लाख गांठ काॅटन का हो सकता है आयात

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नई दिल्ली/ यद्यपि अब तक काॅटन की बिजाई 109 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षे+त्र में हो चुकी है जो गत वर्ष के समान ही है फिरभी इस बार प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में वर्षा की भारी कमी के कारण अगले विपणन सीजन 2012-13 के दौरान काॅटन का उत्पादन घटने की संभावना है। उत्पादन में गिरावट 12 से 15% तक होने का पुर्वानुमान है। अगले सीजन में उत्पादन कम होने तथा वर्तमान सीजन में कैरी फाॅरवर्ड स्टाॅक कम रहने की वजह से आयात बढ़ने की संभावना है। घरेलु काॅटन की कमी से आयात में इस साल पिछले साल के मुकाबले द¨गुनी बढ़ोतरी की संभावना है। यार्न मिलें चालू सीजन में 15 लाख गांठ ;एक गांठ =170 किलोग्रामद्ध का आयात कर सकती हैं। पिछले काॅटन सीजन ;अक्टूबर-सितंबरद्ध के दौरान यार्न मिलों ने लगभग 7 लाख गांठ का आयात किया था। हालांकि इस आयात से यार्न की लागत पर कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा है, क्योंकि आयातित काॅटन के भाव घरेलू काॅटन से कम है। अंतर्राष्ट्रीय काॅटन इण्डेक्स 85 सेंट प्रति औंस का भाव चल रहा है। अब तक देश भर मेंे 109.23 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में काॅटन की बिजाई हो चुकी है जो गत वर्ष के समान है तथा काॅटन के सामान्य क्षेत्रफल 111.81 लाख हेक्टेयर के आसपास है। आंध्रप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं उड़ीसा में बिजाई का क्षेत्रफल बढ़ा है जबकि गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब एवं तमिलनाडु में घटा है। प्रमुख उत्पादन राज्य गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में वर्षा की कमी के कारण उत्पादन कम होने का पूर्वानुमान है। अमेरिकी कृषि विभाग में भारत में उत्पादन 12% तक घटने की संभावना व्यक्त की है। अमेरिकी कृषि विभाग ;यूएसडीएद्ध की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में उत्पादन घटकर 300 लाख गांठ ;प्रति गांठ 170 किलोद्ध रह सकता है। वर्तमान हालात को देखते हुए उत्पादन में गिरावट 15% तक हो सकती है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। वर्तमान सीजन 2011-12 के दौरान देश में 340 से 350 लाख गांठ काॅटन का उत्पादन होने का अनुमान है जिसमें से 130 लाख गांठ तक निर्यात हुआ है। पिछले सीजन में 78 लाख गांठ काॅटन का निर्यात किया गया। अगले सीजन के लिए यूएसडीए ने पहले 323 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान लगाया था। लेकिन यूएसडीए की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में अच्छी वर्षा होती है तो किसान काॅटन की बिजाई पर ध्यान दे सकते हैं लेकिन इससे पहले सूखे के हालात रहने से रकबा में कमी रहेगी। इससे उत्पादन घटकर 300 लाख गांठ रह सकता है। यार्न मिलों के मुताबिक घरेलू काॅटन की कीमत में बढ़ोतरी व घरेलू काॅटन की कमी के कारण उन्हें आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इस साल काॅटन की घरेलू खपत 245-250 लाख गांठ रहने की संभावना है। यार्न की घरेलू मांग में बढ़ोतरी के कारण घरेलू काॅटन की कीमतों में भी पिछले डेढ़ महीने के दौरान प्रति कैंडी ;एक कैंडी 356 किलोग्रामद्ध 5,000-5,500 रुपये तक की बढ़ोतरी दर्ज की गईई है। 32,000 रुपए प्रति कैंडी वाली काॅटन लगभग 38,000 रुपए प्रति कैंडी के भाव बिक रही है। काॅन्फेडरेशन आॅफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के महासचिव श्री डी.के. नायर के अनुसार राहत की बात यह है कि वैश्विक बाजार में काॅटन का स्टाॅक काफी अधिक है और आयातित काॅटन के भाव घरेलू काॅटन के बराबर स्तर पर है। इसलिए यार्न मिलों की लागत में आयातित काॅटन के इस्तेमाल से कोई बढ़ोतरी नहीं होने जा रही है। भारत मुख्य रूप से अमेरिका, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका व मध्य एशिया से काॅटन का आयात कर रहा है।

                 

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