ग्रे कपड़ों का उत्पादन लडखडाया : फिनिश में हाजिर माल में ग्राहकी
मुंबई/ कपडा बाजार के लिए यह समय भरपूर ग्राहकी का है और इस दौरान बाजार में सिर्फ फिनिश कपडा के हाजिर माल में ही ग्राहकी है। मंदी की आहट से कारोबारियों के सभी समीकरण बदल गए हैं। बाजार में जैसी ग्राहकी होनी चाहिए, वैसी नहीं चलने से आर्थिक संकट और भी गहरा गया है। अब आगे एकाध महीने का ही समय शेष रह गया है, उसके बाद वर्षा की शुरूआत हो जाएगी, उन दिनों में बाजार में ग्राहकी की संभावनाएं भी बहुत कम हो जाया करती है। उत्पादन स्तर पर कारीगरों की कमी के कारण जहां ग्रे कपडा का उत्पादन लड खडा गया है। वहीं ग्रे कपडा का उत्पादन करने वाली इकाइयों के पास इतने प्रोग्राम है कि वे उसी को पूरा करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाने पर भी समय पर पूरा करने में असमर्थ पा रही है, इसलिए नई बुकिंग लेनी फिलहाल बंद कर दिया गया है।
एयरजेट लूमों पर बने ग्रे कपडा के भाव पिछले कुछ समय से प्रति मीटर २ से ३ रुपये तक बढ कर बोले जा रहे हैं। जिन ग्रे कपडा में भाव बढ ने की बात की जा रही है उसमें ६०/६०, १३२/१०८, ६३ इंच पना के कॉम्पेक्ट ग कॉम्पेक्ट का बढ कर ७३ रुपये हो गया है। इसी तरह ४०/४०, १२४/९६ कॉम्पेक्ट ग कोम्बड का भी ७३ रुपये मीटर हो गया है। ३०/३०, १२४/६४, ६३ इंच पना टि्वल का भाव ७४ रुपये तक पहुंच गया है। २०/२०, १०८/५६ ६३ इंच पना ड्रिल का भाव स्कूल यूनिफॉर्म की मांग से ६४ रुपये हो गया है। कोलकाता एवं जेतपुर के साडी वालों की मांग से पावरलूम केम्ब्र्रिक एवं मलमल ग्रे कपडा के भाव २५ से ५० पैसा मीटर तक सुधार गए हैं।
प्रोसेस हाउसों में ग्रे कपड़ों का इतना स्टॉक जमा हो गया है कि वे जहां ग्रे कपडे को स्वीकार करने में आनाकानी कर रही है। इतना ही नहीं डोम्बीवली और बदलापुर स्थित प्रोसेस हाउसों ने प्रोसेसिंग चार्ज तो बढाए ही है साथ ही माल की डिलिवरी देने की अवधि भी बढ दी है। हाल ऐसा है कि जितना दबाव प्रोसेस हाउसों पर देखा जा रहा है, उससे कहीं ज्यादा दबाव बुनकरों पर है। चलनी आइटमों को छोड कर करीब-करीब सभी वीवरों के पास अन्य ग्रे कपडा का स्टॉक बढा है और वे इस बढ ते स्टॉक से परेशान है। मिलों की भी स्थिति कमोबेश बहुत ही टाइट बताई जा रही है। बाजार के सूत्रों का कहना है कि बाजार में मंदी का कारण जिस तरह से ग्रे कपडा का भाव बढा है, उस अनुपात में प्रोसेस्ड कपडा का भाव नहीं बढ सका है।
बाजार में सिर्फ गरमी के कपडा जैसे कि सूती लोन, केम्ब्रिक, डोरिया, अवरगंडी, वॉयल, स्कूल यूनिफॉर्म, स्कूल बैग इत्यादि कपडो में मांग है। इन आइटमों में हाजिर में जितना माल आ रहा है, वह बडी आसानी से बिकता जा रहा है। कुछ आइटमों में स्टॉक कम होने की भी शिकायत मिली है, इसके कारण उनके भावों पर भी असर पड ने लगा है।
स्कूल यूनिफॉर्म में देसावरी मंडियों की मांग भी बढ नी शुरू हो गई है। यह स्कूल यूनिफॉर्म की बिक्री का सीजन है और इस समय बाजार में मिलों एवं असंगठित क्षेत्र की इकाइयों से भरपूर स्टॉक भेजा जा रहा है। बिक्री में सुधार दिखाई दे रहा है। यद्यपि शुरूआती समय में भाव कुछ कम खुले थे, किंतु जैसे-जैसे बाजार में मांग का समर्थन बढ ता गया वैसे-वैसे बाजार में भाव संभलने शुरू हो गए हैं।
स्कूल यूनिफॉर्म में उत्पादकों के बढ़ने के साथ नए-नए स्कूलों के खुलने से इसका बाजार काफी बढ है साथ में कपडो की वैराइटी भी बढ है। मिलों के अलावा अन्य उत्पादन केंद्रों पर असंगठित क्षेत्र बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। तथापि बाजार में जिनकी कई सालों से पकड बनी है ऐसी इकाइयों के स्कूल यूनिफॉर्म की मांग में सुधार के संकेत मिले हैं।
सूटिंग में पीवी, पीसी, टीआर, लिनन बेस और डेनिम की मांग बनी हुई है। जिन मिलों की सूटिंग को मांग का समर्थन है उनमें सियाराम, डोनियर, रेमंड, मयूर, एस. कुमार्स जैसी मिलों का समावेश है। इसके अलावा भीलवाडा की सुजुकी, गुडविल इत्यादि इकाइयों के मुनासिब सूटिंग का समर्थन बताया जा रहा है।
शर्टिंग में यार्न डाईड चेक्स की खपत सबसे अधिक है। इसमें छोटा एवं मध्यम चैक्स दोनों की मांग बराबर हो रही है। स्ट्राइप में भी दम है, परंतु प्रिंट आउट सा हो गया है। प्लेन में भी यार्न डाइड ही खप रहा है और पीस डाइड की मांग नहीं रही है।