गारमेण्ट निर्यातकों को और रियायत मिलने की संभावना
निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के सरकार ने मांगे सुझाव
|
|
|
नई दिल्ली/ रोजगार मूलक गारमेण्ट निर्यात की बिगड़ती हालत को देखते हुए सरकार की ओर से निर्यातकों को और रियायत मिलने की संभावना है ताकि निर्यात में बढ़ोतरी कर निर्धारित 18 अरब अमेरिकी डाॅलर का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। इस पर गंभीरता से विचार हो रहा है। निर्यात में लगातार हो रही गिरावट से चिंतित वाणिज्य मंत्रालय इसकी रफ्तार में तेजी लाने के लिए के उपायों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्री श्री आनंद शर्मा ने 14 अगस्त को इस सिलसिले में निर्यात काउंसिल के साथ बैठक कर विचार-विमर्श किया।
कपड़ा मंत्रालय ने निर्यात में गिरावट को रोकने तथा लक्ष्य को पूरा करने के लिए निर्यातकों से सुझाव मांगे हैं। इसी क्रम में मंत्रालय ने विचार विमर्श शुरू कर दिया है। इससे पूर्व टेक्सटाइल मंत्रालय में सयंुक्त सचिव श्री वी श्रीनिवास की अध्यक्षता में 50 से अधिक गारमेण्ट निर्यातकों और संबंधित अधिकारियों की बैठक बैंगलुरु में बुलाईगई थी जिसमें अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों को निर्यात बढ़ाने के लिए विचार विमर्श किया गया। उक्त बैठक में अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ;एईपीसीद्ध की कार्यकारिणी सदस्यों के अलावा 50 गारमेण्ट निर्यातक बैठक में शामिल हुए ताकि निर्यात बढ़ाने की रणनीति तैयार की जा सके।
अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों को भारतीय निर्यात घटा है, जबकि वियतनाम, कम्बोडिया, चीन और बांग्लादेश जैसे देशों का निर्यात बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के जून महीने में देश से अपैरल निर्यात में 10.6% की गिरावट आईरही है। वही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में यह गिरावट 12.08% रही।
गारमेण्ट निर्यातकों के अनुसार अमेरिका, यूरोप और कनाडा को भारत का 80 प्रतिशत गारमेण्ट निर्यात होता है, इसलिए इन देशों के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर गारमेण्ट निर्यात में बढ़ोतरी हो सकती है और यह तभी संभव है कि जब भारतीय गारमेण्ट प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध हो।
निर्यातकों ने ड्यूटी ड्राॅ-बैक की दर बढ़ाने, यूरोपीय यूनियन के साथ जल्द मुक्त व्यापार समझौता करने, विकसित देशों को निर्यात बढ़ाने के लिए मार्केटिंग को मजबूत करने, श्रमिक समस्या दूर करने के लिए मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों को अपेरल क्षेत्र से ज¨ड़ने लिए स्कीम लाने, फोकस मार्केट व फोकस प्रोडक्ट्स स्कीम का विस्तार करने, एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम, फोकस मार्केट स्कीम में नए देशों को शमिल करने की मांग की है।
गारमेण्ट निर्यात संघ के महासचिव श्री सुरिन्द्र आनंद के अनुसार गारमेण्ट निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए गारमेण्ट यूनिटों को उत्पादन में भारी वृ+ करनी होगी लेकिन इसमें ज्यादातर छोटी यूनिट है जिससे उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी निवेश नहीं हो पा रहा है। भारत को चीन, वियतनाम, कम्बोडिया और बांग्लादेश जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है जो न्यूनतम लागत वाले सप्लायर हैं। इसलिए भारत को इस क्षेत्र में निवेश कर उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी।
निर्यातक अब परम्परागत देशों के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका सहित कई अन्य देशों में भी बाजार तलाश रहे हैं। साथ ही निर्यातकों ने घरेलू बाजार पर भी ध्यान बढ़ा दिया है। निर्यातकों की नजर अब सितंबर के निर्यात आंकड़ों पर है। अगस्त की छुट्टियों के बाद यूरोपीय देशों से निर्यात आॅर्डर मिलने की उम्मीद है।
गारमेण्ट निर्यात में लगातार हो रही गिरावट से निपटने के लिए निर्यातक अपने उत्पादन और लागत दोनों में कटौती कर रहे हैं। निर्यात आॅर्डर में कमी व मौजूदा चुनौतियां का सामना करने के लिए निर्यातक भरोसेमंद ग्राहकों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। इसके अलावा, निर्यातकों ने ग्लोबल बाजार की मांग के मुताबिक अपने उत्पादों में भी बदलाव लाने की योजना बनाईहै।
अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल ने निर्यात बढ़ाने के लिए पहली अप्रैल 2012 से ड्राॅ-बैक दरों में बढ़ोतरी की मांग की है। काउंसिल ने कहा कि काॅटन एवं अन्य की ड्राॅ-बैक दर 10.27 प्रतिशत, ब्लेण्डेड जिसमें काॅटन एवं मेनमेड फाइबर यार्न की दर 11.21 प्रतिशत होनी चाहिए।
बिगड़ते हालात में निर्यातकों को सरकार से उम्मीद है। उनका मानना है कि नए वित्त मंत्री का सहयोग अगर रहा तो निर्यातकों के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान ही फिर से कुछ और रियायतों की घोषणा की जा सकती है।
अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल एवं गारमेण्ट निर्यात संघ ने सरकार को अपने सुझाव में कहा है कि सरकार को प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना के तहत अधिक आवंटन करना चाहिए ताकि प्रौद्योगिकी में आधुनिक इक्यूपमेंट लगातार उत्पादन क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। निर्यातकों को एअरपोर्ट एवं पोर्ट पर बुनियादी सुविधाएं एवं ट्रांसपोर्ट सुविधा तथा उत्पादन केन्द्रों से पोर्ट कंटेनर डिपो एवं एअरपोर्ट कार्गो काॅम्पलेक्स तक ट्रकों की बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि विभिन्न राज्यों के बाॅर्डरों पर अनावश्यक विलम्ब न हो। पर्याप्त बिजली सप्लाई एवं औद्योगिक गैस की उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए तथा ट्रान्जेक्सन काॅस्ट को कम किया जाना चाहिए। डयूटी ड्राॅ-बैक की दरों में तत्काल 5 प्रतिशत की वृद्धि की जानी चाहिए। गारमेण्ट क्षेत्र में श्रम सुधार कर वेतन को उत्पादकता के आधार पर तय किया जाना चाहिए। मार्केट डवलपमेंट सहायता दी जानी चाहिए। निर्याताकों को किसानों की तरह 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दरों पर पर्याप्त पूंजी मुहैया कराई जानी चाहिए। ब्याज सबवेंशन को 2 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाना चाहिए। सेवा कर रिफंड को बढ़ाकर 2 प्रतिशत किया जाना चाहिए। जीएसटी को लागू किया जाना चाहिए। निर्यातकों को शत-प्रतिशत रिस्क कवर दिया जाना चाहिए तथा प्रीमियम कम किया जाना चाहिए। टेक्सटाइल मशीनरी, एसेसरीज एवं फैब्रिक्स पर आयात शुल्क समाप्त किया जाना चाहिए।
|
|
 
 
 
|