व्यापारियों के धैर्य की परीक्षा जारी
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भीलवाड़ा/ लगता है यह वर्ष भीलवाड़ा वस्त्र उद्यमियों के धैर्य की कड़ी परीक्षा ले रहा है। यह वित्तीय वर्ष आधा बीतने को है लेकिन बाजार के हालात अभी भी नहीं सुधरे है। बड़े घरांे को छोड़ दे तो मध्यम व छोटे निर्माताओं की हालात पतली होती जा रही है। उनकी हिम्मत साथ छोड़ने लगी है। यहां तक कि कपड़े के कामकाज छोड़ने तक का मन बनने लगा है। फिर भी न जाने किस आश से वे डटे हुये हैं। वैसे बाजार विशेषज्ञों के अनुसार अक्टूबर से बाजार को चलने से कोई रोक नहीं पायेगा लेकिन श्रा(पक्ष थोड़ा बाधा डाल सकते हैं। उसके उपरान्त नवरात्रि से रिटेल में ताबड़तोड़ ग्राहकी के पूरे संकेत मिल रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो उद्यमियों की टूटी हुई आश को फिर आॅक्सीजन मिल सकती है।
काॅन्फ्रेंस एवं फैब्रिक डिस्प्ले का दौर- जानकारी के अनुसार मंदी के इस दौर से राहत पाने के लिए कुछ निर्माताओं द्वारा काॅन्फ्रेंस व फैब्रिक डिस्प्ले किये जा रहे हैं। जिनमें न्यूमैन, सिटीलाइन, स्वागत, बीएसएल, जयकरणी, मुरलीधरा शामिल है। सूत्रों के अनुसार जयकरणी सूटिंग डीलर्स के तत्वावधान में गोवा व जयपुर में फैब्रिक डिस्प्ले आयोजित करने जा रही है। वहीं मुरलीधरा ने भी डीलर के नेतृत्व में रिटेल काॅन्फ्रेंस आयोजित की जिसमें उसको अच्छा रिस्पोंस मिला। ज्ञात रहे कि ‘मुरलीधरा’ फैंसी पीस की सिंगल व जोड़ी पैकिंग की विस्तृत रेंज बनाता है। ‘सर्विकोम सूटिंग’ को पिछले दिनों गोवा व जयपुर में आयोजित वार्षिक काॅन्फ्रेंस को बहुत अच्छा रिस्पोंस मिला तथा बुकिंग माल की डिस्पेचिंग जारी है।
यार्न बाजार- इस बार यार्न मार्केट ने भी व्यापारियों के घावों पर नमक छिड़कने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक तरफ जहां कपड़े में ग्राहकी नहीं थी वहीं दूसरी तरफ यार्न के भावों में तेजी देखी जा रही है। अभी भी यार्न बाजार की स्थिति यथावत है। व्यापारी आवश्यक खरीदी ही कर रहा है। जानकारी के अनुसार पावरकट के चलते पूरे हिन्दुस्तान की स्पिनिंग मिलों में प्रोडक्शन कट के कारण ये हालात बने व साथ ही टेक्स बाई टेक्स कपड़े की डिमाण्ड बंद होकर पीवी व पीसी की डिमाण्ड निकलने से यार्न के भाव 222-223 रुपये के आकड़े को छू गये।
अभी भी यार्न की आवक पूरी तरह सुधरी नहीं है। लेकिन फैब्रिक में ग्राहकी अच्छी नहीं होने से ज्यादा हाय तौबा वाली स्थिति नहीं है। इधर आरएसडब्ल्यूएम मार्केट हिस्सा बढ़ाने हेतु इन्दौर, इचलकरंजी में आॅफिस खोलने के बाद हाल ही में कानपुर में भी अपना आॅफिस स्थापित किया है। यार्न उत्पादन में आरएसडब्ल्यूएम तेजी से अपना विस्तार करती जा रही है।
58’’ शर्टिंग का उत्पादन- सूटिंग बाजार के हालातों के मद्देनजर यहां जाॅब वीवर्स ने बड़े पने की शर्टिंग का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। यह सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। सूरत व मुम्बई के प्रोग्राम बराबर मिलने लगे हंै। बीच में इण्डिगो की डिमाण्ड चली जब इसको अधिक जोर मिला लेकिन शर्टिंग में फिनिश यहां सफल नहीं होने से फिलहाल ग्रे का उत्पादन ही हो रहा है। वैसे भी यहां के निर्माताओं को सूटिंग के अलावा अन्य विकल्प पर भी पूरा ध्यान देना चाहिये ताकि मंदी के दौर में भी सर्वाइव किया जा सके।
प्रमुख वीविंग कंसलटेण्ट श्री प्रमोद तोषनीवाल के अनुसार इस वर्ष लूमों की स्थिति कुछ ज्यादा ही टाइट देखी गई। जाॅब दर्रे इतनी कम हो गई कि वीवर्स ने जाॅब करने के बजाय लूमें बंद रखना ज्यादा मुनासिब समझा। ऐसे में पावरकट ने उनको काफी मदद की। कपड़े में डिमाण्ड नहीं होने से अण्डरकोस्ट की स्थितियां अभी भी है। उन्होंने कहा कि पहले कुछ कपड़ा किशनगढ़ इत्यादि भी जाॅब कराना पड़ता था लेकिन वर्तमान में स्थानीय वीवर्स के पास ही पर्याप्त कामकाज नहीं है। यह बात जरूर है कि 58’’ शर्टिंग के आॅर्डर मिलने से थोड़ी राहत मिल जाती है। वैसे यहां के निर्माताओं को सुल्जर लूम्स पर काॅटन वीविंग पर ध्यान देना चाहिये।
प्रोसेसिंग- मंदी का असर प्रोसेस हाउसों पर भी पड़ा है। एक तरफ पावरकट से प्रोडक्शन कम हुआ वहीं कपड़े की डिमाण्ड भी कम होने से प्रोसेस हाउसों में कपड़े की आवक कमजोर रही। 3-4 प्रोसेस हाउसों के अलावा अन्य में कपड़े की आवक कमजोर है। वहीं दूसरी तरफ संगम ने अपनी क्षमता बढ़ाते हुये 2 स्टेण्टर और स्थापित किये हैं।
जाॅब दरेंः- वर्तमान में सुल्जर की सिंगल विड्थ की जाॅब रेट 11-13 पैसे व डबल विड्थ पर 8-10 पैसे चल रही है वहीं एयरजेट पर 14-16 पैसे व डोर्नियर पर 13-14 पैसे प्रति पिक चल रही है।
एक्सपोर्ट बाजार- एक तरफ जहां स्थानीय उद्यो मंदी की मार झे ल रहा है वहीं दूसरी तरफ एक्सपोर्ट मार्केट में भी रुपये में आई गिरावट से मंदी का दौर चल रहा है। डाॅलर की मजबूती से जहां कपड़े की डिमाण्ड घटी है वहीं लूमों का इम्पोर्ट भी थम गया है। जानकारी के अनुसार करीब 100 करोड़ के प्रोजेक्ट अटक गये हैं।
‘अनिरू( यूनिफाॅर्म’ द्वारा किया जा रहा क्षमता विस्तार भी पूरा हो चुका है जिसमें 12 रेपियर मशीनें और स्थापित की है व इनहाउस डाई हाउस भी लगाया है। सम्पूर्ण भारत में यह पहली इकाई है जिसमें 12 कलर वेट में चलाये जा सकते हंै। अब जो भी कलर पार्टी को चाहिये ‘अनिरू(’ उसको सप्लाई करने में सक्षम है। सूत्रों के अनुसार ‘अनिरू(’ ने डोमेस्टिक मार्केट में अच्छी पकड़ बनाने के बाद इण्टरनेशनल मार्केट में प्रवेश की पूरी तैयारी कर ली है।
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