...बस चल रहा है काम
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बालोतरा/ उत्पादन की धीमी गति की क्रिया और शिथिल होने में एक और जहां रैनी सीजन के कारण मौसम का हाथ रहा वहीं दूसरी ओर जैन धर्मावलम्बियों के पर्यूषण पर्व से भी उत्पादन बन्दी को बल मिला। बाबा रामदेव के भक्तों के जथ्थों में भारी संख्या में औद्योगिक सम्ब( श्रृ(ालुओं ने पैदल व अन्य जरियों से रूचेणा पहुंचने का क्रम रखा। इसके साथ ही बिठुजा धुपाई उद्योग के रख-रखाव व सफाई आदि के कारणों से ग्रे क्लोथ की धुपाई एवं मर्सराइजेशन का काम अधरझूल में होने का प्रत्यक्ष असर पोपलीन उत्पादन पर पड़ा है। श्रमिकों की विशेष कमी का अनुभव कर बड़े उत्पादकों ने अपना यह काम अन्यत्र मण्डियों में कराकर अपने काम को चलाया तथा आज भी स्थिति लगभग ज्यों की त्यों चल रही है।
पाली के बन्द उद्योगों के शुरू होने के आसार बन रहे हैं। बालोतरा के उद्यमी भी किसी अप्रत्याशित नुकसान की सम्भावना से बचने के लिये सम्भल-सम्भल कर अपने निर्णयों को असली जामा पहना रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बालोतरा वाटर पोल्यूशन कन्ट्रोल एण्ड रिसर्च फाउन्डेशन ने अपने संयंत्रों के संचालन व रख-रखाव हेतु टेण्डर जारी किये हंै। टेण्डर फाॅर्म पांच सितम्बर तक लिये जाकर सात सितम्बर 2012 तक जमा कराने का प्रावधान है। ट्रस्ट ने ये टेण्डर 6 व 12 एमएलडी संयंत्र के संचालन एवं रख-रखाव के अलावा 30 एम एल डी बिठूजा संयंत्र, गांधीपुरा पम्प हाउस और एचआरटीएस भूमि के रख-रखाव व संचालन के लिये आमंत्रित किये हैं। टेण्डर अनुसार कार्य प्रक्रिया प्रारम्भ होने से स्थानीय उद्योगों को निश्चित रूप से नया जीवन मिल सकेगा।
पर्यूषण पर्व को लेकर उससे सम्बन्धित समारोहों की धूम अभी भी व्यवस्थित चल रही है। धार्मिक कार्यों व अनुष्ठानों में यहां के उद्यमियों का लगाव सदा से रहा है। जिससे उत्पादन प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इतना होने के उपरान्त भी रकम की आवक बदस्तूर संतोषजनक बनी हुई है। मांग के अनुरूप चालानी होने से किसी प्रकार के ऊटापोह की स्थिति नहीं है।
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