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काॅटन यार्न में तेजी ः सिर्फ जरूरी खरीदी

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मंुबई/ यार्न बाजार में सटोरियों की जबरदस्त पकड़ है। बाजार में यार्न की किसी भी किस्म में ऐसी मांग नहीं है कि भाव अपने सारे रिकार्ड तोड़ दें। परंतु इस समय काॅटन यार्न में कमोबेश ऐसा ही लग रहा है। विडंबना इस बात की है कि सूती ग्रे कपड़ों की किसी भी क्वालिटी में लेवाली का समर्थन नहीं है। कुछ आइटमांें जैसे कि मलमल, केम्ब्रिक, लोन, वाॅयल इत्यादि लागत से कम भाव पर बेचे जा रहे हंै। ऐसा कहा जा रहा है कि वीवर्सों को लूम पर प्रति मीटर 50 पैसे से 1.50 रूपये का नुकसान हो रहा है। ग्रे सूती कपड़ों की मांग कमजोर रहने से यार्न की मांग सुस्त है। वीवरों की खरीदी सिर्फ जरूरी यार्न में है, इसके बावजूद काॅटन यार्न के भाव बढे+ हुए हैं। काॅटन यार्न में सट्टा प्रवृत्ति की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। जब गत वर्ष देश में रूई के भाव 60 से 62000 रूपये प्रति खंडी तक पहुंच गए थे। उस दर पर काॅटन यार्न का भाव स्पिनिंग मिलों द्वारा बढ़ाया जाना स्वाभाविक था, परंतु इस समय देश में रूई की ऐसी स्थिति नहीं है। इधर कुछ समय से रूई के भाव बढ़ने शुरू हुए हैं, परंतु अब तक भाव 30 से 32000 रूपये की रेंज में ही चल रहे थे। बावजूद काॅटन यार्न के भाव गत वर्ष के स्तर पर पहुंच गए हैं। बाजार में चर्चा है कि स्पिनिंग मिलों एवं यार्न के कार्टेल वालों ने मिलकर ही भाव को बढ़ाया है। खरीदी जरूरी यार्न तक सीमित है, बावजूद बाजार में काॅटन यार्न, फाईन काउंट के यार्न और सुपर फाईन काउंट के यार्न में तेजी आगे बढ़ी है। सूती यार्न की तेजी के पीछे पीवी, पीसी यार्न के भाव में भी करेंट आ गया है। यद्यपि ग्राहकी कमजोर है। यार्न में यह सुधार कब तक रहता है, कहना मुश्किल है, परंतु यदि समर्थन नहीं मिला और बाजार धड़ाम से नीचे आया तो वीवरों को नुकसान से बचाना मुश्किल हो जाएगा।

                 

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